जवाला
हाँ। धधकती मैं ज्वाला विकराल हूँ किती पुण्यात्मा का में अधुरा सवाल हूँ
नाना प्रकार के रूप है हैं, मेरे मेरे नाना प्रकार का वास है मेरा
कर्मों संग चल में रक्षा और पोषण करती हूँ ५. भड़क गयी गैरो की तो ना अपनों की सुनती हू क्या
साहती लोग मुझे सात बचनने पर, गोरे कर, कसमे लेते हैं। उ
सहारा ले मेरी कृपा का किमी निर्दोष को मौत चाहा पर रखना
पर नित देख उसकी मैंने उसका विश्वास पर जला दिया
सर्दी में सहारा, चूल्हे में आंच बन सबका में ख्याल रखती हूँ
धुर्य का सौर बनू वनस्पति की प्राण दामिनी हूँ