जहाँ तक राजनीति विचारधारा का संबंध है यदि वो सटीक ,तर्कसंगत
जहाँ तक राजनीति विचारधारा का संबंध है यदि वो सटीक ,तर्कसंगत ,संतुलित ,मर्यादित और मृदुलता से अलंकृत लेख या विचार हो तो नहीं चाहने पर भी एक क्षण जी करता है कि पढ़ूँ ! यह तो मानना ही पड़ेगा कि राजनीति स्वयं ही विवादित है और इसकी विवाद की परिसीमा सभी दिशाओं में फैल जाती है जब इसमें कर्कश ,आलोचना ,अपशब्द बोलों और तिरस्कार की चासनी की परतें चढ़ जातीं हैं ! @परिमल