जब मुहब्बत आपकी
जब मुहब्बत आपकी
दिल रियासत आपकी
देखती दर्पण हूँ मैं
दिखती सूरत आपकी
है जियादा फूलों से
ये नज़ाकत आपकी
प्रेम का कैसा असर
बदली रंगत आपकी
हो खुशी या कोई गम
बस जरूरत आपकी
दिल हमारा मानता
बस हुकूमत आपकी
‘अर्चना’ का ही है फल
पाई चाहत आपकी
19-12-2017
डॉ अर्चना गुप्ता