Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Apr 2022 · 69 min read

छाग्या अरयाणा

हरियाणवी कटवां रागणियां।

छाग्या अरयाणा

ISBN-978.93.5351.709.0

-देश भक्ति, हरियाणे की शान में, ब्या-शादी, विरह, प्रेम रस की कटवां रागणियां व गीत।

मेरी हरियाणवी रागणियों की यह पुस्तक हरियाणे की मां बोल्ली भाषा को देश विदेश में ख्याती दिलवाने वाले रागणी गायक, कवी, लेखक, हरियाणवी फिल्म, नाटक कलाकारों को समर्पित है।
नफे सिंह कादयान

पुस्तक का नाम:- छाग्या अरयाणा।
ISBN- 978-93-5351-709-0
लेखक:- नफे सिंह कादयान।
गगनपुर, (अम्बाला) बराड़ा-133201,
mob.-9991809577
E-mail- nkadhian@gmail.com,
F.B.- nafe.singh85@gmail.com,
Tw.– NSkadhianwriter@
Site- https//nkadhian.wordprees.com

प्रकाशक, मुद्रक, कम्प्यूटर टाईप सैटिंग, टाईटल, ©कॉपी राईट व सभी कानूनी दायित्व:- नफे सिंह कादयान।
प्रकाशन कार्यालय:- रामलीला ग्राऊड बराड़ा, अम्बाला (हरि०)

मुल्य- 250रू. रजि. डाक सहित
ई-बुक- 50रू.
ई-बुक पढ़ने के बाद अगर मेरी पुस्तक पसंद आए तो 50रू- मेरा खाता सं Bank –Centrol Bank of india, Branch Barara,
Nafe Singh ,ac-1984154114, ifsc cod-cbin 0280379 में टरासफर करें।

वर्ष- 2019

( नोट- मेरी इस रजिष्ट्रड पुस्तक की सभी रागणी, गीत, चुटकले मेरे अपने स्वरचित हैं अतः कोई भी व्यक्ति मेरी छाप काट कर या फेरबदल कर मेरी रचनाएं गाएगा उसके विरूद्ध कानूनी कार्यवाई होगी। )

निवेदन

मित्रो हिंदी भाषा में कई पुस्तकें लिखने के बाद मन में विचार आया कि अपनी उस भाषा में भी कुछ लिखा जाए जो इस संसार में आने के बाद मैने अपनी बेबे ( मां ) और बड़े भाई, बहनों से सीखी थी। जिसे मैं बचपन से ही बोलता आया हूं यानी अपनी मां बोली हरियाणवी भाषा। निबंध, उपन्यास, कहानियां लिखने के बाद सोचा कि अब एक हरियाणवी रागनियों की किताब लिखने का प्रयास किया जाए। सो पुस्तक ‘छाग्या अरयाणा’ आपके अवलोकन हेतू तैयार है।
जब हम हरियाणवी भाषा की बात करते हैं तो बांगर में बोल्ली जाने वाली भाषा को हरियाणवी मानते हैं जबकि मेरा मानना है हमारी भाषाएं नदी कि तरह प्रवाहमय हैं, इन्हे किसी विशेष क्षेत्र में नहीं बांधा जा सकता। हर दस किलोमीटर के बाद बसी हुई बस्तियों में बोले जाने वाले शब्द बदलने लगते हैं।
हरियाणा के अम्बाला, यमुनानगर, पंचकुला जिलों में हरियाणवी में पंजाबी व उर्दू शब्दों की भरमार है तो राजस्थान के साथ लगते जिलों में ठेठ हरियाणवी व राजस्थानी शब्द बोले जाते हैं। मेरा कहने का आशय है कि हरियाणवी के कई विद्ववान केवल ठेठ बांगरू भाषा को ही हरियाणे की भाषा मानते हैं जो कि मेरे विचार से तर्कसंगत नही है। यह तब पूरी तरह सत्य हो सकता है जब हरियाणे की कोई मान्यता प्राप्त भाषा हो जैसा की पंजाबी, गुजराती जैसी कई राज्यों की भाषाएं हैं।
दरअसल हरियाणवी भाषा की कोई लिपी न होने के चलते हरियाणवी भाषा हिंदी में लिखि जाती है जिसे सरकारी तौर पर मान्यता नहीं दी गई है। हरियाणा में अधिकतर हरियाणवी कवि, सांगी, रागनी गायक बांगर क्षेत्र से हुए हैं इसलिए बांगरू भाषा का प्रचलन हरियाणा में सबसे अधिक है और इसे ही असली हरियाणवी भाषा माना जाता है।
मैं पैदा अम्बाला जिले के गांव में हुआ हूं मगर मेरे मामे सारसा बारणा के ठेठ बांगरू थे और मैने दो दसक तक पानीपत हैंडलूम इंडस्ट्री में काम किया इसलिए मुझ पर स्वभाविक रूप से बांगरू भाषा का काफी प्रभाव पड़ा। वहां काम पर हम सारा दिन भाई राजकिश्न अगवानपुरीया, कर्मपाल शर्मा जैसे कई दिग्गज गायकों की हरियाणवी रागणियों की कैसट सुना करते थे जो मुझे काफी पसंद आती थी। मैं हरियाणवीं दोहाकार भाई सत्यवीर नाहडिया, श्री कृष्ण द्ववेदी जी के दोहे सतसई पढ़ता रहता हूं। ऐसे ही मैने कुछ हद तक बांगरू भाषा सीखी है।
दोस्तो वैसे तो मैने अपनी सभी रागणियां उसी लहजे में लिखने की कोशिस की है जिसमें अन्य कवियों ने अपनी रचनाएं लिखि हैं यानी बांगरू भाषा में, मगर मैं अम्बाले का रहने वाला हूं इसलिए हो सकता है इस सग्रह में कुछ अम्बालवी शब्द भी आ गए हों, और दोस्तो मैं गायक नहीं कवि हूं वैसे तो मैने हर रागणी अपने मन में गा कर यानी तर्ज बना लिखि है पर जब इन्हे कोई परम्परागत स्थापित हरियाणवी गायक गाएगा तो हो सकता है एक दो शब्द इधर-उधर करना पड़े जो स्वभाविक भी है।
Nafe Singh Kadhian
*****

रागणी नाम क्रमांक

1. हरियाल्ली छावै खेतां म्हं – 9
2. जग म्हं चांदण कर राख्या – 11
3. कांधे रैफल धरकै चाल्या – 13
4. दुनिया के धिंगताणे म्हं- 15
5. दुनिया म्हं कमाया नाम – 17
6. दिल की जुबां पै- 19
7. कसुत्ती भावी चढ़री सै – 21
8. तांदे जूणे कर राक्खे- 23
9. हाथां के म्हं जाम सै- 25
10. म्हारी झण्डी वाली कार – 27
11. म्हारे गाम की फिरणी – 29
12. पढ़-लिख छोरै धक्के खारे- 31
13. गाणे रेप बणावैं – 33
14. ओक्का ताजा- 35
15. माट्टी आळे आरे टुट्टे- 37
16. हरयाणे के छोरे ठाडे- 39
17. चमक चांदणी – 41
18. रा के मुसाफर – 43
19. फाग्ण के म्हं – 45
20. कालज आळी छोरी- 47
21. फेसबुक फ्रेंन्डा म्हं- 49
22. आंतकवादी छोरी- 51
23. लुक-छुप के- 53
24. लुक्का-छिप्पी खेलण- 55
25. गजबण छोरी- 57
26. सामण आळे झुल्ले- 59
27. दो घुट पी कै – 61
28. बणकै सपना छोरी – 63
29. तेरी गळी म्हं- 65
30. चार पैग म्हं – 67
31. लाल परी की- 69
32. धाड़ मारदें – 71
33. सर पै धर कै – 73
34. मेरे दिल के- 75
35. मेरी सुक्की क्यारी- 77
36. म्हारे प्रेम की- 79
37. फेसबुक टवीटर- 81
38. एकली फिरूं सूं- 83
39. मकलावे की रात – 85
40. चोंका उपर सांड- 87
41.हरियाणवी बोलियां- 89
42. ओट्ठा म्हं खांड- 91
43. छोरी नाचलयो- 93
44. फेसबुक पै- 95
45. मेरा बनड़ा लाड- 97
****

दोस्तो देसां म्हं देस अरियाणा, जित्त दूध दहीं का खाणा। म्हारा अरयाणा दिन दुगणी रात चोगणी तरक्की करै सै। अर तरयां के कारखान्यां म्हं छोरयां नै घणा रोजगार मिलरया। चमचमांदी ओई पक्की सड़कां, नैरां, अरे-बरे खेत अड़ै की खास पछाण सै। अड़ै नेक देखण जोग्गे तीर्थ सै जिनमैं अर साल मेल्ले लगां। अपणे अरयाणे की शान म्हं मन्नै यें खास 2 रागणियां लिखि। पढ़ कै सारे भाईयां कतई जी सा आजागा।

हरियाल्ली छावै खेतां म्हं

हरियाल्ली छावै खेतां म्हं, म्हारा साधा बाणा सै,
अरयाणे के वासी, दूध दहीं का खाणा सै।

पानीपत की खड्डियां म्हं, ओवै घणा कमाल सै,
कहीं बुणरे ऊनी कंबल, कहीं बुणरे शाल सै,
लुगाईयां के चरख्यां पै, धाग्यां आळा जाळ सै,
ताकू कै म्हं पूणी घलरी, उपर चढ़री माल सै,
दरियां, खेस, रमाल घणा, बदेसां तक जाणा सै,
अरयाणे के वासी, दूध दहीं का खाणा सै।

पित्तल आळे बर्तना म्हं, जगाधरी सबनै भावै,
अम्बाले ते दुनिया के म्हं, सैंस का समान जावै,
गुड़गावा फरिदाबाद, नोवे उधोग लावै,
बेरोजगारी दूर ओई, रोजगार की कमी ना आवै,
इक दिन अमनै जग पै छा, मंगल पै जाणा सै,

अरयाणे के वासी, दूध दहीं का खाणा सै।

आदि बद्री तीर्थ पै, बणरया सुरस्ती का बाणा,
पेवा वाले कुण्ड म्हं, पवित्र ओवै म्हारां नाणा,
मोरणी के ताल्लां नै, देखण इबकै अमनै जाणा,
कुरछेत्र पावन धरा पै, ओया सै अरि का आणा,
अरयाणे के तिरथा नै, देक्खै माणस स्याणा सै,
अरयाणे के वासी, दूध दहीं का खाणा सै।

बाजरे की खिचड़ी म्हं, अड़ै देसी घी सा छाग्या,
मक्की आळी रोटी पै, साग गेल्यां जी सा आग्या,
पिज्जे बर्गर पेट काढैं, मोटा जो पेटल सा लाग्या,
नफे सिंह गगनपुरीये नै, खाणा सादा सा भाग्या,
देस्सी घी के जलेब खाण इब, गुवाणा जाणा सै,
अरयाणे के वासी, दूध दहीं का खाणा सै।
****

हिंदी में हिंदी में सरलार्थ-बाणा- पहनावा। माणस- मनुष्य। स्याणा- चतुर। गेल्यां- साथ में। स्कट- एक हिंदू त्योहार का नाम जिसमें गुड़ में तिल मिला तिलकुट व्यंजन तैयार कर खाते हैं।

2 जग म्हं चांदण कर राख्या

जग म्हं चांदण कर राख्या, भारत की यो शान सै,
अमनै अरयाणे पै अपणे, सबते ज्यादा मान सै।

ऊंच-नीच भेदभाव ना, अड़ै कोई सी जात्तां म्हं,
छान्ना ज्यूं टपका ना लागै, घणे मीं बरसात्तां म्हं,
हर माणस का बणरया, अड़ै सी पक्का मकान सै,
अमनै अरयाणे पै अपणे, सबते ज्यादा मान सै।

क ख ग घ, ए बी सी डी, बुड्डे पढ़लिये,
गुंठा टेक माणस अड़ै सी, कद के रढ़लिये,
म्हारी सरकार चलावै, सर्वशिक्षा अभियान सै,
अमनै अरयाणे पै अपणे, सबते ज्यादा मान सै।

हरयाणे के छोरा-छोरी, खेल्लां के म्हं जावां सै,
जणेखणे नै धूळ चटा, पान्डा भर पदक ल्यावां सै,
हरयाणा के गबरू छोरे, म्हारे दिल अर जान सै,
अमनै अरयाणे पै अपणे, सबते ज्यादा मान सै।

तीन रंग का म्हारा तरंगा, अमनै घणा जचै,
इन्द की सरहद पै जो आजा, बैरी ना बचै,
हरयाणवी हाथां म्हं सैना की कमान सै,
अमनै अरयाणे पै अपणे, सबते ज्यादा मान सै।

थोथे सपने, झुठी पिंगा, कदै भी झुल्लैं ना,
मोह माया म्हं फंसकै अपणा, करतब भुलैं ना,
इसी जगां पै अरि देवै, अर्जन ते गीता ज्ञान सै,
अमनै अरयाणे पै अपणे, सबते ज्यादा मान सै।

मुरलीधर अड़ै बसरया, दिल तै बाहर जावै ना,
बाड़ भुचाल कोय आपद, अड़़ै कदी सी आवै ना,
नफे सिंह गंगनपुरीये का, अरदम रबपै ध्यान सै,
अमनै अपणे अरयाणे पै, सबते ज्यादा मान सै।
****

हिंदी में सरलार्थ-माणस- इन्सान। बास्सा- रहना, स्थाई निवास। करतब कार्य। जात्तां- जातियां। कदी- कभी। अरि- हरि, ईश्वर। छान्ना- झोपडि़यां। रढ़लिय- परिपक्व।
दोस्तो भारत पाकिस्तान की तणातणी म्हं एक फौजी छौरे का ब्या आग्या। साहब की मिन्नत खसामद कर उसनै बड़ी मुश्कल तै दस दिन की छुट्टी ले ली। भाग दौड़ म्हं ब्या-मकलौवा ओग्या पर इब्बै दस दिन भी पूरे कोन्या ओए सातवें दिन साहब का फोन खड़कग्या- ‘जवान इब्बै पलटन म्हं आजरी दे रात नै पाकिस्तान की सर्जिकल स्ट्रैक गेल रगड़ाई करैंगे।’ दोस्तो पांच-सात दिन म्हं ब्याले जोड़े के कुणसे चा पूरे ओवां थे। फौजी अपणी वर्दी डाट, कांधे पै रैफल धर डयूटी पै जाण लग्या तो उसकी ब्याई बहु रोण लागगी, अर न्याणी जागती का रूदन देख धोरै खड़े बाब्बु की भी आंख्यां म्हं पाणी आग्या। मन ई मन या सोचण लाग्या फौजी छौरे का बाब्बु…

कांधे रैफल धरकै चाल्या

कांधे रैफल धरकै चाल्या, पलटन घिरगी भारी,
कुछ तो हल काडो इसका, या जंग सदाते जारी।

पिटठु म्हं समान घणा, पाड़ा उपर चडज्यां सै,
मुंदे पड़कै गोली मारैं, मौत के म्हं बड़ज्यां सै,
दुश्मन लाके म्हं घुसकै, छाती उपर खड़ज्यां सै,
बांध नसाना गोले दागैं, धड़ उपर ते सरज्यां सै,
सर्जीकल स्ट्रेक करण नै, भारत नै सेन्ना तारी,
कुछ तो हल काडो इसका, या जंग सदा ते जारी।

धां-धां कर कै गोले बाज्जां, राकट छूटरे,
धड़ कड़ी, सिर कड़ी गिरैं, म्हारे भाग फूटरे,
कुछ मरज्यां सै कुछ मारैं, संगी साथी टूटरे,
लड़ाइयां पवाणिये बन्दे अड़ै, मजे लूटरे,
इन चिट्टे लबासां की या, बुद्धि किसने मारी,
कुछ तो हल काडो इसका, या जंग सदा ते जारी।

