जब तक जेब में पैसो की गर्मी थी
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जब तक जेब में पैसो की गर्मी थी
जब तक बेगम के लहज़े में नर्मी थी
जब तक हम धन लुटाते रहें
तब तक इश्क के नजराने वोह दिखाते रहें।
सोनित प्रजापति।
जब तक जेब में पैसो की गर्मी थी
जब तक बेगम के लहज़े में नर्मी थी
जब तक हम धन लुटाते रहें
तब तक इश्क के नजराने वोह दिखाते रहें।
सोनित प्रजापति।