Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jan 2017 · 1 min read

मेरी बेटी

?????
प्यार की अनोखी
? मूरत हो तुम,
जिन्दगी की एक
? जरूरत हो तुम ,
मेरी आत्मा,
? मेरी जान हो तुम,
मेरी मान और
? अभिमान हो तुम,
मेरी आस्था और
? विश्वास हो तुम,

मेरे दोनों हाथ हो तुम,
?
हर जगह हर पल
? मेरे साथ हो तुम,
?
फूल तो खुबसूरत होते ही हैं,
?
पर फूलों से भी
?ज्यादा खूबसूरत हो तुम।
?लक्ष्मी सिंह ?

2 Likes · 919 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
सच तो हम और आप ,
सच तो हम और आप ,
Neeraj Agarwal
चुनावी रिश्ता
चुनावी रिश्ता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आप लोग अभी से जानवरों की सही पहचान के लिए
आप लोग अभी से जानवरों की सही पहचान के लिए
शेखर सिंह
तमाम लोग किस्मत से
तमाम लोग किस्मत से "चीफ़" होते हैं और फ़ितरत से "चीप।"
*Author प्रणय प्रभात*
स्वाभिमान
स्वाभिमान
Shyam Sundar Subramanian
तुमको ख़त में क्या लिखूं..?
तुमको ख़त में क्या लिखूं..?
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हर क्षण का
हर क्षण का
Dr fauzia Naseem shad
मोबाइल के भक्त
मोबाइल के भक्त
Satish Srijan
यादों का थैला लेकर चले है
यादों का थैला लेकर चले है
Harminder Kaur
विश्वास
विश्वास
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
गौरैया दिवस
गौरैया दिवस
Surinder blackpen
"बकरी"
Dr. Kishan tandon kranti
कंटक जीवन पथ के राही
कंटक जीवन पथ के राही
AJAY AMITABH SUMAN
खूबसूरती
खूबसूरती
RAKESH RAKESH
कहने को तो इस जहां में अपने सब हैं ,
कहने को तो इस जहां में अपने सब हैं ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
*राम तुम्हारे शुभागमन से, चारों ओर वसंत है (गीत)*
*राम तुम्हारे शुभागमन से, चारों ओर वसंत है (गीत)*
Ravi Prakash
फिर जनता की आवाज बना
फिर जनता की आवाज बना
vishnushankartripathi7
मां कुष्मांडा
मां कुष्मांडा
Mukesh Kumar Sonkar
दुआ कबूल नहीं हुई है दर बदलते हुए
दुआ कबूल नहीं हुई है दर बदलते हुए
कवि दीपक बवेजा
लोग दुर चले जाते पर,
लोग दुर चले जाते पर,
Radha jha
संसार में
संसार में
Brijpal Singh
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
💐अज्ञात के प्रति-124💐
💐अज्ञात के प्रति-124💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
2463.पूर्णिका
2463.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
Manisha Manjari
विदाई
विदाई
Aman Sinha
प्रकृति वर्णन – बच्चों के लिये एक कविता धरा दिवस के लिए
प्रकृति वर्णन – बच्चों के लिये एक कविता धरा दिवस के लिए
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
माता रानी दर्श का
माता रानी दर्श का
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
#justareminderekabodhbalak
#justareminderekabodhbalak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
खुद के प्रति प्रतिबद्धता
खुद के प्रति प्रतिबद्धता
लक्ष्मी सिंह
Loading...