जल
जल
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जल जीवन का आधार है,
पर उसका मीठापन भी जरूरी है।
क्या करूँ उस समंदर सा,
विशाल दिल लेकर मैं,
जो नदियों के मीठे जल को,
खारा करते जीवनभर ।
इससे तो अच्छा नन्हां सा,
दरिया दिल बन जाऊँ मैं ।
जो प्यासे पथिक का,
प्यास तो बुझाते आठो पहर।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १२/११/२०२२
मार्गशीर्ष ,कृष्ण पक्ष,चतुर्थी ,शनिवार
विक्रम संवत २०७९
मोबाइल न. – 8757227201
ई-मेल – mk65ktr@gmail