जमीन
आसमान से जमीन मिलाइए
भेद आपसी जाति पाँति मिटाइए
रक्त का बस इक ही पहचान पत्र
समता नर पशु सबमें बनाइए
पाप कर्म जमीन पर बढ जायेगा
नर इतना अब कमीन हो जायेगा
सोचा न कभी भी मेरे जमीर ने
रह कहाँ किसकाअमीन जायेगा
जमीन कभी न कहती बैर भाव रखो
कुचल को वजूद मूँछ पर ताव रखो
भगवान सबका एक न हिन्दू या मुस्लिम
बराबरी का आपस में हिसाब रखो
अमीन —विश्वास