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1 Jan 2023 · 1 min read

छाया है कोहरा

शीर्षक -छाया है कोहरा
——————
मेरे साथ! चांद है और चांदनी,
और हैं सर्दी की ठिठुरती रातें!
छाया है चारों और कोहरा,
तुम!और में साथ,और मधुर रागिनी!!

चांदनी की है कायनात,
कोहरा है और तुम हो साथ।
तुम लजाती हुई चांदनी सी,
तुम चलती गई ,डाले हाथों में हाथ।।

सफ़र यूं ही कटता रहा,
कोहरा भी कुछ छट सा गया।
भोर की रश्मियों ने,
किरणें बिखेर दी,
प्रकाश चहुं और फैलता गया।।

सुबह का अरूण उदय हे हुआ,
दिल चाहे उषा की लालिमा को !
मैं!भर लूं बांहों मैं,
जिसका उजियारा सारे जग में हुआ!!

धरा भी नहा ली रोशनी में,
और!तरूवर ने ली अंगड़ाई।
कुसुम -कलिका मंद-मंद मुस्काए,
सूरज ने किरणें बिखराई !!

सुषमा सिंह*उर्मि,,

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 121 Views
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