Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 May 2024 · 1 min read

जब से दिल संकरे होने लगे हैं

जब से दिल संकरे होने लगे हैं
फ़ासले भी बड़े होने लगे हैं
हम सम्हल कर हुए हैं पहले जैसे
वो बदल कर नए होने लगे हैं
दिमाग़ तो चढ़े हैं आसमा पर
पैर धरती पे गुम होने लगे हैं
अब वो कम बैठता है दोस्तों में
उसके बच्चे बड़े होने लगे हैं
जंगलों में न छाया है न पानी
जानवर बेबडे होने लगे हैं
हुनर लहरों से लड़ने का कहाँ अब
सभी एक लहर के होने लगे हैं
ये बाज़ारीकरण का बोल बाला
लोग भी इश्तिहार होने लगे हैं
जब से ख़ुदगर्ज़ ने दिल बंद किया
दुआओ पर असर होने लगे हैं
रोशनी बुझते चरागों की बढ़ाओ यारों
हमारे साये भी हमसे बड़े होने लगे हैं
कंचन

Language: Hindi
50 Views
Books from Kanchan Gupta
View all

You may also like these posts

समाज का आइना
समाज का आइना
पूर्वार्थ
*खजाने की गुप्त भाषा(कहानी)*
*खजाने की गुप्त भाषा(कहानी)*
Ravi Prakash
HOW to CONNECT
HOW to CONNECT
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अविरल धारा।
अविरल धारा।
Amber Srivastava
दोहा **** शब्दकोष स्वयं है, नहीं शब्द बस एक
दोहा **** शब्दकोष स्वयं है, नहीं शब्द बस एक
RAMESH SHARMA
चुपचाप यूँ ही न सुनती रहो,
चुपचाप यूँ ही न सुनती रहो,
Dr. Man Mohan Krishna
"मैं दिल हूं हिन्दुस्तान का, अपनी व्यथा सुनाने आया हूं।"
Avinash Tripathi
रिशते ना खास होते हैं
रिशते ना खास होते हैं
Dhriti Mishra
नसीब में था अकेलापन,
नसीब में था अकेलापन,
Umender kumar
सब व्यस्त हैं जानवर और जातिवाद बचाने में
सब व्यस्त हैं जानवर और जातिवाद बचाने में
अर्चना मुकेश मेहता
गंगा- सेवा के दस दिन (सातवां दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (सातवां दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
चंद पल खुशी के
चंद पल खुशी के
Shyam Sundar Subramanian
मन कहता है
मन कहता है
OM PRAKASH MEENA
विदाई गीत
विदाई गीत
संतोष बरमैया जय
मेरे भी अध्याय होंगे
मेरे भी अध्याय होंगे
Suryakant Dwivedi
ये दिल भी न
ये दिल भी न
sheema anmol
रोबोट युगीन पीढ़ी
रोबोट युगीन पीढ़ी
SURYA PRAKASH SHARMA
अच्छे थे जब हम तन्हा थे, तब ये गम तो नहीं थे
अच्छे थे जब हम तन्हा थे, तब ये गम तो नहीं थे
gurudeenverma198
" हादसा "
Dr. Kishan tandon kranti
ऐ भाई - दीपक नीलपदम्
ऐ भाई - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
अमृत
अमृत
Rambali Mishra
तुम्हीं सदगुरु तारणहार
तुम्हीं सदगुरु तारणहार
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
4729.*पूर्णिका*
4729.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
* ऋतुराज *
* ऋतुराज *
surenderpal vaidya
भुला बैठे हैं अब ,तक़दीर  के ज़ालिम थपेड़ों को,
भुला बैठे हैं अब ,तक़दीर के ज़ालिम थपेड़ों को,
Neelofar Khan
दोहा मुक्तक
दोहा मुक्तक
sushil sarna
*आंखों से जाम मुहब्बत का*
*आंखों से जाम मुहब्बत का*
Dushyant Kumar Patel
रुत चुनावी आई🙏
रुत चुनावी आई🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
माया
माया
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
गीत
गीत
अवध किशोर 'अवधू'
Loading...