जलाने दो चराग हमे अंधेरे से अब डर लगता है
जलाने दो चराग हमे अंधेरे से अब डर लगता है
बिन तेरे ऐ दोस्त मुश्किल सा ये सफर लगता हैं
जो तू था साथ तो कुछ कमी भी नहीं थी हमें
तेरे जाने के बाद बेगाना सा अपना ये शहर लगता है..
विशाल बाबू ✍️✍️
जलाने दो चराग हमे अंधेरे से अब डर लगता है
बिन तेरे ऐ दोस्त मुश्किल सा ये सफर लगता हैं
जो तू था साथ तो कुछ कमी भी नहीं थी हमें
तेरे जाने के बाद बेगाना सा अपना ये शहर लगता है..
विशाल बाबू ✍️✍️