“जागो, जागो, जागो”
आप कहाँ से कहाँ पहुँच गए
लंगोट से जौकी पर
पाजामे से पतलून पर
नाड़े से बेल्ट पर
खड़ाऊ से बूट पर
कलम से की-बोर्ड पर
मसाल से एलईडी पर
तीर-कमान से मिसाइल पर
कबूतर से मोबाइल पर।
मगर ताज्जुब की बात है
ग्रह-नक्षत्रों को
शनि और मंगल को
जन्म-कुण्डली में देखकर
एकदम काँप रहे हो,
अपना भविष्य सुधारने के लिए
बाबाओं के घर का रास्ता
बारम्बार नाप रहे हो।
अब समय आ गया है
जितना जल्द हो सके जागो,
सारी जंजीरें तोड़कर
दिमागी-गुलामी छोड़कर
विज्ञान और संविधान की ओर भागो।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल
दुनिया के सर्वाधिक होनहार लेखक के रूप में
विश्व रिकॉर्ड में दर्ज।