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25 May 2024 · 1 min read

जब तुम

जब तुम
मेरे सामने
नहीं होते
तो मेरे भीतर
होते हो
वैसे ही जैसे
कछुआ सिमट
जाता है
मुंह, हाथ, पैर
समेट कर
अपनी खोली
के भीतर,
या फिर
किसी कोटर
में चिड़िया
का बच्चा
अकेला
करता है
इंतजार
अपनी मां के
लौटने का,
या फिर
तुम बन
जाते हो
बादल
और मैं बूंद।

Language: Hindi
1 Like · 115 Views
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