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24 Jun 2021 · 1 min read

“जब मन समझे” ️

जब मन समझे; ध्यान की भाषा,
अभय निर्भय; परिणाम की भाषा,
जब करुणा खुद संसार बने, अधर मुखर अविराम की आशा,
तब श्रृष्टि की तय श्रृखंला में फिर से एक ज्योत तुम्हारी जगती है,
कहते को तो तुम पूरक जग के पर तब सत्य खुद हृदय से कहती है
हाँ खुद हृदय से कहती है……☀️

©दामिनी ✍

Language: Hindi
1 Like · 409 Views
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