एकला चराग बुजग्या, दिन क्युकर काटांगे,
टूक अंदर जावै कोन्या, नोट्टां नै के चाटांगे,
न्याणी उम्र विधवा का दिल, क्युकर ढाटांगे,
चांद ओल्ला ओग्या सै इब, तारे सारे फाटांगे,
नफे सिंह गगनपुरीये की, मौत गेल थी यारी,
कुछ तो हल काडो इसका, जंग सदा ते जारी।
****

हिंदी में सरलार्थ-काडो- निकालो। पाड़ा-पहाड़। घणा- अधिक। बन्दे- लोग। ओल्ला- ओझल।

दोस्तो अड़ै दुनिया म्हं माणस आरे-जारे। यें के करण आवैं सै अड़ै? कुछ दकान्ना म्हं बैठ कै मरज्यां, कुछ कलकारखान्या, खेत, सड़क पै उम्र गजार दें। सारी आण मेरी-मेरी, पारा सातवें आसमान पै चढ़या रवै। भाईयो अड़ैसी ना कुछ लेका आए थे, ना कुछ लेजणा। मेरी मान्नो तो बस उतना ई जोड़-तोड़ लगाया करो जिसमे बंदा बडिया डाळ खै-पी ले। जमिन्ना अर नोट्टा की बोरियां तो थारे बाद थारे बाळकां नै अवारा बणैदेंगी। म्हारे बड्डे स्याणे कैंदे आए ‘पूत सपूत तो क्यूं धन संचय, अर पूत कपूत तो क्यूं धन संचय।’ छिन्नाझपटी, बेईमाना, दूसरया का अक मार दौलतां के डेर लैका तो नर्क का भागी इ बणना सै। भाईयो मेरी इस रागणी म्हं योए संदेस सै कै टैशन लेणे की जरूरत कोन्या, अरदम खुश रहया करो। जुणसा खा लिया अपणा अर रैग्या बगान्ना, जिंदगी के दिंगताणे तो यूंए चलदे रवांगे।

दुनिया के धिंगताणे म्हं

दुनिया के धिंगताणे म्हं, तेरी जान कसुति फसज्यागी,
फुल्लां ज्युकर खिल्या करया कर, महक दूर तक बगज्यागी।

करग्यां के म्हं बंद ओरे, खुल कै सांस आता ना,
टिप्पे खिरक तक आकै बगज्यां, कदै छोर थ्याता ना,
ताणे का यूं बाणा बणज्या, घणा टेम लगाता ना,
कितने बणगे महल दुम्हले, ये हमको बतलाता ना,
सुक्कि लाकड़ पाड़ के धरले, बडिया एैग लगज्यागी,
फुल्लां ज्युकर खिल्या करया कर, महक दूर तक बगज्यागी।

खेत बीजणे नींद न आवै, पो की रजाई म्हं,
गात सूक कै कंगर बणगे, डाक्कर की बणाई म्हं,
कोठी-कुठले लिप्पे रैगे, चाक्कि रही अराई म्हं,
मूळ खड़या रह, सूद पटैना, इस पापी मगाई म्हं,
फंदे गालण ते क्या तेरी, कढ़ की जूळ उतरज्यागी,
फुल्लां ज्युकर खिल्या करया कर, महक दूर तक बगज्यागी।

मो माया तै दूर रयाकर, उड़ज्यांगे सब सिरके साई,
खाया पीया पड़ै पेट म्हं, खूड मरब्बे किसके भाई।
खज्जल-खवारी म्हं तनै, घणी कसुती जान फसाई,
चिट्टे कफना म्हं ढकजैंगे, ओगी कुणसी जेब सिलाई,
नफे सिंह गंगनपुरीये नै, अमर दवा क्या लगज्यागी,
फुल्लां ज्युकर खिल्या करया कर, महक दूर तक बगज्यागी।
दुनिया के धिंगताणे म्हं, तेरी जान कसुति फंसज्यागी,
फुल्लां ज्युकर खिला करयाकर, महक दूर तक बगज्यागी।
****

हिंदी में हिंदी में सरलार्थ-दिंगताणे- बेहिसाब मेहनती कार्य। करग्यां- खड्डियां। टिप्पे- निशान। खिरक- जिस लकड़ी पर ताना सरकता है। पो- पोह, सर्दी का महीना। डाक्कर- चीकनी मिट्टी। कढ़ की जूल- बैलों के कांधे पर रखा हल का जूला। खज्जल-खवारी- जी-जान से कार्य करना।

दोस्तो म्हारे अरयाणे की छोरियां, छोरयां तै घाट ना सै। आक्की, कुस्ती, बैडमिटन, तीरअंदाजी जैसे सारे खेल्ला म्हं इननै जमाय धाक बणा राक्खी सै, अर यें सेन्ना म्हं लड़ाकु जाज ले कै दुसमन के सिर पै गोळे धाग, झटदे वापस आजां। दोस्तो म्हारे अरयाणे की छोरियां पूरी दुनिया पै छाकै अरयाणे अर भारत का नाम चमकैरी सै। अरयाणे की छोरियां की शान म्हं मेरी या रागणी जद अरयाणा साहित्य अकादमी की पत्रिका हरिगंधा में छपी थी तो इसनै बड़ा पसंद करया गया था इब मन्नै या इस कताब म्हं लगादी, या सारे अरयाणा वासियां नै पसंद आवैगी। A

दुनिया म्हं कमाया नाम

दुनिया म्हं कमाया नाम, अरियाणे की छोरियां नै,
भारत की बड़ैदी शान, अरियाणे की छोरियां नै।

रोहतक की म्हारी साक्षी, कुस्ती करण जावै सै,
अखाड़े म्हं दण्ड पैल कै, धोबी-पाट लगावै सै,
अलोम्पिक म्हं खेलै छोरी, शान ते घर आवै सै
नामी पहलवाना चित करै, घणे पदक ल्यावै सै,
लगा दी पूरी जान, अरियाणे की छोरियां नै,
भारत की बड़ैदी शान, अरियाणे की छोरियां नै।

शाहबाद की रितु राणी, हरियाणा की शान बणगी,
पांचवीं ते आक्की खेल्ली, टीम की कप्तान बणगी,
सानियां मिर्जा टैनिस के म्हं, भारत की जान बणगी,

साइना बैडमिन्टन म्हं, म्हारी आन-बान बणगी,
करया सै काम महान, अरियाणे की छोरियां नै,
भारत की बड़ैदी शान, अरियाणे की छोरियां नै।

म्हारे देश की छोरियां, पढ़ाई म्हं अब्बल आरी रै,
तारे बणकै चमकण लाग्गी, स्टेजा उपर छारी रै,
सेना के म्हं भरती ओकै, लड़ाकू जाज चलारी रै,
नफे सिंह गंगनपुरीये की, घणी आस बंधारी रै,
काम पै धरया ध्यान, अरियाणे की छोरियां नै,
भारत की बड़ैदी शान, अरियाणे की छोरियां नै।
****

हिंदी में सरलार्थ-छोरियां- लड़कियां। जावै- जाना। अब्बल- प्रथम।

दोस्तो इस गीत म्हं मेरा पूरा आंगा लाग्या सै। इसमै मन्नै समाज के सबते कमजोर तबके यानी मजदूरों की वाज ठाई सै। गरीबी दूर करण के वादे तो सारी राजनीति पार्टियां करैं सै पर आज तक मजदूर उपर कोन्या उठे। इनके लाल-पीळे जैसे मर्जी रासन कार्ड बणैदिये पर गात म्हं चांदणा चमकै सै। इनकी सारी चर्बी एक-एक टन के चर्बी वाळे बेईमान खागे। सारे संस्थान्ना म्हं लगे मजदूरां नै डी.सी रेट की मजदूरी भी कोन्या मिलै। मैं तो भाई सरकार ते या मांग करूं सूं के इनका पोषण करण नूं आंगन वाडि़यां म्हं वसा वाळे भोजन का प्रबंध करैदयो।- साथियो एक बे एक बिहारी मजदूर सरदार मिस्त्री की गेल कांद बणावै था। सरदार पैड पै खडया ओकै चणाई करण जमाये मडया पड़या था। सरदार काम ओर खेंचण नै भइये तै बोल्या-‘ओए! चक दे फट्टे काके।’ भइये नै पंजाबी कड़ै आवै थी। मेरे बटे नै सरदार के पायां निच्चे ते फट्टा खेंच लिया अर सरदार धड़ाम जमीन पै।

दिल की जुबां पै

सिन्ने म्हं मेरे आग चासरी, दिल की जुबां पै आवै सै,
मयखाने म्हं आकै बैठया, फेर भी प्यास ना जावै सै।

इन्टा पकड़ दवालां पै टंगगे, जिन्नै की जगां,
सारी उम्र खून बै दिया, पसीने की जगां,
म्हारे इन्से म्हं फेर भी, बूंद एक ना आवै सै,
मयखाने म्हं आकै बैठया, फेर भी प्यास ना जावै सै।

धोळे बाणें चढ़ैं मंच पै, कर रे फोक्के ब्यान,
सारी आण औरे, दो टुक देण के अलान,

इन घिसे ब्लेडां ते, म्हारी दाढ़ी ना बण पावै सै,
मयखाने म्हं आकै बैठया, फेर भी प्यास ना जावै सै।

कोय थोड़ थ्याजैंगी, जद सारा उन्नर आजागा,
अंधेरयां तै निबड़़ैंगे, जद म्हारा सूरज थ्याजागा,
तेरी रोसनी आळी अमनै, भीख कदे ना भावै सै,
मयखाने म्हं आकै बैठया, फेर भी प्यास ना जावै सै।

तेरी जुल्फां जद भी उळझी, अमनेइ सळजाई सै,
तेरी रूप की अमने बावळी, कदे सों ना खाई सै,
नफे सिंह गंगनपुरीये पै, क्यांनू दोस लगावै सै,
मयखाने म्हं आकै बैठया, फैर भी प्यास ना जावै सै।
सिन्नै म्हं मेरे आग चासरी, दिल की जबां पै आवै सै,
मयखाने म्हं आकै बैठया, फैर भी प्यास ना जावै सै।
****
हिंदी में सरलार्थ-चासरी- जल रही। जबां- जबान, जीभ। उन्नर – हूनर। क्यांनू -क्यों।

‘कीडियां से बड़गे माणस, घणी बिपासा बड़री सै, इंच-इंच पै गर्दन कटजा कसुत्ती भावी चढ़री सै।’ साथियो या मेरी रागणी भीड़ की समस्या पै सै। गाम्मा म्हं तो इब्बै फेर भी ठीक सै, पर शैरां म्हं तो इतनी जनता बडगी के सांस कोन्या आवै। लोग जमाये एक दूसरे के कांधयां पै चढ़कै चलैं है। जिस डाळ पैलां धरती पै कीड़रोण फिरया करैं थे इब माणस फिररे सै। भागम-भाग ओरी अर मेरी सास्सू के कईं तो रेल्ले देकै रेस लागाण लग्जां। सड़क पै तो किसी वाहन वाळे नै माड़े से भी ब्रेक मारदिये पाच्छे ते आकै दर्जनों गाडि़या भिड़जां सै। भाईयो या जनता अमी नै घटाणी पड़ेगी अर ‘एक ई बच्चा, सबते अच्छा’ की रीत चलाणी पड़ैगी।- दोस्तो एक बे पप्पू की बरात म्हं पूरा गाम चलया गया। बरात लेण तै पाच्छे जद खाणे का बलावा आया तो बरात्तियां नै टैंट म्हं खाणे का भोरा नी छोडया, जमाय पत्तल चाट कै बगैदी। जिब छोरी गालण का टेम आया तो छोरी का बाब्बू पप्पू के बाब्बू नै कूण सी म्हं ले जाकै बोल्या-‘रिस्तेदार ये थारे गाम आळे कितने साल के भुक्खे थे, दहीं म्हं दस बाल्टी पाणी पाकै देखली, दाळ म्हं पाणी मिलालिया पर यें मारे तै फेर भी कोन्या रजे।’ ‘चौधरी इसका तो लाज थारे पैइ था, जड़ै इतना करया ओडै पांच-सात पेटी दारू का भी जुगाड़ करलेंदे तो म्हारे छोरे रोट्टी की बजाय नागण डांस म्हं इ पेट भरलेंदे।’ पप्पू का बाब्बू बोल्या।

कसुत्ती भावी चढ़री सै

कीडियां से बड़गे माणस, घणी बिपासा बड़री सै,
इंच-इंच पै गर्दन कटजा, कसुत्ती भावी चढ़री सै।

चंडु-मंडु पैदा ओ कै, यूं ए सुक्के चंढगे रै,
मरब्यां आळी पाळ रही ना, किल्ले सारे बंडगे रै,

गंधारी से चौणे करकै, यें बुड्डे अमनै डंडगे रै,
देशी घी की चास रइना, सुक्के टिकड़ बंडगे रै,
अम दो म्हारे भी दो, इब युवा पीढ़ी पढ़री सै,
इंच-इंच पै गर्दन कटजा, कसुत्ती भावी चढ़री सै।

डेग कढ़ाहे सारे बिकगे, बेच दई घर की चाट्टी,
कुणबे टुटे घर बंडगे सै, इब हाथ आगी बाट्टी,
मेरी-मेरी ओरी सै या, जावै नै किस्मत डाट्टी,
बेलियां की रोणक थे जो, खप गए सै वैं लाट्टी,
पर्दे भित्तर रहया करै थी, इब चौंकां पै खड़री सै,
इंच-इंच पै गर्दन कटजा, कसुत्ती भावी चढ़री सै।

सारे माणस कट्ठे ओजो, नया अभयान चलावांगे,
घर बार बंटे कोन्या, एक इ बालक बणावांगे,
घणी आबादी रोजगार ना, इब इसनै घटावांगे,
नफे सिंह गंगनपुरीये के, संग सबनै समझावांगे,
निच्चै दबकै सांस बैठग्या, या भीड़ उपर खड़री सै,
इंच-इंच पै गर्दन कटजा, कसुत्ती भावी चढ़री सै।
कीडियां से बड़गे माणस, घणी बिपासा बड़री सै,
इंच-इंच पै गर्दन कटजा, कसुत्ती भावी चढ़री सै।
****
हिंदी में सरलार्थ-बिपासा- प्यास। चौणे- बेहिसाब बच्चे। लाट्टी- बड़े जमींदार। कट्ठे- एकत्र।

‘दफ्तर आळे बाबू ना अम, टूक मिलै अळ बाकै, तांदे जूणे कर राक्खे, इब भूस बांधणा जाकै।’ दोस्तो मेरी या रागणी सारे कसान भाईयां नै समर्पित सै अर साथियो मैं भी दफ्तर आळा बाबू कोन्या, कसान सूं कदे थम सोचदे ओं गगंनपुरीया तो एयर कडीसन कमरे म्हं बैठ कै रागणियां लिखदा ओगा। मैं कापी के दो पन्ने पाड़ कै जेब म्हं गाल कै चलूं। इस कताब की घणी रागणियां तो मन्नै गन्ठयां की कढाई करदे ओए सोच के लिक्खी सै। दोस्तो कसान तो बारां मिन्नै खेत म्हं मंडेइ रहां, अर जी करै तो फेर अपणे डटकै चा भी पूरे करलें। सारे आर-तंवार पूरा चा करकै मनावां। लेक्सन ओ या ब्या, सगाई, बोतलां ते बात नी बणदी, फेर तो लालपरी की पेटियां चाल्लां।- दोस्तो एक बे मलाई वाळे मैकमे के पप्पू बाबू नै अपणे दफ्तर म्हं लोगां का चुन्ना लाकै घणा नाम्मा पीटलिया। उसने उस पीसे तै दस-बारां किल्लै खरीद लिये पर उसनै खेत्ती करणी कड़ै आवै थी। मेरे बटै नै एक रढ़या ओया कसान अपणी खेती की देख-रेख पै रख लिया। कसान नै भी सोच्ची ‘चळो दो-चार खूड अपणे वाळे मलाकै पप्पू आल्यां म्हं भी घाट-बाध करलिया करांगे।’ उसनै पप्पू के खेतां म्हं गण्डा बीज दिया। गण्डे चार-पांच मिन्नै म्हं बासां डाळ बधगे पर एक दिन कसान नै खेत म्हं पाणी फेरया इ था तब्बे आंधी आगी। तेज आवा ते सारा गन्ना पाणी म्हं बिछग्या अर उपर तै पप्पू बाबू कार म्हं बैठकै अपणी फसल के दौरे पै आग्या। ‘ओये कसान, ये गन्ना कैसे गिर गया इस खेत में।’ पप्पू कार ते उतरदेई छो म्हं आकै बोल्या। ‘बाबू जी यो गिरया ना सै, यो तो गर्मी की वजां ते पाणी म्हं पड़कै नावै सै।’ कसान नै सोच्ची के इसनै कोणसी खेत्ती करणी आवै, जैसी मर्जी फैंकदयो। ‘अच्छा ये नहाता भी है? मैं नहीं मानता।’ पप्पू कसान पै शक करदा ओया बोल्या। ‘कल आकै देखलियो, आपनै सारे गण्डे सीधे खड़े मिलांगे।’ कसान बोल्या अर उसनै पप्पू के जांदे इ गण्डा बांधणे पै लेवर लादी।

