जब जब मीरा होती हूँ
क्या बोलूं वो कैसे लगते हैं
मुझको तो रब जैसे लगते हैं
देखूं जब मासूम निगाहें मैं उनकी
भोले भाले बचपन जैसे लगते हैं
चलूँ झूमती प्रेम की मस्त फुहारों में
रिमझिम रिमझिम सावन जैसे लगते हैं
देख के उनको जब जब मीरा होती हूँ
मुझको सचमुच मोहन जैसे लगते हैं।