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27 May 2024 · 1 min read

जब से दिल संकरे होने लगे हैं

जब से दिल संकरे होने लगे हैं
फ़ासले भी बड़े होने लगे हैं
हम सम्हल कर हुए हैं पहले जैसे
वो बदल कर नए होने लगे हैं
दिमाग़ तो चढ़े हैं आसमा पर
पैर धरती पे गुम होने लगे हैं
अब वो कम बैठता है दोस्तों में
उसके बच्चे बड़े होने लगे हैं
जंगलों में न छाया है न पानी
जानवर बेबडे होने लगे हैं
हुनर लहरों से लड़ने का कहाँ अब
सभी एक लहर के होने लगे हैं
ये बाज़ारीकरण का बोल बाला
लोग भी इश्तिहार होने लगे हैं
जब से ख़ुदगर्ज़ ने दिल बंद किया
दुआओ पर असर होने लगे हैं
रोशनी बुझते चरागों की बढ़ाओ यारों
हमारे साये भी हमसे बड़े होने लगे हैं
कंचन

Language: Hindi
23 Views
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