छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले
छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले
तोड़ ये बंधनो के सब जाले
शिखर की पुकार सुन ले
बस एक बार खुद की भी सुन ले
क्यों आखिर तू रूका है
क्यों तू खुद से खफा है
क्यों बांध रखा है जंजीर से खुद को
क्यों तू इतना भ्रमित है
छोड़ सारे झमेले
एक राह तू चुन ले
कब तलक दूसरो के लिए
खुद को ठगेगा
बस एक बार तू अब अपनी सुन ले
सुशील मिश्रा(क्षितिज राज)