Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2022 · 1 min read

जज़्बात तेरे- मेरे।

जज्बातों का तूफ़ान,
उफान मार रहा दिल में,
मन साधा नहीं जा रहा खुद से,
दिल को खाली कर के बैठ गये हो,
पट भी बंद है अंदर से,
आहट पल-पल की कैसे दू अपनी,
हर पल को कैद कर के खुद रूठ गई हो।

रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 83 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Buddha Prakash
View all
You may also like:
घूंटती नारी काल पर भारी ?
घूंटती नारी काल पर भारी ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Prakash Chandra
"दो पहलू"
Yogendra Chaturwedi
"आंखरी ख़त"
Lohit Tamta
दोगलापन
दोगलापन
Mamta Singh Devaa
अनुभव
अनुभव
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कुछ इस तरह टुटे है लोगो के नजरअंदाजगी से
कुछ इस तरह टुटे है लोगो के नजरअंदाजगी से
पूर्वार्थ
मोहब्बत, हर किसी के साथ में नहीं होती
मोहब्बत, हर किसी के साथ में नहीं होती
Vishal babu (vishu)
श्री शूलपाणि
श्री शूलपाणि
Vivek saswat Shukla
सीता छंद आधृत मुक्तक
सीता छंद आधृत मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
♥️मां पापा ♥️
♥️मां पापा ♥️
Vandna thakur
इन आँखों को हो गई,
इन आँखों को हो गई,
sushil sarna
फाइल की व्यथा
फाइल की व्यथा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
Manisha Manjari
विश्व हुआ है  राममय,  गूँज  सुनो  चहुँ ओर
विश्व हुआ है राममय, गूँज सुनो चहुँ ओर
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दोस्त
दोस्त
Pratibha Pandey
करती गहरे वार
करती गहरे वार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
महानगर की जिंदगी और प्राकृतिक परिवेश
महानगर की जिंदगी और प्राकृतिक परिवेश
कार्तिक नितिन शर्मा
जाने वाले साल को सलाम ,
जाने वाले साल को सलाम ,
Dr. Man Mohan Krishna
अमेठी के दंगल में शायद ऐन वक्त पर फटेगा पोस्टर और निकलेगा
अमेठी के दंगल में शायद ऐन वक्त पर फटेगा पोस्टर और निकलेगा "ज़
*Author प्रणय प्रभात*
24/232. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/232. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*साँस लेने से ज्यादा सरल कुछ नहीं (मुक्तक)*
*साँस लेने से ज्यादा सरल कुछ नहीं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
"आज का दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
कहीं चीखें मौहब्बत की सुनाई देंगी तुमको ।
कहीं चीखें मौहब्बत की सुनाई देंगी तुमको ।
Phool gufran
सूरज मेरी उम्मीद का फिर से उभर गया........
सूरज मेरी उम्मीद का फिर से उभर गया........
shabina. Naaz
*नुक्कड़ की चाय*
*नुक्कड़ की चाय*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
रावण की हार .....
रावण की हार .....
Harminder Kaur
छोटी- छोटी प्रस्तुतियों को भी लोग पढ़ते नहीं हैं, फिर फेसबूक
छोटी- छोटी प्रस्तुतियों को भी लोग पढ़ते नहीं हैं, फिर फेसबूक
DrLakshman Jha Parimal
सावन मे नारी।
सावन मे नारी।
Acharya Rama Nand Mandal
Loading...