जन्म दायनी माँ
माँ की कोख पला ,धरती पर पहला कदम माँ बोला माँ ने दुनियां से परिचित करवाया !!
माँ ने जिंदगी दिया ,माँ ने दुनिया समाज बताया माँ रिश्तों से मिलवाया वसुंधरा ने विश्व ब्रह्माण्ड को बताया !!
माँ की उंगलियां पकड़ कर चलना सीखा माँ ने ही हाथ मे कलम पकड़ाया वसुंधरा ने चाल काल वर्तमान वविष्य इतिहास भूगोल से परिचित करवाया ।।
माँ के चरणों मे स्वर्ग और माँ के आँचल में संसार ब्रह्मांड का सत्यार्थ प्रकाश है जननी जन्म भूमि स्वर्ग साक्षात् !!
माँ के दूध के कर्ज़ फ़र्ज का पंच महाभूतों के शरीर मे माँ आत्मा स्वाश धड़कन प्राण का आधार अवनि अस्तित्व हस्ती की हद गुरुर गर्व मान स्वाभिमान !!
माँ देवकी है ,यशोदा ,सरस्वती हैं , माँ यथार्थ जीवन मूल्यों का सार प्रकाश हैं धरा धन्य ,अवनि अरमान ,खाब ,हकीकत वसुंधरा कर्म धर्म का जीवन ज्ञान !!
कभी भी माँ ने अपने स्नेह मर्म मर्यादा से ओझल नही होंने दिया मेरा यह जीवन ,जीवन के हर पल प्रहर, में वसुंधरा जीवन मूल्यों का आवरण भाव भावना मानव मानवता का युग संसार माँ।।