जब मैं परदेश जाऊं
जब मैं परदेश जाऊं,
तू करना दुहायें,
मत गिराना अपने आँसू ,
कमजोर मुझको मत करना,
कुछ बुरा सोचकर।
मत भूलना यह नियम,
दीपक भगवान का जलाना,
अपने प्रेम और रिश्तें के लिए,
रोजाना करना तू प्रार्थना,
मांगना भगवान से यह मिन्नत,
कि मैं जल्दी लौट आऊँ तुम्हारे पास।
जिंदा और आबाद रहे तुम्हारा प्रेम,
सलामत रहे परदेश में तेरा सुहाग।
मुझको होगी तुम्हारी बहुत फिक्र,
तुमसे दूर परदेश जाने पर,
नहीं आयेगी चैन से नींद मुझको,
जितना मैं सोता हूँ चैन से,
तुम्हारे करीब यहाँ रहकर,
तो देना मुझको कुछ ऐसा,
कि सदा तुम्हारे करीब ही,
करता हूँ वहाँ भी तुमसे बातें,
और सुकून मिले मुझको भी,
कि महक रहा है मेरा गुलाब।
जब मैं परदेश जाऊं —————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)