Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2017 · 1 min read

जब काल आया सामने, तब समझा,सब अज्ञान था|

संसार में भटके बहुत,आनंदधन नाहीं मिला |
आया बुढ़ापा, ढल चला, मजबूत काया का किला|

रोते हो क्यों, पहले जगत् -मन ,ज्यादा शैतान था?
जब काल आया सामने, तब समझा, सब अज्ञान था |

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए”एवं “कौंंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

काल=मृत्यु

Language: Hindi
Tag: शेर
471 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Pt. Brajesh Kumar Nayak
View all
You may also like:
सत्य जब तक
सत्य जब तक
Shweta Soni
3064.*पूर्णिका*
3064.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कैलाश चन्द्र चौहान की यादों की अटारी / मुसाफ़िर बैठा
कैलाश चन्द्र चौहान की यादों की अटारी / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
The sky longed for the earth, so the clouds set themselves free.
The sky longed for the earth, so the clouds set themselves free.
Manisha Manjari
कठिन समय रहता नहीं
कठिन समय रहता नहीं
Atul "Krishn"
*मूलांक*
*मूलांक*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मात्र एक पल
मात्र एक पल
Ajay Mishra
आत्मनिर्भरता
आत्मनिर्भरता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जागो बहन जगा दे देश 🙏
जागो बहन जगा दे देश 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बेपर्दा लोगों में भी पर्दा होता है बिल्कुल वैसे ही, जैसे हया
बेपर्दा लोगों में भी पर्दा होता है बिल्कुल वैसे ही, जैसे हया
Sanjay ' शून्य'
गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी
Surinder blackpen
आत्मा की शांति
आत्मा की शांति
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सुख दुःख
सुख दुःख
विजय कुमार अग्रवाल
मंजिलें भी दर्द देती हैं
मंजिलें भी दर्द देती हैं
Dr. Kishan tandon kranti
"शाम की प्रतीक्षा में"
Ekta chitrangini
वो अजनबी झोंका
वो अजनबी झोंका
Shyam Sundar Subramanian
मेरे पिता
मेरे पिता
Dr.Pratibha Prakash
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
Shashi Dhar Kumar
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
बढ़ी शय है मुहब्बत
बढ़ी शय है मुहब्बत
shabina. Naaz
मईया का ध्यान लगा
मईया का ध्यान लगा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मैंने कभी भी अपने आप को इस भ्रम में नहीं रखा कि मेरी अनुपस्थ
मैंने कभी भी अपने आप को इस भ्रम में नहीं रखा कि मेरी अनुपस्थ
पूर्वार्थ
माना मैं उसके घर नहीं जाता,
माना मैं उसके घर नहीं जाता,
डी. के. निवातिया
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
Rituraj shivem verma
Job can change your vegetables.
Job can change your vegetables.
सिद्धार्थ गोरखपुरी
रमेशराज की 3 तेवरियाँ
रमेशराज की 3 तेवरियाँ
कवि रमेशराज
मेरी बेटी
मेरी बेटी
लक्ष्मी सिंह
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
Loading...