तांदे जूणे करके राक्खे

दफ्तर आळे बाबू ना अम, टूक मिलै अळ बाकै,
तांदे जूणे कर राक्खे, इब भूस बांधणा जाकै।

चिडि़यां के जगणे ते पैलां, सारा जमान्ना सोवै सै,
डंगरा आगै न्यार पाण का, म्हारा टेम ओवै सै,
अळ जूळे बैलां पै धर कै, जोतण खेत जावैं सै,
चार अरलाई पाड़ धरी, तब जाकै रोटी खावैं सै,
मक्की की रोटी पै टिंडी, गौरी खोलै छालणा आकै,
तांदे जूणे कर राक्खे, इब भूस बांधणा जाकै।

मक्की के टांडया म्हं अमनै, घणे उड़द लगा राक्खे,
पल्ली भरके खेत ते काडां, पसीने खूब बहा राक्खे,
सामण म्हं मीं ढटकै बरसै, बोरी के झूम बणा राक्खे,
बगड़ के म्हं झुल्लैं छोरियां, छत म्हं झुल्लै पा राक्खे,
गौरी जद सखियां संग झुल्लै, पिन्गा दे अम आकै,
तांदे जूणे कर राक्खे, इब भूस बांधणा जाकै।

बैठक के म्हं लगैं रोणकां, अरदम ओक्का ताजा सै,
चार खाट पै बाजी लगज्या, कत्ती जी सा आजा सै,
ए रै उकम आले इक्के का यो, रंग सबनै भाजा सै,
नफे सिंह गंगनपुर आळा, चुपके ते तुरूप बताजा सै,
चार दिन की ओ जिंदगानी, रक्खो सबतै बणाकै,
तांदे जूणे कर राक्खे, इब भूस बांधणा जाकै।
****
हिंदी में सरलार्थ-टूक- रोटी के टुकड़े। डंगरा- पालतु पशु। टेम- समय। रोणकां- म्हफिलें।

‘काज करणीये माणस के भाई, हाथां के म्हं जाम सै, गाल बजाणे बेकरव्या का, पीणा ओया हराम सै।’ दोस्तो या रागणी बेलड़ा नै समझावण नै लिखि सै अक कुछ काम-धाम कालियो करो ना ते या दुनिया बडी आग्गै लिकड़ज्यागी अर थारे आथ कुछ नी आणेका। अर भाई अड़ै ते कुछ नी लेजणा, मड के काम करो, अर खाओ-पीओ ऐस करो। म्हारे बड्डे भी कवैं सै ‘के कर मजूरी खा चूरी, अर कर मौजड़े खा खोसड़े।’ या बात सोळां आन्नै सच्ची सै। -दोस्तो एक बर बेल्यां की जमात लागरी थी। उनमैं ते एक बेलड़ बोल्या-‘मैं तो भाई सबेर का नास्ता बैड पै इ करूं सूं। मेरी बन्नो आणकै पैलों मेरे आथ धवावै, फेर मन्नै प्यार ते थाळी पकड़ाजा।’ दूसरा बोल्या- ‘अ मेरे यार, तेरे ते बडिया तो मेरी बन्नो सै। मेरे वाळी रोटी ल्याकै मेरे मू पै पंखा करदीओई रोटी की बुरकियां तोड़ कै मन्नै खळावै सै।’ तिसरा बोल्या- ‘थारे वाळी तो आळसी सैं, मेरे वाळी तो रोटी की बुरकियां तोड़ कै अपणे मूं म्हं अच्छी डाळ चिकल कै मेरे पेट म्हं पावै सै।’

हाथां के म्हं जाम सै

काज करणीये माणस के भाई, हाथां के म्हं जाम सै,
गाल बजाणे बेकरव्या का, पीणा ओया हराम सै।

आये कड़ै ते दुनिया म्हं अम, पाळी बणकै,
के काटया सै इब तक अमनै, आळी बणकै,
सुक्के अल्क म्हं बूंद बहै कद, खाळी बणकै,
धान्ना आळे कान्ने रैगे, पराळी बणकै,
पीळी पटदे देर लगै ना, ओज्या पल म्हं शाम सै,
गाल बजाणे बेकरव्या का, पीणा ओया हराम सै।

धिंगताणे की खज्जलखारी, पाणी सा भरज्यां सै लोग,
के ल्याए थे, कै ले जांगे, आकै नित बगज्यां सै लोग,
इंच-इंच पै लड़ण लागगे, रास्से घणे करज्यां सै लोग,
धौळे कफन की राख बणेकै, घर कन्नि बडज्यां सै लोग,
तेरा पतला चाम घणा यो, बता इसका के दाम सै,
गाल बजाणे बेकरव्या का, पीणा ओया हराम सै।

चमक चांदणी जड़ै दिखगी, सबने औड़े डेरे डाले,
कुछ तो चमके चांद से, कुछ बणे दिल के काळे,
बाळकां डाळा खेलण लागगे, यें बाणक देखे भाळे,
नये मकान्ना म्हं आगे, पराणयां म्हं लाग्गे जाळे,
नफे सिंह गंगनपुरीये का, छंद लिखण का ई काम सै,
गाल बजाणे बेकरव्या का, पीणा ओया हराम सै।
काज करणीये माणस के भाई, हाथां के म्हं जाम सै,
गाल बजाणे बेकरव्या का, पीणा ओया हराम सै।
****
हिंदी में सरलार्थ-काज- काम। पाळी- पशू चराने वाला। आळी- खेतों में वार्षिक बंधुआ नोकर। आंण-जांण- आने-जाने।

‘म्हारी झण्डी वाली कार पै, जिब लाल बत्ती जगज्या, ब्लैक कैट कमांडो वाली, आग्गै जिप्सी लगज्या।’ दोस्तो या मेरी रागणी आजकल के एंडी छोरयां के नाम सै। इस रागणी नै पोप, गीत, रैप जिस डाळ मर्जी गाल्यो या अर सांचे म्हं फिट बैठजागी। साथियो सा मन्नै केवल मनोरंजन करण नै लिखि सै कदै थम कुछ और मतलब काडल्यो। अर भाई आजकल ऐसा इ मसाला लोग पसंद करैं सै।

म्हारी झण्डी वाली कार

म्हारी झण्डी वाली कार पै, जिब लाल बत्ती जगज्या,
ब्लैक कैट कमांडो वाली, आग्गै जिप्सी लगज्या,
पाच्छे भी अम जित्ते थे, इबकै ओरी जय-जयकार,
देखल्यो फेर बणगी, फेर बणगी म्हारी सरकार,
देखल्यो फेर बणगी।

म्हारे छोरे जत्थयां म्ह आवैं,
लंडी जिप्सी पस्तोलां ल्यावैं,
घोड़े दाब्बैं, धुम्मे ठावैं,
तड़ी मार वोट गलावैं,
लालपरी के दें समंदर वार,
देखल्यो फेर बणगी……………।

फोर्ड उपर, डिज्जे लारे,
ट्राली भर कै, मंडी आरे,
हरे नोटा के बंडल ल्यारे,
बीयर विस्की, मुर्गे खारे,
रोळा पावणियां के,
दें हीक म्हं गोली तार,
देखल्यो फेर बणगी……………।

म्हारे छोरे कालज जावैं,
कत्ती ना कताबां ठावैं,
छोरियां गेल्यां यारी लावैं,
कन्टीना म्हं माल पियावैं,
घणी एंडी सै इनकी रफ्तार,
देखल्यो फेर बणगी……………।

ब्या शादी म्हं मफल सजालें,
बोतल खोलैं डिज्जे बजालें,
नागण डांस, कदै ठुमके लालें,
नोटां की गडियां उडालें,
नफे सिंह गंगनपुर वाळा, सै यारां का यार,
देखल्यो फेर बणगी……………।
पाच्छे भी अम जित्ते थे, इबकै ओरी जय-जयकार,
देखल्यो फेर बणगी, फेर बणगी म्हारी सरकार,
****
हिंदी में सरलार्थ-पाच्छे- पिछली बार। जत्थयां- समूहों में। तड़ी- बलात। हीक- गला। रोळा- हो-हल्ला। बध्यां- लोग। कत्ती- बिल्कुल भी नहीं।

‘म्हारे गाम की फिरणी उपर, जो आवै वा तिरज्या सै, चुगरदे नै छम-छम ओकै, आधी दुनिया मिलज्या सै।’ साथियो इब एक रागणी उन बतुन्नि लुगाईयां के नाम सै जो गांम की गळि, फिरणियां पै सिर पै गोबर के भरे ओये तसले ले कै आपस म्हं घण्टे तक बातां करण लागजां अर बीच-बीच म्हं यूं भी कवे जां-‘मन्नै तो देर ओरी सै, पप्पू का बाब्बु भी कैम पा जागा अर इबै तो बाळकां ना रोटी भी ना खाई।’

म्हारे गाम की फिरणी

म्हारे गाम की फिरणी उपर, जो आवै वा तिरज्या सै,
चुगरदे नै छम-छम ओकै, आधी दुनिया मिलज्या सै।

एक जणी के सर पै लाकड़ी, एक पै जबर बरोट्टा,
सखियां आकै मिली चोंक पै, टोरा मारैं मोट्टा,
यूं तो ओगी वार मन्नै पर, बोलण का के टोट्टा,
उसका कुणबा आट्टो-पाट्टी, इसका माणस खोट्टा,
सारे जग पै अंसलेंगे, अपणी पै जबां सिलज्या सै,
चुगरदे नै छम-छम ओकै, आधी दुनिया मिलज्या सै।

कुछ म्हं ओजा गात रसिला, कुछ ओजां तकरार की,
मन की गांठ खुलजां सै जद, आजां बात यार की,
फागण आळे गित्तां की कुछ, नौरस आळी ब्यार की,
मोत्ती डाळा दांद चमकजां, बातां करैं जद प्यार की,
दिल म्हं लडडु से फुटां अर, मन म्हं फूल खिलज्या सै,
चुगरदे नै छम-छम ओकै, आधी दुनिया मिलज्या सै।

कदै दिक्खै सै नैन कटारी, कदै चेरे का नूर खोया,
कदै छुट्टी ले आग्या बालम, कदै नजर तै दूर ओया,
कदै आगे सीळै झोल्ले, कदै थक कै चूर ओया,
कदै आख्यां म्हं टपके आंजू, कदै सुक्का दूर ओया,
नफे सिंह गंगनपुर वाळा, सोच्चां के म्हं गिरज्या सै,
चुगरदे नै छम-छम ओकै, आधी दुनिया मिलज्या सै।
म्हारे गाम की फिरणी उपर, जो आवै वा तिरज्या सै,
चुगरदे तै छम-छम ओकै, आधी दुनिया मिलज्या सै।
****

हिंदी में सरलार्थ- फिरणी- गांवों की बाहरी गली। जणी- औरत, स्त्रीलिंग। बरोट्टा- गट्ठड़। टोरा- गप्प। माणस- पुरूष, पति के संदर्भ में। चेर- चेहरे। बालम- पति। हरियाणे की औरतें पति के लिए बालम की बजाय मालक, लोग, तेरे वाला,तेरे घरवाला, शब्दों का इस्तेमाल करती हैं। झोल्ले- झोंके।

‘म्हारे पढ़.लिख छोरै धक्के खारे, नोकरी ना थ्याती, ठाड्डे गबरू पिंजर बणगे, यूं जळे तेल बिन बात्ती।’ दोस्तो मेरी या रागणी उन पढ़े-लिखै जागतां की समस्या नै लेका सै जो बड्डी-बड्डी डिग्रयां लेकै भी बेरोजगार धक्के खारे। पल्यां अस्सी के दशक तक जो छोरा दसवीं पढ़ले था उसनै सरकारी नौकरी थ्याजा थी अर ग्रुप डी, फौज म्हं तो अनपढ़ अर आठवीं वाळे भी चाल्या करैं थे, इब तो चाळा पाटरया भाई। बी.ए एम.ए पी.एच.डी करण वाळे भी ग्रुप डी की नोकरी बाळरे। नोकरी मिल्लै कोन्या उल्टे सरकार इनतै फार्मा के नाम पै पीसे भरवा कै कमाई करण लागरी सै। अर या भी सच्च सै दुखी ओकै छोरे फेर गलत रास्ते पै भी चाल्लै सै। कुछ अपणी जान खपैलें अर कुछ कट्टे पस्तोलां ठालें सै। -एक बै अरयाणे के दो बेरोजगार छोरे बैंक म्हं नोकरी करण नै इंटरव्यू देण गए। नोकरी पै तो मनैजर नै पीसे ले कै पल्याई बंधे लै लिए थे पर उन्नै कागजी खान्नापूर्ती भी करकै दखाणी थी। छोरयां तै उल्टे सीधे सवाल पूछ कै मनेजर बोल्या- ‘थम इस नोकरी के काबल कोन्या, जाऔ अड़ैते कड़ी ओर नोकरी देखो।’ ‘कोय बात ना सै’- छोरे खिस्से म्हं ते पस्तोल काड कै बोल्ले- ‘मेरी सास्सू के नोकरी ना दे पर बैंक के गल्ले म्हं ते पांच-सात साल तक की तनखा तो तन्नै देणी इ पड़ैगी।’

म्हारे पढ़-लिख छोरै धक्के खारे

म्हारे पढ़-लिख छोरै धक्के खारे, नोकरी ना थ्याती,
ठाड्डे गबरू पिंजर बणगे, यूं जळे तेल बिन बात्ती।

बीए एमए पीएचडी करली, सरकारी नोकरी टोवैं सै,
फार्म भरे तै बाणक बणै ना, माथा पकड़ कै रोवैं सै,
बेरोजगारी मार रही अड़ै, मंगाई चाक्की जोवैं सै,
रिस्वतखोर कपटी माणस, चादर ताणे सोवैं सै,
इन दिल के सच्चे मदरां म्हं, कोय आवै ना दात्ती,
ठाड्डे गबरू पिंजर बणगे, यूं जळे तेल बिन बात्ती।

जबर जुल्म की आंधी के म्हं, छोरे उन्मादी बणज्या सै,
कुछ तो अपणी जान खपेलें, कुछ फसादी बणज्यां सै,
नश्यां के चक्कर म्हं पड़कै, घणे अवसादी बणज्यां सै,
कंगाली के मारे ओयां के, कोण मदादी बणज्यां सै,
इन जुमले आले लिडरां ते, कदै बात ना बण पात्ती,
ठाड्डे गबरू पिंजर बणगे, यूं जळे तेल बिन बात्ती।

सारे छोरे कट्ठे ओकै, नई क्राति जगदयो रै,
काळी भेड की बलियां देकै, बेइमाना नै भगदयो रै,
धन्ना सेठां के पर काट्टो, सबनै एकसार बणदयो रै,
नफे सिंह गंगनपुरीये की, कुछ तो आस बंददयो रै,
घणे दाब बिन रस लिकड़ै ना, चास ना बण पात्ती,
ठाड्डे गबरू पिंजर बणगे, यूं जळे तेल बिन बात्ती।
म्हारे पढ़-लिख छोरै धक्के खारे, नोकरी ना थ्याती,
ठाड्डे गबरू पिंजर बणगे, यूं जळे तेल बिन बात्ती।
****
हिंदी में सरलार्थ-छोरे- लड़के, गबरू- युवा। दात्ती- दानकर्ता। बाणक- कार्य सिद्ध न होना। खपेलें- खो देना।

