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7 Dec 2021 · 1 min read

जय  हो कंप्यूटर  देवता  !   ( हास्य-व्यंग्य कविता)

जबसे हमारे घर पधारे हैं आप ,
हमारी पूरी दुनिया ही बन गए आप,

बन गए आप ही दुनिया तो जाएँ कहां ?
आप को छोड़कर अब दिल लगाएं कहां ?

दिल लगा आपसे ऐसा कुछ मत पूछो,
आप ही इश्क ओ इबादत औरों को छोड़ो।

हम जो मरते आप पर वजह स्पष्ट है ,
आप है ज्ञान का भंडार यह दृष्ट्य है ।

आप से ही तो मिलता।हमें सारा इल्म।
अब छोड़ के आपका दर जाएँ कहां हम ।

हर शय प्यारी लगे आपके पहलु में आकर,
रह गए सांवले सलोने रूप के net में फंसकर।

facebook , google जैसे social network ,
भूल कर सारे काज करे हमेशा आपका work।

यहाँ एक हम है और एक आप हैं सरकार !
आपके सिवा और किसी ने नहीं कोई सरोकार ।

हमारे जीवन में आपसे ही इंकलाब आया ,
सोशल मीडिया में आपने स्थान दिलवाया ।

बनवाके एक अदद profile life बना डाली।
लाइक और कमेंट्स की झड़ी लगवा डाली ।

आपने वास्तव में सामाजिक प्राणी बनाया ,
समय समय पर समाज से हमें जुड़वाया ।

लोगोंके दुख सुख में भागीदार बनाकर ,
यथोचित व्यवहार करवाया मित्र बनकर ।

आप ही हमें फन के कद्र दान दिलवाये ,
वर्ना घरवालों ने सदा शायरी पर मुंह बनाए।

अब आप ही बताए आप क्यों न प्यारे लगे ,
आपके श्रेय से ही दिल में उम्मीदों के दीप जगे ।

जय हो कंप्यूटर देवता ! आपकी कृपा बनी रहे,
इस जन्म में या अगले जन्म में साथ हमारा बना रहे

Language: Hindi
1154 Views
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