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26 Mar 2020 · 1 min read

जब वो मेरी थी

एक दिन था जब वो मेरी थी
पर लगता अब वो बात नहीं
वो साथ हमारे कल तक थी
अब हाथ में उसका हाथ नहीं
वो कहती तुम सांसों में
तुम यादों में तुम बातों में
वो कहती नींद नहीं आती
तुम हर रात ख़यालों में
पर मुमकिन अब मुलाक़ात नहीं
वो साथ हमारे कल तक थी
अब हाथ में उसका हाथ नहीं
वो कहती तुम रुक जाओ
जब याद करूँ चले आओ
वो कहती हम तन्हा हैं
तुम आओ गले लगा जाओ
कुछ सुकून हमें मिल जाएगा
कुछ धड़कन भी बढ़ जायेगी
जब नज़रें तुमको देखेंगी
कुछ वजह हमें मिल जायेगी
सब कथा कहानी लगते हैं
बिलकुल सच्चे जज़्बात नहीं
एक दिन था जब वो मेरी थी
पर लगता अब वो बात नहीं

1 Like · 294 Views
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