जाओ कोरोना जल्दी जाओ
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जाओ कोरोना, जल्दी जाओ
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कोरोना तुम क्या आए हो?
जीवन में नीरसता लाए हो।
मिल तो गई है पढ़ाई से छुट्टी
पर मित्रों से तो जैसे हो गई कुट्टी।
मॉल, थियेटर, पी. वी .आर .अब बंद हैं
अपने घर में मानो हम नज़रबंद हैं।
शिक्षकों के गुस्से का तो अब नहीं है झंझट,
पर अब पापा -मम्मी की दूनी डाँट-डपट।
बार-बार हाथ धोने का मचा बवाल
साबुन घिस -घिस हुआ बुरा हाल।
जाओ भाई कोरोना जल्दी जाओ,
हम बच्चों को न यूँ सताओ।
सह लेंगे वार्षिक परीक्षा का भार
मानेंगे न तेरे आगे कभी हार,
मारेंगे तुझे स्वच्छता की मार।
खेमकिरण सैनी
बंगलूरु