दोस्तो नौवे जम्माने के गीत रागणियां बणावणियां अर गावणियां नै पराणे बुड्डे पसंद कोन्या करैं। वैं अपणे पराणे जमान्या न याद कर कवैं -‘म्हारा टैम बडिया था अर मां, बाहण परवार म्हं बैठके रागणी सुणया करैं थी, इब तो गाणयां के नाम पै गंद भरया पड़या सै अर ओरतां पाछा अलांदी ओई स्टेज पै कुदां मारयों जां। पलां गाणे भी मर्यादा म्हं बणै थे, अर लखमी चंद, दयाचंद मायना, मेहर सिंह का आज भी तोड़ कोन्या। भाई राजकिश्न, कर्मपाल शर्मा, राजेन्द्र जैसे इब रागणी गावणिये कोन्या थ्यावैं।’ वैं अपणी जगां ठीक थे पर बखत के साथ सब बदल जा सै। इब नई आण की पौध भी चाळे पाड़री। भाई जैसा देश, वैसा भेस। जैसा लोग पसंद करण लागगे गायक, कवि वैसाइ परोसे जा सैं। पराणे बुडयां नै खुश करण नै मन्नै भी एक रागणी चेप दी पर अगले पन्या पै फड़कदी ओई आसकी की भी घणी रागणी गीत आवैंगे।

गाणे रेप बणावैं सै

सा रे गा मा भूल गए, इब गाणे रेप बणावैं सै,
मंदम सुरम्हं तान छेड़लें, उच्चे सुरम्हं गावैं सै।

सर पै लटां बंधा कै न यें, गबरू कोके पाण लगे,
टांडयां ज्युकर इल्लैं सै यें, गुल्ले भित्तर जाण लगे,
टिंडी घी की महक भूलगे, पीज्जे बर्गर खाण लगे,
नैरां तरणा भूल गए यें, बाथटब म्हं नाण लगे,
कुर्ते-धोत्ती पैरैं कोन्या, शेरवानी सिवावैं सै,
मंदम सुरम्हं तान छेड़लें, उच्चे सुरम्हं गावैं सै।

चौन्का के पै मण्डली नाचै, बेशर्मी गांठ बंधारी रै,
बिल्लो उछलै पाच्छा झटकैं, लोगां नू बरमारी रै,
पैसे खात्तर नंगे ओगे, झप्फियां खूब पवारी रै,
भजन कीर्तन छोड़ दिए, पॉप सांग सुणारी रै,
गीता रमैण धर टांडी पै, कोक सास्त्र अपणावैं सै,
मंदम सुरम्हं तान छेड़लें, उच्चे सुरम्हं गावैं सै।

चुगरदे नै पड़ज्या रूक्का, गाम्मा म्हं सांगी आया करैं,
नर-नारी सब कटठे ओज्या, रागणी खूब सुणाया करैं,
राज किशन, कर्मपाल शर्मा, बढि़या सुर म्हं गाया करैं,
लखमी चंद, जगन्नाथ जी कविताई खूब रचाया करैं,
नफे सिंह गंगनपुरीये नै, लय म्हं रागणियां भावैं सै,
मंदम सुर म्हं तान छेड़लें, उच्चे सुरमै गावैं सै।
सारे गामा भूल गए, इब गाणे रेप बणावैं सै,
मंदम सुर म्हं तान छेड़लें, उच्चे सुरमै गावैं सै।
****
हिंदी में हिंदी में सरलार्थ-लटां-बाल। पाण- पहना। नैरां- नहरां। टांडयां- पौधों के सुखे डंठल। इल्लैं- हिल रहे।

‘ओक्का ताजा कर राक्खया, आग दबी सै आरे म्हं, बेल्ले डब्बी खाट तोड़रे, मारैं किलक चबारे म्हं।’ दोस्तो वा भी जमान्ना था जद छोरे का मूंछ फूटदेई बाब्बू अळ की मुन्नी आथ म्हं पकड़ैदे था। इब तो भाई चाळा पाटरया अर नौवा जमान्ना ठाठ बांटरया। मेरे बटै तीस-तीस साल के छोरे-छोरियां की मण्डलियां बणरी, अर धड़ाधड़ मबैलां म्हं सैल्फियां चलरी। बैठकां म्हं सारी आण बेल्लड़ खाट तोड़ेजां अर ओक्के खेंच के धूंए छोड़ेजां। दोस्तो या मेरी रागणी देस के सारे बेल्लड़ा नै समर्पित सै। अर दोस्तो भलेई बात दुख-तकलीफ की ओ बेल्लड़ा की किलकी म्हं कमी ना आवै। -एक बै पप्पू की बैठक म्हं चार-पांच बेल्लड़ ओक्का चाटरे थे, तब्बे गाम का रलदू भागकै उनकै पास आकै बोल्या-‘रै थारी पाड़ वाळा लाभा नैहर की पटड़ी पै डिगग्या।’ ‘अच्छा रै, यूं क्युकर डिगग्या।’ ओड़ै बैठया एक बेल्लड़ किलकी मारकै बोल्या। ‘रै मोटरसैकल गिरगी।’ लाभा बोल्या। ‘यू क्यूकर रै, दबया तो ना।’ दूसरा बोल्या। ‘रै दबग्या, चोट लागगी।’ लाभा फेर बोल्या तो पप्पू नै छो आग्या अर जुत्ता ठाकै बोल्या- ‘मेरी सास्सू के, जितनी आण म्हं तों इन बेल्लड़ा ते मदद मांगण आया उतनी आण म्हं उसनै हस्पताळ म्हं पचैदंदा।’

ओक्का ताजा कर राक्खया

ओक्का ताजा कर राक्खया, आग दबी सै आरे म्हं,
बेल्ले डब्बी खाट तोड़रे, मारैं किलक चबारे म्हं।

नैना काजल जिन्स पैर कै, डुंगे मारदी चाल्लै रांड,
जेजी बी कट बाल बणारे, गलियां के म्हं छुटैं सांड,
देहियां के चटौरे सै यें, अजारां नै राखैं चांड,
अमर प्रेम की जाण नहीं, चुगरदे इनै दिक्खै खांड,
बंजर माट्टी कर राक्खी, के लाग्गैगा इस क्यारे म्हं,
बेल्ले डब्बी खाट तोड रे, मारैं किलक चबारे म्हं।

इन राडयां की हसीन परी का, सांझै ढक्कण खुलजा सै,
दो बोतल तै मूड बणै फेर, पूरा अल्ला बुलजा सै,
सिर म्हं घमेरी यूं चढ़री जणों, कोय झुल्ला झुलजा सै,
पां धरती पै टिकता कोन्या, नाली के म्हं डुलजा सै,
म्हारी गली का टॉमी आकै, क्या थ्यावै इस प्यारे म्हं,
बेल्ले डब्बी खाट तोड रे, मारैं किलक चबारे म्हं।

नश्यां ते भाई दूर रहो, इनते तकड़े ना होंगे,
दारू कारण मां बेटयां म्हं, झगड़े ना होंगे,
एबां कारण पड़े नर्क म्हं, लगड़े ना होंगे,
नफे सिंह गंगनपुरीये इनके, अगड़े ना होंगे,
सुरसी खाज्या जिन्सां ने फेर, मिलदा ना कुछ झारे म्हं,
मेरे बेल्ले डब्बी खाट तोड रे, मारैं किलक चबारे म्हं।
ओक्का ताजा कर राक्खया सै, आग दबी रहै आरे म्हं,
बेल्ले डब्बी खाट तोड रे, मारैं किलक चबारे म्हं।
****
हिंदी में सरलार्थ-डब्बी- फालतू के साथी। किलक- बेमतलब चींखना चिलाना। घमेरी- चक्कर आना। जिन्सां- बीज, अन्न। झारे- छानना।

‘माट्टी आळे आरे टुट्टे, गैसां पै दाळ गळारया सै, चुगरदे नै चमचम ओरी, नया जमान्ना आरया सै।’ साथियों मेरे जिसे कविताई करण आळे तो यूंए टपारे मारया करैं, इननै ज्यादां सीरयस लेण की जरूरत कोन्या। मैं अपणे लेखन म्हं आज-कैल के मौल के मताबक कई बे नकारात्मक भी चेपदयूं पर यो मेरा स्भा ना सै। या रागणी मन्नै उनके वास्तै बणाई जो पराणे जमान्नै नै बडिया बतावैं, अर नोवे म्हं घणेई ऐब काडदे रहां। -दोस्तो एक बै पप्पू का बाब्बु पराणे जमान्ने नै बडिया बतांदा ओया उसतै बोल्या-‘बेटा आज-कैल कोई जमान्ना सै। थोड़-थोड़ चोर अच्चके अथयारां के बळ पै माणसा नै लूटरे। अंग्रेजा के टेम म्हं तेरी मां सोवा मण सोन्ना पा कै बारां कोस तक घूम आवै थी, मेरे सास्सू के की किसकी मजाल थी जो आथ पालैथा।’ ‘रै बाब्बु इतणी घणी ना फैंक जो ओट्टी ना जावैं। मां तो कवै यो जेरोया तेरा बाब्बू मेरी तबीज्जी बेच कै इस कच्चे मकान का बालण लाया था। सोवा मण तो छोड जै थारे पै एक किलो सोन्ना भी ओंदा तो अम लोगां कै खेतां म्हं दयाडि़यां नै करां थे, दो-चार किलड़े म्हारे पै भी ओंदे।’

माट्टी आळे आरे टुट्टे

माट्टी आळे आरे टुट्टे, गैसां पै दाळ गळारया सै,
चुगरदे नै चमचम ओरी, नया जमान्ना आरया सै।

बुग्गी झोट्टे ऊंट बैठगे, कारां म्हं न्यार ल्यावै सैं,
फाळी आळे अळ खूगे इब, टैक्टर खेत बणावैं सै,
पनियारी के कुए छुट्टे, फवारयां निच्चै नावैं सै,
रहट खींचै ना मोटे ओगे, बाब्बे योग करावैं सै,
साद्दा खाणा छोड गाबरू, पिज्जे बर्गर खारया सै,
चुगरदे नै चमचम ओरी, नया जमान्ना आरया सै।

नोवे जमान्ने की नारां, भाई घणी लिखि पढ़ी ओगी,
सेरां की पंचायत लगे जड़ै, छात्ती ताण खड़ी ओगी,
लत्यां डाळा यार बदल लें, मबैल्लां म्हं घड़ी ओगी,
तेल्ली आळे तिन्नो मरजो, जित्त भी अड़ी, अड़ी ओगी,
ब्या करवा कै छोडण का इब, इननै फैसन बारया सै,
चुगरदे नै चमचम ओरी, नया जमान्ना आरया सै।

दूध दहीं का चा कोन्या, चोळां म्हं सक्कर थुड़री सै,
पूरी बोतल किल्ली ठादे, ठेक्यां मंडळी जुड़री सै,
टब्बर भुखा बेठया रैजा, घर म्हं जनानी कुढ़री सै,
नफे सिंह गंगनपुरीये की, अक्ल पाच्छै मुड़री सै,
कर्जे के म्हं डुब्या माणस, झटते फांसी खारया सै,
चुगरदे नै चमचम ओरी, नया जमान्ना आरया सै।
माट्टी आळे आरे टुट्टे, गैसां पै दाळ गळारया सै,
चुगरदे नै चमचम ओरी, नया जमान्ना आरया सै।
****
हिंदी में सरलार्थ-फाळी- मोटे सरिये का नुकिला टुकड़ा जिसे पहले हल में लगाया जाता था। पनिआरी- कुएं से पानी भरकर लने वाली स्त्री। अड़ी-जिद्ध।

‘देशी घी के बाट्टे पीकै, खाड़यां म्हं दंड पेल्लां सै, हरयाणे के छोरे ठाडे, दुनिया के म्हं खेल्लां सै।’ साथियो मन्नै या रागणी म्हारे जान ते प्यारे, देस के दुलारे अरयाणे के छोरयां की शान म्हं लिखि सै। म्हारे अरयाणे के छोरे दुनिया पै छारे अर पाण्डा भरकै पदक ल्यारे, यो दम म्हारे देस्सी घी अर नस्यां पत्यां ते दूर रैण वाळे छोरयां म्हं सै। यें छोरे वैं ना सै जो टल्ली ओकै वारा गलियां म्हं आंडदे फिरैं सै। -दोस्तो एक बै टोरी-फट्टे के मैच म्हं किलियां आगै टांग फसाणे पै अम्पेयर नै ओट देण तई उंगळी ठादी पर उसका मन नी मान्या। उसनै लाग्या खलाड़ी ओट कोन्या ओया। उसनै सोच्ची उंगळ तो उठगी, इब के करू? बस झटते ओ अपणी उंगळ कान म्हं डाल कै खुजाण लाग्या अर खलाड़ी ओट ओण ते बचग्या।

हरयाणे के छोरे ठाडे

देशी घी के बाट्टे पीकै, खाड़यां म्हं दंड पेल्लां सै,
हरयाणे के छोरे ठाडे, दुनिया के म्हं खेल्लां सै।

माट्टी खाड़े ओये पराणे, गदयां पै कुस्ती लाण लगे,
हाथ पाट पै मार रगड़दें, केन्ची खूब लगाण लगे,
पाकिस्तान जापान पलवान, सबनै धूल चटाण लगे,
अलम्पिक असयाई खेल्लां म्हं, घणे पदक ल्यांण लगे,
कसरत करकै गात बणालें, करड़ाई तन जेल्लां सै,
हरयाणे के छोरे ठाडे, दुनिया के म्हं खेल्लां सै।

फट्टी मार कै टोरी उड़ैदें, छक्के खूब लगावांगे,
कुस्ती बोक्सिंग कब्बडी आक्की, नये रकाट बणावांगे,
फाड्डी रैण की आदत कोन्या, अब्बल सारे आवांगे,
तुफाना की डाळ उठांगे, सारे जग पै छावांगे,
बज्र के सीन्नै बणरे, छोरे बरोधियां नूं ठेल्लां सै,
हरयाणे के छोरे ठाडे, दुनिया के म्हं खेल्लां सै।

साधा बाणा साधा खाणा, बर्जुगां का मान बड़ावां सै,
ओछी अरकत बदफेल्ली यें, कदै नां गरकावां सै,
पूरा गाम फूल बरसावै, सोन्ने के तमगे ल्यावां सै,
कस्सी ठाकै खेत नै चलदें, बाब्बु आथ बटावां सै,
नफे सिंह गंगनपुर वाळे, गेंद गोळ म्हं मेल्लां सै,
हरयाणे के छोरे ठाडे, दुनिया के म्हं खेल्लां सै।
देशी घी के बाट्टे पीकै, खाड़यां म्हं दंड पेल्लां सै,
हरयाणे के छोरे ठाडे, दुनिया के म्हं खेल्लां सै।
** **
हिंदी में सरलार्थ-पेल्लां- स्पीड। ठाडे- ताकतवर। करड़ाई- कष्टी। फाड्डी- सबसे पीछे। बरगे- जैसे।

‘चमक चांदणी घणा आडम्बर, मेरे दिल नै भाग्या, अपणे गाम की जमात छोड़ मैं तेरे शहर म्हं आग्या।’ दोस्तो मैं पानीपत म्हं 15 साल कंबळ कारखान्या म्हं काम करदा रहया। ओड़ेइ ब्या ओग्या, बाल-बच्चे ओगे पर वापस अपणे गाम म्हं आकै इ सान्ति मिली। भाई कुछ ना राख्या इन शैरां म्हं, अपणे गाम बरगी बात ओर कड़ी ना सै। -दोस्तो मेरी डाळ गाम के एक छोरे का ब्या शैर म्हं ओग्या। शैर ते आई बन्नों के चाट-पत्ते चाट्टे ओए थे, गाम आळी बाजरे, मक्की की रोट्टी उसनै रास कोनी आई। अपणे शैर की घणी सीप्तां कर उसनै छोरा पटा लिया अर शैर के कारखान्ने म्हं ला लिया। छोरे की जद रे रे माट्टी ओई तो अपणे गाम के संगे साथी याद कर आख्यां म्हं पाणी आग्या अर यूं सोचण लाग्या……..

