जीने का पर हुनर भी बड़ा बेमिसाल है
माना कि हाथों वक़्त के बचना मुहाल है
जीने का पर हुनर भी बड़ा बेमिसाल है
ये वक़्त तो बदलता रहे अपनी करवटें
लेकिन हमारे पास भी कर्मों की ढाल है
लगने लगी सुहानी अचानक ही ज़िन्दगी
ये इश्क ने हमारे किया क्या कमाल है
हम भूल कैसे पायेंगे तुमको बताओ तो
रहता तुम्हारा जब हमें हरदम ख़याल है
तुमने दिया था जो हमें जाते हुये सनम
रक्खा सँभाल कर अभी तक वो रुमाल है
खुशियों का तो पता नहीं है दूर दूर तक
ये दर्द सहते हो गया जीना मुहाल है
हक में हमारे होते जब अपने सितारे हैं
तो ज़िन्दगी हमारी ही करती धमाल है
थक सी गई है ‘अर्चना’ देते हुये जवाब
हर बार ज़िन्दगी नया लाती सवाल है
06-09-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद