ज़िंदगी का जश्न
जो मेरी न हुई
उसका ग़म क्या करूं!
बेवफ़ा के लिए
आंखें नम क्या करूं!!
मरना तो है ही
आख़िर मुझे एक दिन!
भला मैं अभी से
जीना कम क्या करूं!!
जो मेरी न हुई
उसका ग़म क्या करूं!
बेवफ़ा के लिए
आंखें नम क्या करूं!!
मरना तो है ही
आख़िर मुझे एक दिन!
भला मैं अभी से
जीना कम क्या करूं!!