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1 Mar 2024 · 1 min read

मन की चंचलता बहुत बड़ी है

मन की चंचलता बहुत बड़ी है
हर एक नयी ख्वाहिश ले कर खड़ी है।

कर देती है इतना व्याकुल
हर मोड़ पर दुविधा ले कर खड़ी है।

मन को कर देती है अशान्त
सबको पाने की इच्छा लेकर खड़ी है।

शान्त मन को रखती है कोशों दूर
दिल में अशांति की बीज लिए खड़ी है।

मन को कर के अपने वश में
अन्तर्मन में चंचलता की जाल बिछाए खड़ी है।

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