जनता
खून पसीना आंसू
सब बेमतलब है,
उसको तो अपने कोठे से मतलब है।
तेरी आहों चित्कारों
से क्या लेना,
उसको घुंघुरू की छम छम से मतलब है।।
तेरी भूख का मालिक तू है,
दर्द तेरे अपने ही होंगे।
दोनों कर से कर तुम दोगे,
गर्म सर्द दिन तेरे होंगे।।
फिर भी तेरा मालिक है वो,
लोकतंत्र का राजा भी है।
जिंदा रहो या मर जाओ तुम
उसको क्या कोई मतलब है।
लोकतंत्र में तंत्र बनाया,
ऐसा एक षणयंत्र बनाया।
नेता जज अधिकारी लूटें
सरकारी इक मंत्र सिखाया।।
“संजय” व्यापार के इक मुहरे हो,
ईश्वर इसका व्यापारी है।
लाभ लाभ का खेल ये खेलें
उनको तेरी हानि हानि से क्या मतलब।।
जय हिंद