*जब से ब्याही हो तुम जीजी, याद तुम्हारी आती है (गीत)*
जब से ब्याही हो तुम जीजी, याद तुम्हारी आती है (गीत)
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जब से ब्याही हो तुम जीजी, याद तुम्हारी आती है
1)
चिट्ठी लिखना भूल गईं क्या, जीजी नहीं छुपाना
क्या खाती हो रहती कैसे, हमने कभी न जाना
कितनी बातें करती थी अब, चुप्पी बहुत रुलाती है
2)
टेलीफोन मिलाया जब भी, तुमने नहीं उठाया
हाल तुम्हारा जीजा जी से, पता सिर्फ लग पाया
बोल तुम्हारे दो सुनने को, नियति रोज तरसाती है
3)
कल बादल छाए थे नभ में, गुस्से में आए थे
शायद बात बताने दिल की, तुमने भिजवाए थे
भिगो गए मैके का ऑंगन, शायद यह ही पाती है
जब से ब्याही हो तुम जीजी, याद तुम्हारी आती है
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पाती= पत्र, चिट्ठी
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451