चमक चांदणी घणा आडम्बर

चमक चांदणी घणा आडम्बर, मेरे दिल नै भाग्या,
अपणे गाम की जमात छोड़ मैं, तेरे शहर म्हं आग्या।

आप्पा-धाप्पी ओरी अड़ै कोय, बाणक दिक्खै कोन्या,
तेरी गली म्हं पां धरल्यूं, मन्नै चाणस दिक्खै कोन्या,
घणी ऊंची मारतां अड़ै, कोय माणस दिक्खै कोन्या,
मैदे आली चक्कियां लै रे, छाणस दिक्खै कोन्या,
धुंए के बवंडर बणगे, यो गरदा दिल पै छाग्या,
अपणे गाम की जमात छोड़ मैं, तेरे शहर म्हं आग्या।

सयाब करण मन्नै आवै कोन्या, घणी अचाटी ओज्यागी,
चिंखण आले मिल्लां म्हं मेरी, किणमण काटी ओज्यागी,
इत्र फलैल गौरी लाकै चाल्लै, कुणसी लाट्टी ओज्यागी,
बिन सिंजे तो फूल सूकज्या, या सुक्की घाटी ओज्यागी,

बादळ बणकै बरस्या कोन्या, यो पाला चुगरदे छाग्या,
अपणे गाम की जमात छोड़ मैं, तेरे शहर म्हं आग्या।

बैरा नी कित्त सोग्या बैरी, ल्याज ना आत्ती
मतलब आले यार अडै, कोय संगी ना साथी,
घणाई पजल ओरया सै मैं, किस्मत रंग ना लाती,
नफे सिंह गंगनपुरीये घर, अड़ै दीवा ना बात्ती,
हुनरमंद खात्ती के सान्दा नै, दीमक आकै खाग्या,
अपणे गाम की जमात छोड़ मैं, तेरे शहर म्हं आग्या।
****
हिंदी में सरलार्थ-जमात- यारों की मण्डली, कलास, कक्षा। गर्दा- धूल। सिंजे- सींचना। ल्याज- तरस। सान्दा- औजार।

‘रा के मुसाफर जाणे वाळे, तावळ करकै आइये, मेरी गाठड़ म्हं भार घणा, तों आकै मन्नै ठवाइये।’ दोस्तो प्रेम रस की कलम म्हं डुबो कै लिखि ओयी मेरी या रागणी सारयां नै घणी पसंद आवैगी। अर नोवे प्रेमी जड़ै एक दूसरे तै घणा प्यार करैं, ओड़ी इस डर म्हं शक भी करैं के कदे उनकी पठोरी नै कोय ओर कुड़कले। -एक बर दो प्रेमी शैर के पार्क म्हं अरे घास पै बैठकै गुटर-गूं करैं थे। उनके आग्गे नै एक घणी सुथरी छोरी जाण लागरी थी। प्रेमी की आंख जद उसपै पड़ी तो ओ उसके हुस्न नै लखांदा रैग्या पर जद अपणी प्रेमका का ख्याल आया तो पटदे बोल्या- ‘चड़ैल सी कितना भुंडा सूठ पैररी, तेरे पै तो कपड़े घणे जचैं।’ प्रेमका सब कुछ जाणदे ओये भी आंसण लाग्गी अर ओड़ै घूम रे एक छोरे ओड़ी देख कै बोल्ली- ‘देख छोरे नै जिम म्हं कितने मोटे डोळे बणा राक्खै सै पर यें तेरी सुक्खी ओयी बावां ते ज्यादां कोन्या जंचै।’ प्रेमका का डायलॉग सुणदयों इ प्रेमी का आधा प्रेम रस लिकड़ग्या।

रा के मुसाफर जाणे वाळे

रा के मुसाफर जाणे वाळे, तावळ करकै आइये,
मेरी गाठड़ म्हं भार घणा, तों आकै मन्नै ठवाइये।

कल्लि पज्जल ओरी सै मैं, काम दिंगताणे का,
जबर बरोटा बांध लिया, यो सर तक न जाणे का,
मदी-माणस दिक्खै कोन्या, अड़ै कोय ना आणे का,
धक-धक मेरा दिल धड़कै, कोय हाथ ना लाणे का,
कोण नगर का रैणे आला तों, आ कै मन्नै बताइये,
मेरी गाठड़ म्हं भार घणा, तों आकै मन्नै ठवाइये।

सोलां सतरां उम्र मेरी मैं, लागुं कतई हूर परी,
इबकै सामण सुक्का पड़ग्या, रा ओगी सै धूड़ भरी,
बादळ बणकै आग्या सै तों, टपक्यां ज्युकर बूंद जरी,
सुक्खे बान्ना पाणी आग्या, ओगी सै या जून अरी,
अगले सामण म्हं परदेशी, गेळ मन्नै ले जाइये,
मेरी गाठड़ म्हं भार घणा, तों आकै मन्नै ठवाइये।

आथ पकड़ कै करैं मसकरी, घणें दवान्ने देख लिये,
सिरका साई बणदा ना कोय, मन्नै जमान्ने देख लिये,
कसमा खाकै राड़ करण के, नये बहान्ने देख लिये,
गैरां गेल्या जाम लेवां सै, कई मैखान्ने देख लिये,
नफे सिंह गंगनपुर आळे, कदै मेरे दिल म्हं आइये,
मेरी गाठड़ म्हं भार घणा, तों आकै मन्नै ठवाइये।
रा के मुसाफर जाणे वाले, तावल करकै आइये,
मेरी गाठड़ म्हं भार गणा, तैं आकै मन्नै ठवाइये।
****
हिंदी में सरलार्थ-गाठड़- गठरी। मदी-माणस- आस-पास कोई दिखाई न देना। कोण- कौन। रैणे- रहने।

‘फाग्ण के म्हं रंग पचकारी, झेल्ला सै छोरी, बाट कोरड़ा खाल तारले, खेल्ला सै छोरी।’ दोस्तो या मेरी रागणी फागण म्हं ओळी-फाग की मस्ती को लेकै सै। इसनै सारे माणस बडे चा ते मनावैं सै अर गळी मल्यां म्हं जाकै अपणे मेलियां पै रंग बरसावैं सै। फाग के दिन बुंडी सरारतां की भी कमी कोन्या। यो तवांर आपसी भाईचारे नै मजबूत करण नै मनाया जाणा चईये। -एक बै फाग म्हं दारू पी कै पप्पू घणा पैगल ओग्या। नशे की टोन म्हं अपणी भाभी के रंग मळकै बोल्या-‘ल्या भाभी फेर देदयूं आज तै चाब्बी। लाग्गै सै तों मन्नै इरा, ल्या खाकै देक्खू आज तो मिठा खीरा।’ पप्पू की भाभी ने मोटी लेजू का कोरड़ा बाटकै पेल्याई रख्या ओया था। वा चार-पांच कोरड़े पप्पू की कड़ पै जमैके नसान पा बोल्ली-‘लाग्गै सै तों मेरा बीरा, जिंदगी भर याद रवैंगी तन्नै यें लकीरां।’

फाग्ण के म्हं रंग पचकारी

फाग्ण के म्हं रंग पचकारी, झेल्ला सै छोरी,
बाट कोरड़ा खाल तारले, खेल्ला सै छोरी।

छो जाड्डे का दूर ओया, रंग भरया फागण आग्या,
आरी-पीळी चलै पचकारी, लाल रंग सबनै भाग्या,
काळे-पीळे भूत ओरे, छोरयां टोल्ला पाच्छै लाग्या,
भर पचकारी मार कै भागैं, गाल गलाल कोय लाग्या,
नशे म्हं टल्ली राड़ करणियां नै, ठेल्ला सै छोरी,
बाट कोरड़ा खाल तारले, खेल्ला सै छोरी।

छत्तीस चोबी गात कमर तेरी, टुटण नै ओरी,
धरती लान्धी चलै छोरयां नू, लुटण नै ओरी,
न्योरस आळी बेल, गोभसी फुटण नै ओरी,
इन लाल मतिरयां म्हं, धारसी छुटण नै ओरी,
मूं मिट्ठा सा ओज्या, खांड की भरले नै बोरी,
बाट कोरड़ा खाल तारले, खेल्ला सै छोरी।

दिल का के कसूर, प्यार यो ओज्या सै रा म्हं,
अगले सामण म्हं बरात्ती, नाच्चैं तेरे ब्या म्हं,
मढ़ी पीर सब पूजलिये, धौक मारैंगे थ्या म्हं,
नफे सिंह गंगनपुरीया यो, आग्या तेरे चा म्हं,
अगले साल म्हं जोड़ा बणज्या, गोद अरी ओरी,
बाट कोरड़ा खाल तारले, खेल्ला सै छोरी।
फागण के म्हं रंग पचकारी, झेल्ला सै गोरी,
बाट कोरड़ा खाल तारले, खेल्ला सै छोरी।
****

हिंदी में सरलार्थ-जाड्डे- सर्दी। टोल्ला- समुह। न्योरस- बसंत। मतिरयां- तरबूज। रा- रास्ता।

‘धोबी घाट पै सूकणा पादयूं, मैं कांडु इसकी एंड सै, म्हारे कालज आळी छोरी, तेरा जुणसा बोए फ्रैन्ड सै।’ दोस्तो मेरी या रागणी कालज के उन एंडी छोरयां वास्ते सै जो छोरियां पाछै आपस म्हं गुत्थम-गुत्था ओवैं। या रागणी रेप स्टैल म्हं भी गाई जा सकै पर इसकी टेक म्हं ते ‘मै’ ‘सै’ सबद अटाणे पड़ागे। या इस तरयां बणैगी- ‘धोबी घाट पै सूकणा पादयूं, कांडु इसकी एंड, म्हारे कालज आळी छोरी, तेरा जुणसा बोए फ्रैन्ड।’ -साथियो एक बे पप्पू के तीन-चार दोस्त कालेज के मदान म्हं बैठ कै बड्डी-बड्डी फैंकरे थे। उनमै ते एक बोल्या- ‘मेरे बाब्बू तो इतना मीर सै म्हारे घर म्हं रोज पचास पेट्टी तो नौकर चाकर दारू की पीवैं।’ दूसरा दोस्त बोल्या- ‘बस थारै पचास पैट्टीइ लाग्गैं, म्हारे घर म्हं तो रोज दो-तीन ट्रक उतरैं सै। म्हारी तो भैंसा भी जद तक दूध देण तै नाटदी रवां जद तक अम कुट्टी म्हं बीयर की सान्नी करकै ना देंदे।’ पप्पू बोल्या- ‘मेरा बाब्बू तो खरबापति सै अर अम थारी डाळ नसे कोन्यां करैं।’ ‘तेरा बाब्बू के काम करै भाई जो खरबपति सै।’ एक दोस्त नै पप्पू तै बुज्या। ‘मेरी सास्सूक्यो ओर के करै, थारे घर तै खाली बोतलां खरीद कै कबाड़ी ते बेच्चै।’ पप्पू बोल्या।

म्हारे कालज आळी छोरी

धोबी घाट पै सूकणा पादयूं, मैं कांडु इसकी एंड सै,
म्हारे कालज आळी छोरी, तेरा जुणसा बोए फ्रैन्ड सै।

अडवारयां का वारा टॉमी, म्हारे कोलज म्हं आण लग्या,
झोल्ली दे कै पास बुलावै, तन्नै माल पियाण लग्या,
पिज्जे बर्गर चाट पकोड़े, कन्टीना म्हं लेजाण लग्या,
चालिस किल्लो वाळा टिंडा, देख मन्नै मुस्काण लग्या,
रफल दुनाळी जिस दिन ठाली, पटज्या इसकी टैंड सै,
म्हारे कालज आळी छोरी, तेरा जुणसा बोए फ्रैन्ड सै।

लैंड क्रुजर लेकै चाल्लै, गाळां म्हं धूळ उड़ा राक्खी,
चार टेटरू उपर धरले, लाल परी चड़ा राक्खी,
कमीणे कांदू करैं चाकरी, जय जयकार करा राक्खी,
बाब्बु दौलत एैश करणिये, सुक्की रोब बणा राक्खी,
चोरी का धन लाठी के गज, पल्लै कुणसी जैंड सै,
म्हारे कालज आळी छोरी, तेरा जुणसा बोएफ्रैन्ड सै।

पस्तोलां ठाकै चल्या करैं थे, घणे कुन्जे ला दिये,
कल्ला सेर कालज म्हं घुम्मै, गिदड़ा नू समझा दिये,
ज्यादां खोरू काटण आळे, मन्नै बंदे बणा दिये,
इब बुग्गी जोड़े जांवां खेत म्हं, मन्नै काम पै ला दिये,
नफे सिंह गंगनपुर आळा, सब कामां म्हं ट्रेंड सै,
म्हारे कालज आळी छोरी, तेरा जुणसा बोए फ्रैन्ड सै।
धोबी घाट पै सूकणा पैदयूं, कांडु इसकी एंड सै,
म्हारे कालज आळी छोरी, तेरा जुणसा बोएफ्रैन्ड सै।

****
हिंदी में सरलार्थ-एंड- अकड़। झोल्ली- हाथ से इशारा। टैंड- पेट।

‘मेरे फेसबुक फ्रेन्डा म्हं, एक छोरा आळरया, मुच्छा तै मरोड़े दे कै, फोटो डालरया।’ साथियो या रागणी उस धाकड़ छोरी की सै जिसके फेसबुक वाल पै छोरे उसनै पटाण नै टपकदे ओये कमेन्ट पास करदे रवां पर छोरी उनपै एक तुणका भी घास का नी गेरदी। -दोस्तो एक बे एक शैरी छोरा गाम म्हं आकै एक छौरी पै डोरे गेरदा ओया बोल्या- ‘मैं तेरी जुल्फां म्हं चांद सतारे भरणा चाऊं सूं। ‘भाइरोए मैं खेत म्हं ते इब्बै उड़द की गठडि़यां काड कै आई सूं। पेल्यां बाळा म्हं ते कंबळे, भुड्डियां तो काड्ड लेण दे।’ छोरी नै उसकै मूं पै चपाट मारकै जवाब दिया।

मेरे फेसबुक फ्रेन्डा म्हं

मेरे फेसबुक फ्रेन्डा म्हं, एक छोरा आळरया,
मुच्छा तै मरोड़े दे कै, फोटो डालरया।

उपर धरकै जबर बरोटा, खेतां म्हं ते ल्याया करूं,
खोरू काटणे झोट्टयां के, नाकां म्हं नाथां पाया करूं,
टेक्टर टिल्लर ला राक्खे, मैं तड़कै खेत बाया करूं,
बीज चुगणियें काग्यां नै, गोप्पी मार भगाया करूं,
खजळ खवारी ओज्यागी, के सुपना पाळरया,
मुच्छा तै मरोड़े दे कै, फोटो डालरया।

मेरी गेल्यां प्यार करैगा, सूत कातणा पड़ज्यागा,
गैं बछयां नै बाहर बांध कै, घास काटणा पड़ज्यागा,
तसला सर पै धर तन्नै, गोबर पाथणा पड़ज्यागा,
रोड़यां आळी दाळ धरी, गिहूं झारणा पड़ज्यागा,
घणा चिकणा बणया फिरै, इब पता चालरया,
मुच्छा तै मरोड़े दे कै, फोटो डालरया।

म्हारी बैठक म्हं आइये, मेरे बाब्बु नै भी भाजागा,
कल्ली आंडू जी लाग्गै ना, घरजमाई आजागा,
ब्या सगाई कट्ठी ओ कै, पंडत जोड़ बंधाजागा,
नफे सिंह गंगनपुरीया, म्हारे ब्या के लडडू खाजागा,
मेरा बाब्बु खिस्से म्हं, घणे पीसे घालरया,
मुच्छा ते मरोड़े दे कै, फोटो डालरया।
मेरे फेसबुक फ्रेंन्डा म्हं, एक छोरा आळरया,
मुच्छा तै मरोड़े दे कै, फोटो डालरया।
****
हिंदी में सरलार्थ- आळरया- असंतुलित व्यक्ति। खोरू काटणे- आवारागर्द। गैं- गाय। कल्ली- अकेली।

‘दप्पटे आळी नकाब ओढ़ कै, तीर ज्युकर तणरी सै, काळा दामण घाल रही छोरी, आंतकवादी बणरी सै।’ दोस्तो या कत्ती टपकदी ओयी मेरी मसाल्ला रागणी आजकैल के छोरयां नू घणी पसंद आवैगी अर इसनै गीत, रैप जिस तरयों मर्जी तरज बणा कै गाल्यो, सारी डाळ तरज बणजेगी। -दोस्तो एक बर पार्क म्हं चार-पांच छोरियां कट्ठी ओकै टपारे मार री थी अर उनके पास इ गाम का एक ताऊ सुस्ताराया था। जब ओठां नै लाल-पीळे करणे की बात चली तो एक बोल्ली-‘मेरे पास तो दर्जन भर कई रंगा की लपिस्टक सै।’ ‘मेरे पै तो अलग मैचिंग की मैंगी सैकड़ो लपिस्टक सै।’दूसरी पैलड़ी नै निच्चा दखांदी ओयी बोल्ली। ‘थारे पै तो कुछ भी नहीं मेरे पास तो चार-पांच डिब्बे लपिस्टक के भरे पड़े सै।’ जद तीसरी बोल्ली तो ताऊ पै चुप कोन्या रहया गया। पटदेसी बोल्या-‘अं ए बेटी, थम लपिस्टक लगाए करो अक खाए करो?’ दोस्तो एक घणी सुथरी छोरी नै काळा सूठ पैर कै मूं पै चुन्नि बांध रक्खी थी। दूर तै देखणे पै वा कश्मीर के उन आंतकवादियां की डाळ दिक्खै थी जो सेब के बागां म्हं काळे कपड़े थोबड़े पै लपेट कै सोसल सैट पै फोटो भेजदे रहां। एक देस्सी सा छोरा उसनै देक्ख कै यूं बोल्या….

