” ज़ेल नईखे सरल “
इहाँ जे भी मिलल, हमके आपन लगल
——————– केहू कहत रहल —
सब्र कऽ बाँध दिल से जब टूटे लगल
आँसू-अंखियन कऽ साथ छूटे लगल
गुमसुम रहलीं केहू आके पूछे लगल
इहाँ जे……………………………..
रिश्ता – नाता समाज़ सभे छूटे लगल
टींस मन कऽ गुबार बन के उठे लगल
केहू आपन लगल, आँसू पोंछे लगल
इहाँ जे………………………………
जे निम्मन लगल,उहे घायल मिलल
जे भरल रहल उ, भुखाइल मिलल
जेके सीधा समझलीं,गरमाईल मिलल
इहाँ जे……………………………..
जे खेलत मिलल उ खिलाड़ी लगल
जे पूछत मिलल उ अनाड़ी लगल
“न्याय” पइसा पर नाचे मदाड़ी लगल
इहाँ जे……………………………..
कवि “चुन्नू” कऽ सबसे बा एतने कहल
‘ज़ेल’ नईखे सरल, मुश्किल बा रहल
——————- केहू कहत रहल —
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ (उ.प्र.)