Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jun 2023 · 2 min read

जगन्नाथ रथ यात्रा

जगत के नाथ जगन्नाथ ,
दर्शन देने निकले हैं l
भगत से मिलने को आतुर ,
चौखट पार कर निकले हैं ll १ ll

सुदर्शन धारी श्री जगन्नाथ,
माता सुभद्रा और बलदाऊ के साथ l
परमानन्द देने भक्तों को,
मदन मोहन मन को हरने निकले हैं ll २ ll

बैठे हैं जब से रथ पे वो ,
झूमा ब्रह्माण्ड हर्षित हो l
भक्ति के रस में भीगे हुए,
भक्तों की टोली निकली है ll ३ ll

नेत्रों में लिए करुणा का सागर ,
चले जगन्नाथ यू सज धज कर l
दोनों हाथों से भर भर कर,
कृपा बरसाने निकले हैं ll ४ ll

नहीं हटती नजर उनसे ,
जिनका मुख चंद्र चंचल सा l
कोटि सूर्य भी लगे फीके,
जब जगन्नाथ रथ पे आते हैं ll ५ ll

कीर्तन मृदंग और करताल ,
मिले जब इनके सुर और ताल l
भगत नाचे मगन होकर,
यूँ गौरांग को रिझाने निकले हैं ll ६ ll

आज दिशा दशा का संज्ञान कहाँ ,
बस रथ और रस्सी पर ध्यान यहाँ l
हरी कीर्तन से गूँजा परिवेश जहाँ
संन्यास गृहस्थ सब मग्न वहाँ ll ७ ll

कटे जन्म मृत्यु का चक्कर ,
पकडे जो रथ की रस्सी को कसकर l
ह्रदय तृप्त हो जाये भक्ति रस पीकर ,
यात्रा में नाचे जो मगन होकर ll ८ ll

जब जब रथ के पहिये बढ़े ,
भक्तों ने कूंचे से कंकड़ गिने l
जगन्नाथ के तुच्छ सेवक हैं हम ,
सोचके बस यही ह्रदय निर्मल किये ll ९ ll

बसों सबके ह्रदय में, हे जगन्नाथ ,
जन्मजन्मांतर की यात्रा से दे दो विश्राम l
जीवन बीते बस गाते हरी का गान l
क्षण अंतिम हो,बस मुख से निकले श्री जगन्नाथ ll १० ll

Language: Hindi
4 Likes · 171 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नील पदम् NEEL PADAM
नील पदम् NEEL PADAM
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
संबंध क्या
संबंध क्या
Shweta Soni
जब कभी भी मुझे महसूस हुआ कि जाने अनजाने में मुझसे कोई गलती ह
जब कभी भी मुझे महसूस हुआ कि जाने अनजाने में मुझसे कोई गलती ह
ruby kumari
पूजा
पूजा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
तेरा-मेरा साथ, जीवनभर का ...
तेरा-मेरा साथ, जीवनभर का ...
Sunil Suman
*खुशबू*
*खुशबू*
Shashi kala vyas
Tajposhi ki rasam  ho rhi hai
Tajposhi ki rasam ho rhi hai
Sakshi Tripathi
हर फ़साद की जड़
हर फ़साद की जड़
*Author प्रणय प्रभात*
चौपाई छंद में मान्य 16 मात्रा वाले दस छंद {सूक्ष्म अंतर से
चौपाई छंद में मान्य 16 मात्रा वाले दस छंद {सूक्ष्म अंतर से
Subhash Singhai
मन की चंचलता बहुत बड़ी है
मन की चंचलता बहुत बड़ी है
पूर्वार्थ
अभिव्यक्ति के माध्यम - भाग 02 Desert Fellow Rakesh Yadav
अभिव्यक्ति के माध्यम - भाग 02 Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
2666.*पूर्णिका*
2666.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पानी बचाऍं (बाल कविता)
पानी बचाऍं (बाल कविता)
Ravi Prakash
अनुभूति
अनुभूति
Pratibha Pandey
वो रास्ता तलाश रहा हूं
वो रास्ता तलाश रहा हूं
Vikram soni
"लोग क्या कहेंगे" सोच कर हताश मत होइए,
Radhakishan R. Mundhra
*** सैर आसमान की....! ***
*** सैर आसमान की....! ***
VEDANTA PATEL
बेवजह यूं ही
बेवजह यूं ही
Surinder blackpen
माँ भारती वंदन
माँ भारती वंदन
Kanchan Khanna
* प्रीति का भाव *
* प्रीति का भाव *
surenderpal vaidya
" मेरे जीवन का राज है राज "
Dr Meenu Poonia
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
कवि रमेशराज
जो लोग अपनी जिंदगी से संतुष्ट होते हैं वे सुकून भरी जिंदगी ज
जो लोग अपनी जिंदगी से संतुष्ट होते हैं वे सुकून भरी जिंदगी ज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"ला-ईलाज"
Dr. Kishan tandon kranti
हिन्दी की मिठास, हिन्दी की बात,
हिन्दी की मिठास, हिन्दी की बात,
Swara Kumari arya
ग़रीब
ग़रीब
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
दलाल ही दलाल (हास्य कविता)
दलाल ही दलाल (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
लोगों के अल्फाज़ ,
लोगों के अल्फाज़ ,
Buddha Prakash
मिलेगा हमको क्या तुमसे, प्यार अगर हम करें
मिलेगा हमको क्या तुमसे, प्यार अगर हम करें
gurudeenverma198
कस्ती धीरे-धीरे चल रही है
कस्ती धीरे-धीरे चल रही है
कवि दीपक बवेजा
Loading...