छोरी आंतकवादी बणरी सै

दप्पटे आळी नकाब ओढ़ कै, तीर ज्युकर तणरी सै,
काळा दामण घाल रही छोरी, आंतकवादी बणरी सै।

तेरे काजल वाळे डोरयां की, रैफल दुनाळी बणज्यागी,
आन्सी ठठे लाया न कर, छोरया म्हं गोळी चलज्यागी,
ठाडा मेकप ला राख्या छोरी, घणी जद्दादी बणरी सै,
काळा दामण घाल रही, छोरी आंतकवादी बणरी सै।
एंडी छोरी मार कै ढुंगे, घणे एटीटयूट म्हं एैगी,
धरती पै पां टिकता कोन्या, लैंड क्रुजर म्हं जैगी,
पाणी फोल्ले खावैगी या, घणी स्वादी बणरी सै,
काळा दामण घाल रही, छोरी आंतकवादी बणरी सै।

नफे सिंह गंगनपुर वाळा, गात का गोरा,
तन्नै बयावण आवैगा यो, जाट का छोरा,
गेल तन्नै लेजावैगा, इब क्यूं फरयादी बणरी सै,
काळा दामण घाल रही, छोरी आंतकवादी बणरी सै।
दप्पटे आली नकाब ओढ़ कै, तीर ज्युकर तणरी सै,
काला दामण घाल रही, कै आंतकवादी बणरी सै।
****
हिंदी में सरलार्थ-ज्युकर- जैसे। आन्सी- हंसना। ठाडा- बहुत ज्यादा।

‘लुक-छुप के देखण की अदा या, मेरी जान लेलेगी, इब कुणसा तों मेरी गेल्यां, लुकम-छपाई खेलेगी।’ दोस्तो मेरी या रागणी बचपन के प्यार पर सै। असल म्हं सरीर म्हं बदलाव ओयों जा पर म्हारी जो आत्मां सै बचपन ते बड़ापै तक एकसी रहै। हर छोरे का स्कूल म्हं दाखल ओणे के बाद पला प्यार ओज्या जिसनै ओ जीवन भर याद राक्खै। -एक बै एक अप्रेल नै स्कूल म्हं मास्टरणी बच्यां ते मजाक करदी ओई बोल्ली- ‘आज मूर्खता दिवस सै, अड़ै जो सबते बड्डे मूर्ख सैं खड़े ओजो।’ पूरी क्लास म्हं ते बस एक लड़का खड़या ओया तो मास्टरणी नै पुच्छया-‘अच्छा तो तू सै सबते बड़ा मूर्ख?’ ‘मैं मूर्ख कोन्या आप कल्ली खड़ी थी तो मन्नै थोड़ी शर्म सी आई।’ लड़का बोल्या।

लुक-छुप के देखण की अदा

कोरड़ा जप्पटी, जुम्मे रात आई सै,
जुणसा आगा-पिच्छै देक्खै उसकी शामत आई सै।- अतिरिक्त मुखड़ा।

लुक-छुप के देखण की अदा या, मेरी जान लेलेगी,
इब कुणसा तों मेरी गेल्यां, लुकम-छपाई खेलेगी।- टेक।

अम दोनों यूं खेल्या करैं थे, गळी अर दलान म्हं,- अंतरा।
ताक्की म्हं घुसजाया करैं थे, पड़ोसी के मकान म्हं,
बणके मीत रया करैं थे, एक दिल दो जान म्हं,
दिया बात्ति बणकै दोन्नों, चस्या करैं जहान म्हं,
किणमणकाट्टी, रस्सी टप्पा, इब के कन्चे पेलेगी,
इब कुणसा तों मेरी गेल्यां, लुकम-छपाई खेलेगी।

स्कूल के म्हं इब तक सै, म्हारी पैडां के नशान,
आ देक्खां चल अपणे लाये, पीपल की शान,
मेरी चाहत का राख्या सै, गौरी तनै सदा मान,
छौरे तेरे तै दिया करैं थे, दिल अर जान,
स्कूल आळी म्हारी क्यारी, खुश्बु अपणी देलेगी,
इब कुणसा तों मेरी गेल्यां, लुकम-छपाई खेलेगी।

पुन्यां आळा चांद फैर कदे, छाणा ओ या ना,
बोडर तै छुट्टी आग्या, कदे आणा ओ या ना,
मांग भराई हाथ चुड़ा, तन्नै पाणा ओ या ना,
अच्छी डाळां सोच साथ तन्नै, जाणा ओ या ना,
नफे सिंह गंगनपुरीये नै, या जान खपाई लेलेगी,
इब कुणसा तों मेरी गेल्यां, लुकम-छपाई खेलेगी।
लुकछुप के देखण की अदा या, मेरी जान लेलेगी,
इब कुणसी तों मेरी गेल्यां, लुकम-छपाई खेलेगी।
****
हिंदी में सरलार्थ-गेल्यां- साथ। ताक्की- खिड़की।

‘तेरे रै गाम की खाक छानरया, कदै दिक्खे कदै ना सै, लुक्का-छिप्पी खेलण का तन्नै, बाळक पणते चा सै।’ दोस्तो या रागणी यूवा प्रेमियां के बिछड़ण की सै, जो साथी बचपन ते एक साथ खेलदे ओये बड्डे ओवां अर जवान ओणे पै एक पै पैबंधियां लगज्यां तो जिंदगी भर का रोण ओज्या सै। एक छोरा अपणी बचपन की प्रेमिका नै मिळण उसके गाम म्हं कई बे आलिया पर वा दिक्खी कोन्या। सारे आण उसनै अपणी प्रेमका का बारणा बंद ओया मिल्या। अपणी प्रेमका के घर आग्गै खड़या ओकै ओ छोरा एक बात के द्वारा यूं बोल्या……

लुक्का-छिप्पी खेलण का तन्नै

तेरे रै गाम की खाक छानरया, कदै दिक्खे कदै ना सै,
लुक्का-छिप्पी खेलण का तन्नै, बाळक पणते चा सै।

चाद्र आळे पल्यां पै मेरी, फुलकारी करजै थी,
सांझी आळ चांद-सतारे, झट घड़कै धरजै थी,
सांसा के म्हं सांस चलै थी, घणा चैन करजै थी,
आवा बणकै उडया करै थी, बादळ बण गरजै थी,
बिजळी डाळा लश्क मारगी, इब बैरा ना कित्त वा सै,
लुक्का-छिप्पी खेलण का तन्नै, बाळक पणते चा सै।

दो जिस्मा म्हं एक जान, इसा करणा ओग्या रै,
पैरा लाग्या तेरे गाम म्हं, मरणा ओग्या रै,
पिंजरे के पंछी नै घणा दुख, भरणा ओग्या रै,
तेरे बिन इन सुन्नि रायां पै, चलणा ओग्या रै,
आथां के म्हं मैदी लागरी, इब दिक्खै तेरा ब्या सै,
लुक्का-छिप्पी खेलण का तन्नै, बाळक पणते चा सै।

साजन संग चाल पड़ी अम, फेर कदै ना मिलणे के,
कताबां आले फूल बावळी, फेर कदे ना खिलणे के,
रांझे ज्युकर रेत फांकरया, भाग कदै ना किलणे के,
जन्मा का रोणा ओग्या, मेरे जख्म कदै ना सिलणे के,
नफे सिंह गंगनपुरीये का, इब बता के रा सै,
लुक्का-छिप्पी खेलण का तन्नै, बाळक पणते चा सै।
तेरे रै गाम की खाक छानरया, कदै दिक्खे कदै ना सै,
लुक्का-छिप्पी खेलण का तन्नै, बाळक पणते चा सै।
****
हिंदी में सरलार्थ-बलक पणते- बचपन से। आवा- हवा। सुन्नि-

दोस्तो एक बै एक मंजनू नै दूर तै खिड़की म्हं बाळ सकांदी ओई एक छोरी दिखगी। वा छोरी पीठ उसकी तरफ करै अपणे लम्बे काळे बाळा पै कंघी करणे म्हं मग्न थी अर छोरा मन इ मन उसकी तसबीर अपणै दिल म्हं बैठांदा ओया खिड़की धोरै आकै बोल्या-‘मुझतै मिल ए हसीन परी जोबन छलकता जाम सै तेरा, हसीन जुल्फों पै कविता लिखणा योए काम सै मेरा।’ अर जद छोरी घूम कै उसकी तरफ लखाई तो मंजनू के होश सातवें पताळ म्हं पोंचगे क्यूंके वा छोरी ना थी ओड़ै अपणी खिड़की म्हं सरदार जी बाळ सुखाण लागरया था। ‘हुस्न तेरे का गजबण छोरी, चर्चा सै मैखान्या म्हं, तेरे नाम का छिंटा दे कै, तरज्या सै पैमान्या म्हं।’ दोस्तो या रागणी उस घणी सुथरी छोरी पै सै जिसके पाच्छै कई मंजनू बणकै आंडै सै पर किम्मैं बात नी बणदी। उस छोरी का हुश्न देख कै एक छोरा उसतै यूं बोल्या……

हुस्न तेरे का गजबण छोरी

हुस्न तेरे का गजबण छोरी, चर्चा सै मैखान्या म्हं,
तेरे नाम का छिंटा दे कै, तरज्या सै पैमान्या म्हं।

पतली कमर म्हं बळ पड़ज्या, पोरी-पोरी आल्लै सै,
तेरे ओठां की मय पी कै यो, पूरा मैखान्ना चाल्लै सै,
आख्यां गेल्यां गोळी मारै, कुणसा बारूद डाल्लै सै,
अंसकै करै मखोल बावळी, गल म्हं आफत गाल्लै सै,
तिरे जैसी सुथरी छोरी, कोय ना जमान्या म्हं,
तेरे नाम का छिंटा दे कै, तरज्या सै पैमान्या म्हं।

कुणसा छोरा मारया, तेरे ओठां लाली आरी सै,
गाल इसे बणारखे जणों, लाल मतीरे खारी सै,
ठोडी उपर तिल काळा, नैना म्हं काजल पारी सै,
घणे डुबे इन आंख्या म्हं, छोरयां पै आफत आरी सै,
मरमिट कै भी राजीओं, या आदत सै दिवान्या म्हं,
तेरे नाम का छिंटा दे कै, तरज्या सै पैमान्या म्हं।

मारे खेत म्हं आ जाइये, ओड़ै पंछी करैं उडार परी,
मोटर आळे कोठे के, आल्यां म्ह करैं प्यार परी,
कबुतरां की उड़ाना म्हं या, कुणसी बणै दवार परी,
नफे सिंह गंगनपुर आळा, सै यारां का यार परी,
कोय बंदिश मानै ना, या खास बात परवान्या म्हं,
तेरे नाम का छिंटा दे कै, तरज्या सै पैमान्या म्हं।
तेरे हुस्न का गजबण छोरी, चर्चा सै मैखान्या म्हं,
तेरे नाम का छिंटा देकै, तरज्या सै पैमान्या म्ह।
****
हिंदी में सरलार्थ-गजबण- अत्याधिक आकर्षक। तरज्या- तैर गए।

‘सामण आळे झुल्ले पड़गे, या पींग अम्बर म्हं चढ़गी, पीया ब्या करवा बाडर पै जालिया, मैं धरती म्हं पड़गी।’ दोस्तो फौजियां नै अर टेम अपणी जान कर खतरा रवै। उनकी जिंदगी बड़ी ओक्खी सै, पर उनकी घरवालियां की जिंदगी उनते भी ओक्खी सै। दो-दो साल मैं दो मिन्नै की छुट्टी मिलै अर बाडर पै गड़बड़ ओ तो बीच म्हं इ डयूटी पै बलालें। दोस्तो मेरी या रागणी एक फौजी की नोवी बहु के बिछड़ण की तड़फ पै सै। बाडर पै तणा-तणी के बीच एक फौजी नै बड़ी मुश्कल ते ब्या करवाण नै दस दिन की छट्टी मिली अर जद ओ डयूटी पै चाल्या उसकी ब्यांदड़ बहु रोंधी ओयी एक बात के द्वारा यूं बोल्ली….

सामण आळे झुल्ले पड़गे

सामण आळे झुल्ले पड़गे, या पींग अम्बर म्हं चढ़गी,
पीया ब्या करवा बाडर पै जालिया, मैं धरती म्हं पड़गी।

आथ्यां मैंदी सुक्कि कोन्या, देखूं तेरी बाट बड़ी,
टप-टप करकै मीं बरसै सै, सुन्नि मेरा खाट पड़ी,
धूं-धूं करकै गात जळै सै, कळेजे के म्हं लाट चढी,
डांग तोड़दे जलथल करदे, इसी दिखै ना काट कड़ी,
सुन्नी खाट पै करवट बदलू, या कील गात म्हं बड़गी,
पीया ब्या करवा बाडर पै जालिया, मैं धरती म्हं पड़गी।

गिल्ले ओगे फूंस पराळी, इनमै आग के बल्या करै,
खाली डिब्बी घर धर राक्खी, यूं के माचस जल्या करै,
बिन हल धरती फाट्टै कोन्या, जोत्ते तै फल लग्या करै,
बिन माली, बिन बाड खेत म्हं, ढोर लवारू बग्या करै,
इब्बै सवेरा देख्या कोन्या, या बेरण साझ तोळी चड़गी,
पीया ब्या करवा बाडर पै जालिया, मैं धरती म्हं पड़गी।

कुणसी लेरया रैफल बावले, बड्डी मैगजीन धरदे नै,
घोडा दाब कै सारी गोली, मेरे सीन्ने भरदे नै,
दस दिन की बस छुट्टि आया, कुछ तो रास्सा करदे नै,
मार चाहे छात्ती कै ला ले, मेरे सारे दुखड़े हरदे नै,
नफे सिंह गंगनपुरीये या, फांस जीगर म्हं अड़गी,
पीया ब्या करवा बाडर पै जालिया, मैं धरती म्हं पड़गी।
****
हिंदी में सरलार्थ-आथ्यां मैंदी- हाथों पर मेहंदी। तोळी- जल्दी। कुणसी- कौनसी।

‘दो घुट पी कै बड़कां मारै, नाश करै यो जाम तेरा, बुग्गी जोड खेत मैं जाऊं, ताश पीटणा काम तेरा।’ दोस्तो मेरी या रागणी उन बेकरव्यां की पोल खोलण वाळी सै जो सारा दिन तास खेल्लां अर उनके घर की लुगाईयां घर, खेत, डंगरां के सारे काम्मा म्हं पजल ओई रहां। गाम म्हं एक लुगाई का घरआळा बेलड़ सराब्बी था, उसकी घर आळी काम म्हं मंडी रवै थी, एक दिन वा अपणे घरवाळे की खंचाई करदी ओयी एक बात के द्वारा यूं कहण लाग्गी…..

