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25 May 2023 · 1 min read

ज़िंदगी गुजर गई सारी मक़सद समझ नहीं पाया

ज़िंदगी गुजर गई सारी मक़सद समझ नहीं पाया
कभी हँसा, कभी रोया, कभी खूब गुनगुनाया

हुआ बहुत कुछ मगर जीवन चलता रहा मेरा
कभी शेर बना यह दिल तो कभी बहुत घबराया

दोस्त, दुश्मन दोनों मिले चलते जीवन में
किसी ने गले लगाया किसी ने जी भर तड़पाया

अन्त समय तक संघर्ष किया अपने जीवन में
कांटों भरी राह में भी कदम आगे ही बढ़ाया

सपने में भी कभी किसी का बुरा नहीं चाहा
मजबूरी और बेबशी में ही हर कदम उठाया

दिमाग ने भी जब कभी काम नहीं किया
हो गया कुछ गलत तो फिर बहुत पछताया

दिल बड़ा रखा सदा चाहे रहा गरीबी में
जहां जरूरत पड़ी हाथ कभी पीछे नहीं हटाया।

विशाल बाबू..✍️✍️

Language: Hindi
1 Like · 153 Views
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