*जंगल की आग*
यूँ चिंगारी न लगाया करो
आग लग गई तो जाने
क्या क्या जल जाएगा
लग गई आग तो कहां कहां जाएगी
ये तो हवा का रूख ही बताएगा
तेरा घर भी तो है इसी जंगल के साथ
कौन जाने तेरा घर भी जल जाएगा
लेकिन है यक़ीन इतना
कुछ बेज़ुबान तो बेघर हो जाएंगे
कोई ख़ुद जल जाएंगे
कोई अपने बच्चों को न बचा पाएंगे
क्यों देते हो ये पीड़ा उनको
कई परिवार उजड़ जाएंगे
बद्दुआएँ लगेगी उनकी तुमको
अपने परिवार को जो इस आग में खो जाएंगे
जल जाएगी अमूल्य वन संपदा
तेरी इस एक नादानी से
हो जाएगा धुआँ धुआँ ये नीला आसमान
तड़पेंगे सांस लेने के लिए
जंगल में बचे जीव जंतू
रहते होंगे तेरे आसपास भी
कुछ दमे के मरीज़ भी
क्यों नहीं समझता तू
उनको मुश्किल हो जाएगी
है करबद्ध निवेदन सभी से
जंगलों में आग न लगाया करो
बच जाएंगे लाखों पेड़
और सुरक्षित रहेंगे घर लाखों
पंछियों और बेज़ुबान जीवों के
देख पाएंगे नवजात वन्य जीव भी
इस खूबसूरत दुनिया को।