जल्लाद
जल्लाद
हैवान बनें हैवानियत की सजा केवल एक हैं
जल्लाद सा पहले है नोचे
फिर लटकाए चौको पै
और जो उन के हितैषी.
साथ मे उन को हो फांसी
यही तो सच्चा न्याय है……….
न्याय की पट्टी खुलेगी
जनता फिर कब जागेगी
कुमोदी मुमकिन नारो से
कन्या क्या यू ही लुटती जायेगी…..
सच है सत्ता हाथ मे आई
फिर छाई ही खुम्मारी है
भगवान बने कृष्ण से भी
ना महाभारत रुक पाई है…..
अब तो खोलो न्याय की पट्टी
देश का लूलू कब तक कुमोदी है…..
सच है जनता मार ही डालो
ये ही तो सच्चा न्याय है…….
{ सद्कवि }
प्रेम दास वसु सुरेखा