दो घुट पी कै बड़कां मारै

दो घुट पी कै बड़कां मारै, नाश करै यो जाम तेरा,
बुग्गी जोड खेत मैं जाऊं, ताश पीटणा काम तेरा।

ब्या ते पैलां लाड लडाए, तन्नै हुस्न दिखैथा गुग्गी म्हं,
इब बतावै मन्नै काळी-कोतरी, तुरप ढूंडरया दुग्गी म्हं,
बकरे दाढ़ी चाब्या करैं थे, कै लेरया था चुग्गी म्हं,
मन्नै आड गला कै महल बणाये, ब्याल्या था झुग्गी म्हं,
सुक्ख देख्या ना सासरे म्हं, बेवड़ा सारा गाम तेरा,
बुग्गी जोड़े खेत मैं जाऊं, ताश पीटणा काम तेरा।

फागण के म्हं रैड़ करै, तन्नै मैं सीधा करदयूंगी,
लेज्जु आळा बाट कोरड़ा, तेरी कढ़ पै धरदयूंगी,
लाल परी ते बणग्या पिंजू, सारा नशा अरदयूंगी,
इबकै ठेके पै चाल्या जो, तेरी सोड़ सी भरदयूंगी,
पाणी सर पै तै लिकड़या, इब तोडूं यो जाम तेरा,
बुग्गी जोड़े खेत मैं जाऊं, ताश पीटणा काम तेरा।

दूध दहीं का खाणा छोडया, तन्नै काळी चा या भागी,
टांडयां ज्युकर गात हिल्लै, कीडणी नै दारू खागी,
जितना कमावां उतना पीजा, भुंडी लत या लागी,
उपरला पान्ना ना आवै, के बोतल कब्र तक जागी,
नफे सिंह गंगनपुर वाळे, जळज्या सारा चाम तेरा,
बुग्गी जोड़े खेत मैं जाऊं, ताश पीटणा काम तेरा।
दो घुट पीकै बड़कां मारै, नाश करै यो जाम तेरा,
बुग्गी जोडे खेत मैं जाऊं, ताश पीटणा काम तेरा।
****
हिंदी में सरलार्थ-बड़कां- बकवास, गुग्गी- सफेद कबुतरी। चुग्गी- अंजुली, सरसों तेल डाल कर जलाने वाला मिट्टी का दिया। लेज्जु- रस्सी। भुंडी- बुरी।

‘रूक्का पड़ज्या दुनिया म्हं, जिब मटकै पोरी.पोरी, खैंच.खैंच कै ढुंगे मारे, बणकै सपना छोरी।’ दोस्तो मेरी या रागणी एक एंडी जनून की तरफ इसारा करै सै। आजकैल सपना नै अरयाणवी डांस म्हं धूम मचा राक्खी सै। हर रोज कई छोरी सपना की तरयां नाच कै अन्तरजाल पै वीडियो गेरैं सै। सपना जो डांस करै वा अरयाणे का लोक डांस सै जो लुगाईयां ब्या-सादियां म्हं करैं। सपना नै इसमै ओर ज्यादां नखार लयादिया।- दोस्तो एक बै सपना अपणे मात्थे पै लिश्कारे मारदी ओई बिंदी लाकै स्टेज पै डांस करण लागरी थी। उसका डांस देखरे लोग उसतै सौ-पांच सौ के नोट आथ म्हं पकड़ा कै जारे थे। तब्बे स्टेज के आग्गे बैठया एक सराबी झूमदा ओया आया अर स्टेज पै चढ़कै सपना के आथ म्हं दस का नोट दे एक एंडी सेर बोलदा ओया बोल्या-‘तन्नै बिंदिया जो या मात्थे पै लगा राक्खी सै, एक समां है जो मेरे दिल म्हं जळा राक्खी सै।, सपना नै थोड़ा हंस कै उसकै आथ ते दस का नोट ले उसे स्टेज तै निच्चै उतरणे का इसारा करदिया। सराबी थोड़ी देर म्हं फेर स्टेज पै दस का नोट दे बोल्या- ‘तन्नै बिंदिया जो या मात्थे पै लगा राक्खी सै, एक समां है जो मेरे दिल म्हं जळा राक्खी सै।’ सपना नै फेर उसते दस का नोट ले स्टेज तै निच्चै तार दिया पर ओ बार-बार स्टेज पै आकै दस का नोट दे सेर बोलदा रहया। जद सराबी दसवीं बार स्टेज पै आया तो सपना घणी छो म्हं आगी अर बिंदी अपणे माथे पै तै तारकै सराबी के आथ पै धरदी ओयी बोल्ली-‘भाईरोये इसनै मैं सौ रपिड़यां की खरीद कै ल्याइ थी, वैं तन्नै पूरे कर दिये अर इब इसनै घर लेजाकै अपणी बाण के मात्थे पै सजादे, तन्नै अड़ा नी आणा पड़ैगा, ओड़ाई तेरे दिल म्हं दिन-रात समां जळदी रवैगी।’

बणकै सपना छोरी

रूक्का पड़ज्या दुनिया म्हं, जिब मटकै पोरी-पोरी,
खैंच-खैंच कै ढुंगे मारे, बणकै सपना छोरी।

स्टेजां उपर चढ़कै गौरी, कोन्या घाट घालै सैं,
ताल उपर उठै पां तेरा, पूरा जोब्बन हाल्लै सै,
लाखां आळे सूठ पैर री, पूरा गेड़ा डाल्लै सै,
देखणियां के सांस रूकैं, यो दिल तेरे वाल्लै सै,
कुणसे गाम की रैण आळी, बता नाम अपणा गौरी,
खैंच-खैंच कै ढुंगे मारे, बणकै सपना छोरी।

सबते अब्बल गावणिये, घड़े मजीरे ल्या राक्खे,
फड़कदे से बोल तन्नै, प्रेम रस डुबा राक्खे,
अंस-अंस कै तों बोल काडरी, गूंद पंजीरे खा राक्खे,
दिल न दाब्बे बैठे गाबरू, छोरी नै धुम्मे ठा राक्खे,
गास बेल छागी सै या, झकड़न नै ओरी,
खैंच-खैंच कै ढुंगे मारे, बणकै सपना छोरी।

गबरू छोरे किलकी मारैं, नाच्चै बुड्डा काक्का,
सबकै सर पै फुटैगा यो, सुतळी आळा पटाका,
कोके का लिश्कारा गोरी, मारै घणा झम्माका,
नफे सिंह गंगनपुरीये के, दिल म्हं लागै धाक्का,
सतपकवानी बणज्यागी, जद खुलै खांड की बोरी,
खैंच-खैंच कै ढुंगे मारे, बणकै सपना छोरी।
रूक्का पड़ज्या दुनिया म्हं, जिब मटकै पोरी-पोरी,
खैंच-खैंच कै ढुंगे मारे, बणकै सपना छोरी।
*****
हिंदी में सरलार्थ-खैंच-खैंच- जोर-जोर से। गेड़ा- चक्कर। फड़कदे- मस्त। गास बेल- पेड़ों का रस चूस तेजी से उनके उपर छा जाने वाली बेल। होक्के- चींखना-चिललाना।

मदजोबन म्हं भर कै बेरण, चढ़ बैठी अटारी, तेरी गळी म्हं, हाडैं मंजनू, मारैं सै किलकारी।’ दोस्तो मेरे इस मसाला गीत नै जो कोय बडिया गळे वाळा गायक मिलग्या तो यो डी.जे पै कती धूम मचादेगा अर सारयां के पां ठादेगा। -दोस्तो एक बै पप्पू नै गवांड की एक सुथरी छोरी ते कसुत्ता प्यार ओग्या। पप्पू रोज गवांड म्हं जाकै कदे उनके टवैल पै, कदे गन्या बटोड़यां म्हं मड कै प्यार करण लाग्या। छोरी के बाब्बू नै जद उनकी रासलीला की भणक लाग्गी तो उसनै पप्पू दूसरी जात का ओण के कारण छोरी के गाल पै दो-चार ओळथे टका कै उसका ब्या किसी ओर तै कर दिया। दोस्तो भगवान के ऐसे करणे ओए उस छोरी का ब्या पप्पू के गाम म्हंई ओग्या। उसका घरआळा शहर म्हं नोकरी करै था अर ओड़े ते पांच-सात दिन बादइ आवै था। पप्पू पै कड़या टिक्या जा था। मेरा बटा दो तीन-मिन्नै बाद रात नै फेर ब्यालड़ी बहु धोरै जाण लाग्या। रात नै एक बै उस छोरी धोरै ओ गयाइ था के उपर ते उसका घरवाळा आग्या तो छोरी नै पप्पू अपणी खाट तळै लकोलिया। छौरी का घरवाळा कई दन बाद आया था। ओ उसते प्यार करदा ओया बोल्या घणे दिन का रूक्या पड़या था, आज तो मेरे म्हं इतना जोस आरया सै या खाट जरूर टुटैगी। ‘ओ भाई मन्नै बचाईये, मैं थारे निच्चै सूं।’ पप्पू डरदा ओया खाट तळे ते बोल्या।

तेरी गळी म्हं, हाडैं मंजनू,

आंख्या म्हं कटार, पोरी-पोरी मटके,
ढुंगे नै हलावै, छोरी मारै झटके,
कई पाग्ल ओगे, कई गिरे कटकै,
म्हारे गाम म्हं आरी छोरी नाच्चै डटकै,
नाच्चै डटकै…..नाच्चै डटकै….नाच्चै डटकै।
( अतिरिक्त मुखड़ा अंतरा रैप स्टाईल में। )

मदजोबन म्हं भर कै बेरण, चढ़ बैठी अटारी,
तेरी गळी म्हं, हाडैं मंजनू, मारैं सै किलकारी। -(टेक)

आंख्या सुरमां घाल, छोरी पाणी नै जावै सै,
मखन बरगा गात लेरी, कुणसी दहीं खावै सै,
तेरे नैना की मार बावली पड़री सब पै भारी,
तेरी गळी म्हं, हाडैं मंजनू, मारैं सै किलकारी।

भरे खजाने रितैं कोन्या, जितने सूठ सुवां बैरण,
घणी पजेब घड़ै रक्खी, पैर कै मन्नै दिखा बैरण,
म्हारे गाम म्हं आ जाइये, तेरी देक्खुं मैं फुलकारी,
तेरी गळी म्हं, हाडैं मंजनू, मारैं सै किलकारी।

कुणबा सारा राज्जी सै इब, मूं दखाई ओज्यागी,
अगले सामण म्हं तेरी, मांग भराई ओज्यागी,
नफे सिंह गंगनपुरीये ते, ला बैठी तों यारी,
तेरी गळी म्हं, हाडैं मंजनू, मारैं सै किलकारी।
मदजोबन म्हं भरकै बेरण चढ़ बैठी अटारी,
तेरी गळी म्हं हाडैं मंजनू, मारैं सै किलकारी।
****
हिंदी में सरलार्थ-डटकै- दिल लगा कर। हाडैं- आवारा फिरना। घाल- डालना। कुणसी- कौनसी। बावली- पगली। रितैं- खाली होना। फुलकारी- बगिया, फूलों की क्यारी। मूं- मुहं।

‘चार पैग म्हं धरती घुम्मै, पूरी बोतल लाकै जांचागे, ताऊ चाच्चे सब आजो आज, धुम्मे ठाकै नाचांगे।’ दोस्तो मेरी यें 2 रागणी ब्या-साद्दी की सै। अरयाणे म्हं ब्या की धूम इ सारे जग ते अलग ओ सै। बरात्ती टल्ली ओ कै खूब नाच्चैं। खाणा जितना मर्जी सतपकवान्नी बणैदयो पर जिब तक लाल परी नै चाल्लै परोणयां नू मजा कोन्या आवै।
– दोस्तो एक बर पप्पू के ब्या म्हं जद बरात फेरयां पै गई तो बरात्ती़ छोरयां नै उसकी सालियां ते जुत्ता लकोई के पीसे ना देण की सरारत सुज्जी। उननै फेरयां पै बैठे पप्पू के जुत्ते उसकी सालियां ते पैल्यां इ लकोलिए। पप्पू की सालियां नै जद देख्या बरात्ती छोरयां नै पैलयां ई जुत्ते लकोलिये तो वैं क्या छोरयां ते घाट थी, सारे बरात्ती जुत्ते काड कै फेरयां पै बैठे ओये थे, अर छोरियां नै उनके जुत्यां का कट्टा भरया अर बाहर बटोड़े म्हं लको आई। बस फेर के था बरातियां नै छोरियां तै दुगणे पीसे देणे पड़े अर जुर्माने म्हं बटोड़े तक नंगे पां भी चलणा पड़या।

1 चार पैग म्हं धरती घुम्मै

चार पैग म्हं धरती घुम्मै, पूरी बोतल लाकै जांचागे,
ताऊ चाच्चे सब आजो आज, धुम्मे ठाकै नाचांगे।

म्हारै नोटा की कमी नहीं, बाब्बु पीसे घणे बोवैगा,
गेड़े पै गेड़ा दे कै अड़ै, नागण डांस ओवैगा,
लाल परी इब सर पै चढ़गी, कोय हंसे कोय रोवैगा,
दिंगताणया तै लिकड़े पाच्छे, मन का मैल धोवैगा,
ब्या साद्दी म्हं मस्ती करलें, फेर जाके पत्रे बाचांगे,
ताऊ चाच्चे सब आजो आज, धुम्मे ठाकै नाचांगे।

बर्फी रसगुल्ले थाल सजे सै, चाट पकोड़े धरे हुए,
टंगड़ी, चमचम चकचक करती, लड्डु जोड़े भरे हुए,
सुक्का ठर्रा पीवणिये आज, अंग्रेजी म्हं हरे हुए,
घणेई एंडी पकण लागरे, दुख दर्दां ते परे हुए,
घोड़ी उपर चाल्लै बन्ना, बराती आकै माच्यांगे,
ताऊ चाच्चे सब आजो आज, धुम्मे ठाकै नाचांगे।

खाणे-पीणे मस्त रैणिये, कदे फसाद ना करते,
मस्त मंलग अम गाम्मा आळे, अलबाद ना करते,
मिलकै सारा काम करां, कदै फरीयाद ना करते,
नफे सिंह गंगनपुरीये से, कदै बकवाद ना करते,
के खोया के पाया जगत म्हं, फेर कदे यो जांचांगे,
ताऊ चाच्चे सब आजो आज, धुम्मे ठाकै नाचांगे।
****
हिंदी में सरलार्थ- बाब्बु- पिता। पीवणिये- पीने वाले। अळबाद- शोर-सराबा। फरीयाद- गिड़गिड़ाना। बकवाद- अनावश्यक बोलना।

2 लाल परी की सील तोड़ कै
लाल परी की सील तोड़ कै, बोतल ठाली आत्थां म्हं,
अरयाणे के गाणे बजगे, आग्या मजा बरात्तां म्हं।

जिज्जा साळा कट्ठे नाच्चैं, फुफा पकोड़े चरण लग्या,
बाब्बु दिक्खै पज्जल ओया, ताऊ ओक्का भरण लग्या,
धोत्ती ठाकै नाच्चै चाच्चा, साडु बेल करण लग्या,
घणी पेटियां लागैंगी इब, बोतल ते के सरण लग्या,
मेल्ली-जोल्ली सारे नाच्चैं, कै धरया सै जात्तां म्हं,
अरयाणे के गाणे बजगे, आग्या मजा बरात्तां म्हं।

बारदवारी पे आग्या इब, बनड़ा रीब्बन काट्टैगा,
सारी सखियां कट्ठी ओगी, ढब्बी के मन डाट्टैगा,
छोट्टी साळी घणी ओ जिद्दी, इब तन्नै बेरा पाट्टैगा,
नोट्टां आळी गड्डी देण नै, इब क्युकर तो नाट्टैगा,
टैल करण नै बन्नों मिलगी, इब के सोवै रात्तां म्हं,
अरयाणे के गाणे बजगे, आग्या मजा बरातां म्हं।

चाट पकोड़े पलेटां भरली, कोय रसगुल्ला खाण लग्या,
बारदवारी बडिया ओळी, छोरा फेरयां पै जाण लग्या,
सात फेरे म्हारी इंदू रित्ती, पंडत कसम ठवांण लग्या,
नफे सिंह गंगनपुर आळा, ब्या की शान बताण लग्या,
सारे कारज बडिया ओजां, या बरकत म्हारे आत्थां म्हं,
अरयाणे के गाणे बजगे, आग्या मजा बरात्तां म्हं।
****
मेल्ली-जोल्ली- रिस्तेदार-यार दोस्त। टैल- सेवा। इंदू रित्ती- हिंदू परम्परा।

‘कवै सै यो दिल मेरा, तेरी गेल मोहब्बत करल्यूं, यम के दूत लेण आवैं तन्नै तो, तेरे बदले मरल्यूं,
जमाए प्रेम रस म्हं डुब्बी ओयी मेरी या रागणी उन छोरयां नै समप्रत सै जो दुनियां जहान से दूर अपणी महबुबा के साथ मस्त रवैं। गाम के एक आसक छौरे नै शैर की सुथरी छौरी पसंद आगी अर उसकै धोरै जाकै ओ छोरा एक बात के द्वारा यूं बोल्या….

