आवारगी मिली
छुप छुप के मैंने देखा,
गलियों में उनकी जाकर,
मैं बन गया दीवाना
निकले वो मुस्कराकर।
लहराये काले गेसू
जब भी हवा चली।
मैंने किसी को चाहा तो,
आवारगी मिली।
सतीश सृजन
छुप छुप के मैंने देखा,
गलियों में उनकी जाकर,
मैं बन गया दीवाना
निकले वो मुस्कराकर।
लहराये काले गेसू
जब भी हवा चली।
मैंने किसी को चाहा तो,
आवारगी मिली।
सतीश सृजन