जगी आशा की किरण….
जगी आशा की किरण….
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जगी आशा की किरण ,
आगे बरक़रार रहेंगी !
निराशा जो छाई थी ,
अब दरकिनार रहेंगी !!
सपने जो अधूरे हैं…
अवश्य पूरे होंगे !
राह की सारी बाधाऍं…
खत्म होके ही रहेंगे !!
खुशियों की हर लहर ,
अब तूफ़ान बनेगी !
संकट के हर बादल ,
अब छॅंट के ही रहेगी !!
सूखाग्रस्त इलाकों में ,
अब हरियाली छाएगी !
कृषक के चेहरे पे मुस्कान ,
की बाढ़ सी आ जाएगी !!
कितने दिनों के बाद ,
अब दिन सुधरा है !
काफ़ी गरमी के बाद ,
अब बादल बरसा है !!
मॅंझधार में फंसी नैया को ,
इक पतवार मिला है !
मुश्किल में फंसे भैया को ,
नया संसार मिला है !!
अब हर घर-परिवार ,
बहुत खुश़हाल रहेगा !
दु:ख का हर कारोबार ,
अब बदहाल रहेगा !!!!
_ स्वरचित एवं मौलिक ।
© अजित कुमार कर्ण ।
__ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : ११/०६/२०२१.
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