जब भी तुम्हारा ज़िक्र आया।
जब भी तुम्हारा ज़िक्र आया।
हमने नज़रे अदब से झुका ली।।1।।
तेरी ही सलामती की खातिर।
हमने रातों दिन बस दुआ की।।2।।
गर तूमने की बेवफाई कभी।
समझना हमने ये जां गंवा दी।।3।।
तेरी ही खुशियों की खातिर।
हमने सारी तमन्नाएं भुला दी।।4।।
नामे बेवफ़ा हम मशहूर हुए।
तुमने ये झूठी खबर फैला दी।।5।।
हवाओं ने आज जिक्र छेड़ा।
तेरी यादों को फिरसे हवा दी।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