” जब “
” जब ”
जब आँखों में जमा हो जाये समन्दर,
कभी फुर्सत के पलों में उसे बहा के चलिए।
जिन्दगी की राह चाहे कैसो भी हो ‘किशन’,
फ़िज़ाओं को जितना हो सके महका के चलिए।
” जब ”
जब आँखों में जमा हो जाये समन्दर,
कभी फुर्सत के पलों में उसे बहा के चलिए।
जिन्दगी की राह चाहे कैसो भी हो ‘किशन’,
फ़िज़ाओं को जितना हो सके महका के चलिए।