छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
राष्ट्रहित गह दिव्यता, दे चेतना।
छाॅंट दे जो सहज में जन -वेदना।
वही रचना देश का सम्मान है।
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
पं बृजेश कुमार नायक
राष्ट्रहित गह दिव्यता, दे चेतना।
छाॅंट दे जो सहज में जन -वेदना।
वही रचना देश का सम्मान है।
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
पं बृजेश कुमार नायक