तेरी गेल मोहब्बत करल्यूं
कवै सै यो दिल मेरा, तेरी गेल मोहब्बत करल्यूं,
यम के दूत लेण आवैं तन्नै तो, तेरे बदले मरल्यूं,

इरणी डाळा भरै कलान्चे, कस्तूरी कड़ै लको राक्खी,
खुल्ले बाळ गजब लिश्कैं या जुल्फ कड़ै सी धो राक्खी,
मद-जोबन म्हं झुकी हुई तन्नै फसल कोण सी बो राक्खी,
सन्दल जैसा गात हूर, चंदन की लाक्कड़ टो राक्खी,
जो तेरी राज्जी ओ छोरी, मैं तेरी ओड़ पां दरल्यूं,
यम के दूत लेण आए तो, तेरे बदले मरल्यूं,

राज्जी ओकै बैठ पास ना, रूसवा करै दवान्ने नै,
दीवे लौ म्हं जलजैगा, ना फर्क पड़ै परवान्ने नै,
कुछ तो दुनिया कया करै, के प्यार जरै जमान्ने नै,
दोयों जान एक ओज्या आ, दूर दरैं बहान्ने नै,
इस धरती का सुर्ग बणै जद, तेरी कोळी भरल्यूं,
यम के दूत लेण आए तो, तेरे बदले मरल्यूं,

मद-जोबन का के बटे, काया म्हं सळबट आजा,
बड्डे-बड्डे टीरीखावां नै, एक दिन मरघट खाजा,
मेरी गेल्यां चाल परी, म्हारी जोड़ी सबनै भाजा,
सदा सुवागण बणकै रह, रब बेड़ा पार लगाजा,
नफे सिंह गंगनपुरीये नै, मैं आप्पै राज्जी करल्यूं,
यम के दूत लेण आए तो, तेरे बदले मरल्यूं,
*****
हिंदी में सरलार्थ-लको- छुपाना, टीरीखावां- नामी।

दोस्तो स्याणे लोग कहया करैं, दाब दिये बिना रस कोन्या लिकड़ै। यो म्हारे यू.पी. जैड्डा पाकिस्तान देश मच्छर बणकै म्हारा खून चुसण न ओरया, अर म्हारे नेता शांति-शांति रटदे रहां। यो मेरी सास्सू का जद तक काब्बु कोन्या आवै जद तक इसकै चार पीस ना बणाए जां। यो काम म्हारी एंडी फौजां दो दिन म्हं निबटैदेंगी बस ओडर की देर सै। दोस्तो पाकिस्तान ना सै यो पापी शैतान सै। इस बेरी की करतुत्तां देख कै म्हारे जैसे कवियों की कलम भी एैग उगलण लागजा। पापी शैतान की अक्ल ठकाणे लावण नै मन्नै या रागणी बणाई…

धाड़ मारदें सांस अटकज्या

धाड़ मारदें सांस अटकज्या, उस पापी नै समजैदयो रै,
ऐरै क्वेटा जाकै खोलो फायर, बलूच आजाद करैदयो रै।

अंधेरयां के गिदड़ सै यें, उक्की-उक्की करया करैं,
गन्ने म्हं बड़जां जै शुक्र, फंदा लाकै मरया करें,
अल्दी की गांठा के मुस्से, गणे पंसारी बणया करैं,
चोर-जार ओं ताड़न जोग्गे, बातां ते के डरया करैं,
अमन आली तान सुणै ना, रणकी तान सुणदयो रै,
ऐरै क्वेटा जाकै खोलो फायर, बलूच आजाद करैदयो रै।

टिडयां ज्युकर बडगे, पत्ते चाटण नू ओरे,
अडवारयां म्हं बैठे कुत्ते, काटण नू ओरे,
पल्ले म्हं न देल्ला कोय, लाटण नू ओरे,
चार पीस बणावांगे, थम पाटण नू ओरे,
बलुचिस्तान आजाद करा, बलूच जदाद बणदयो रै,
ऐरै क्वेटा जाकै खोलो फायर, बलूच आजाद करैदयो रै।

म्हारे अटम बम बण घुम्मै छोरे, अडकै देख लियो,
जनता पै करैं वार, सिंघा तै लड़ कै देख लियो,
बारूद लगैका धुम्मे ठादें, फातिये पढ़कै देख लियो,
धरती अंबर लाल बणै दें, खड़ कै देख लियो,
नफे सिंह गंगनपुरीये की, याए याद बणदयो रै,
ऐरै क्वेटा जाकै खोलैं फायर, बलूच आजाद करदयो रै।
****

हिंदी में सरलार्थ-हिंदी में हिंदी में सरलार्थ-धाड़- दहाड़। मुस्से- चूहे। अडवारयां- पशु कब्रगाह। सिंघा- शेर।

‘सर पै धर कै टोकणी, मैं पाणी नू जाऊं सू, बागां के म्हं लाग्गे निंबू, तोड़ कै खाऊं सूं।’ दोस्तो या रगणी उस धाकड़ छोरी की सै जो गाम की स्यूं पै बणै ओये कुए म्हं ते पाणी लेण जावै अर ओड़ै उसते एक परदेसी छोरा मिलज्या। दोन्ना फेर रोज मिलण लाग्जां अर रोज ओड़ी बेठकै घुटर-घूं करण लाग्जां। छोरे की चिकणी-चुपड़ी बात्तां सुण छोरी उसतै अपणा दिल दे बैठे अर एक बात के द्वारा छोरे तै यूं बोल्ली…….

सर पै धर कै टोकणी

सर पै धर कै टोकणी, मैं पाणी नू जाऊं सू,
बागां के म्हं लाग्गे निंबू, तोड़ कै खाऊं सूं।

चुन्नर पै सितारे चमकैं, मैं पैरूं बाज्जुबंद,
एक परदेशी एंडी छोरा, आग्या मन्नै पसंद,
मेरी गेल्यां बतलावै जिब, कुए पै जाऊं सूं,
बागां के म्हं लाग्गे निंबू, तोड़ कै खाऊं सूं।

बुल्लट ले कै उड़ै गाबरू, घणा मन्नै भावै सै,
धक सी सिन्ने में ओगी, जिब मेरा हाथ लावै सै,
पायां म्हं मेरी बाजैं पैल्लां, जिब म्हं पां ठाऊ सूं,
बागां के म्हं लाग्गे निंबू, तोड़ कै खाऊं सूं।

भारी सै या बंटा टोकणी, आकै हाथ लवाईये,
जी भरकै पैलां पाणी पिले, फैर मन्नै ठवाईये,
घणे आंग्गै म्हं बहे पसीन्ने, घर जाकै मैं नाऊं सूं,
बागां के म्हं लाग्गे निंबू, तोड़ कै खाऊं सूं।

घणी देर लगावै ना तेरी, गेल करया करार मन्नै,
नफे सिंह गंगनपुरीये ते, करकै देख्या प्यार मन्नै,
इबकै सामण म्हं छोरे, तेरे दिल म्हं बस पाऊं सू,
बागां के म्हं लाग्गे निंबू, तोड़ कै खाऊं सूं।
सर पै धर कै टोकणी, म्हं पाणी नू जाऊं सू,
बागां के म्हं लाग्गे निंबू, तोड़ कै खाऊं सूं।
*****
हिंदी में सरलार्थ-पैल- पायल। आंग्गै- जोर लगाना।

‘एंडी सी कमाण ताण कै, उपर तीर धरदा ना, एकली फिरूं सूं मेरा, कोय साथी बणदा ना।’ दोस्तो या टपकदी ओयी मसाल्ला रागणी नये आण के छोरयां खात्तर सै। इस रागणी की इरोइन अपणे वास्ते बेल्लड़ फुकरे छोरयां म्हं ते किसी बडिया साथी की तलास करण लागरी सै। -दोस्तो एक बै कालज की तीन छोरियां अपणे-आपणे बोए फ्रैन्डां की बडयाई कररी थी। उनमै ते एक बोल्ली- ‘मेरा बोए फ्रेन्ड तो मन्नै कंटीन म्हं ते घणे चाट खवावै।’ दूसरी बोल्ली अर मेरे वाळा तो मन्नै चाट खवाकै घणे सूट भी दवावै। तीसरी चुप रही तो वैं दोन्नो उसका मजाक करदी ओयी बोल्ली-‘तन्नै तो दिक्खै कोई फक्कख मिलग्या?’ ‘ना बेबे, मेरा तो कोय बोए फ्रैन्ड इ ना सै, मन्नै तो थारे आळे इ रजा कै राक्खैं।, तीसरी बोल्ली तो सुणके दोन्नो बेहोस ओगी।

एकली फिरूं सूं

एंडी सी कमाण ताण कै, उपर तीर धरदा ना,
एकली फिरूं सूं मेरा, कोय साथी बणदा ना।

लंडी जिप्सी, फ्रर्राटे भर री, लोएवील लवा राक्खे,
मंजनु बण चोंका पै घुम्मैं, मुदरे कान पवा राक्खे
डिक्की म्हंते बोतल खिंचा, कान्या झाग ठवा राक्खे,
बीड़ी बुझै जर्दा लालें, कीड़े तै दांत खवा राक्खे,
नशे पत्ते तै दूर रैणीया, मेरा जमात्ती बणदा ना,

एकली फिरूं सूं मेरा, कोय साथी बणदा ना।

सोलां सामण पार ओए मन्नै, यूंए आड गलाए सै,
दिल के अंधेरे खान्यां म्हं, आसा के दीवे जलाए सै,
आंख्या घाल्लै काजल डोरे, नैना तीर चलाए सै,
छण-छण बाज्जी पेंजणियां, मैचिंग सूट सलाए सै,
मेरे रूप की कदर करै, कोय इसा हमाती बणदा ना,
एकली फिरूं सूं मेरा, कोय साथी बणदा ना।

बागां म्हं म्हारे फूल खिले, महकै क्यारी-क्यारी,
मद जोबन की भरी पटारी, सबनै लाग्गै प्यारी,
संग का साथी कोय बणै, सब लावैं सुक्की यारी,
नफे सिंह गंगनपुरीये तेरी, देख लई हुशयारी,
सब तरयां ते मेळ मलैदे, इसा दात्ती बणदा ना,
एकली फिरूं सूं मेरा, कोय साथी बणदा ना।
एंडी सी कमाण ताण कै, उपर तीर धरदा ना,
एकली फिरूं सूं मेरा, कोय सात्थी बणदा ना।
****
हिंदी में सरलार्थ-मुदरे- कानों की मर्दानी बालियां। इमात्ती- पक्ष लेने वाला, हमदर्द।

‘मकलावे की रात बाहण मैं, अपणा आप्पा खोण लगी, सान्सा म्हं तफान चलैं जद, साज्जन दोरै सोण लगी।’ दोस्तो या रागणी उस नोवी बहु की सै जो मकलावै पाच्छे मीठी कोथळी ले कै अपणे पीहर जा सै। गळी-मौहल्ले की बचपन तै साथ म्हं खेल्ली-खाई छोरियों म्हं ते जद किसी साथण का ब्या ओज्या अर जद वा सवागरात मना कै फैरा पाण पीहर आवै तो छोरियां कट्ठी ओकै उसते साज्जन धोरै सोवण की सारी बात बुज्यैं अर वा सर्मादीं ओई एक बात के द्वारा के जवाब दे…….

मकलावे की रात

मकलावे की रात बाहण मैं, अपणा आप्पा खोण लगी,
सान्सा म्हं तफान चलैं जद, साज्जन दोरै सोण लगी।

खुली बछेरी आंडया करती, इब पां के धरलेगी,
खुंटा डुंगै म्हं गडग्या सै, बाहर के चरलेगी,
ठाडा माणस पल्ले पड़ज्या, थोड़ी के सरलेगी,
खुल कै साज्जन प्यार करैगा, छोरी के मरलेगी,
बादळ बणकै गर्ज बरसग्या, मैं अपणी जान लकोण लगी,
सान्सा म्हं तफान चलैं जद, साज्जन दोरै सोण लगी।

मैं पतळी सी कांबणी, ठाऊं के जबर बरोटा,
मेरी बुग्गी म्हं जुड़ग्या सै, यो सरकारी झोट्टा,
काळी नागण मूं म्हं देकै, चटणी ज्युकर घोट्टा,
दिंगताणा करणे माणस ते, बोलण का भी ट्टोट्टा,
गाळी दे कै झिड़कै सै, मैं बम्बे पा कै रोण लगी,

सान्सा म्हं तफान चलैं जद, साज्जन दोरै सोण लगी।

इब खाऊं सूं गुड़ पंजीरी, कल मैं निंबू धरल्युंगी,
मकलावे की बातां सारी, सखियां के संग करल्युंगी,
ब्यां आळी या मिट्ठी कोथळी, पीहर जाकै भरल्युंगी,
नफे सिंह गंगनपुरीये संग, चार दिन म्हं मरल्युंगी,
दिल यो बेरी डटता ना, मैं कई बै चाक्की जोण लगी,
सान्सा म्हं तफान चलैं जद, साज्जन दोरै सोण लगी।
मकलावे की रात बाहण मै, अपणा आप्पा खोण लगी,
सान्सा म्हं तफान चलैं जद, साज्जन दोरै सोण लगी।
****

हिंदी में सरलार्थ-आंडया- बाहर घूमना। पां- पांव। डुंगै- गहराई में। कांबणी- बहुत कमजोर।

‘मेरे दिल के तैखान्या म्हं, वा यादां बणकै फिरया करै, आवा बणकै बहण लागज्या, बादळ बणकै घिरया करै।’ साथियो मेरी अल्की-फुल्की या रागणी प्रेम रस तै लबरेज सै। छोरे नूं उसकी मासुक्का दीखजा तो घी सा गलजा अर ना दिक्खै तो बचैनी बडजा, टूक भित्तर कोन्या जावै। एक छोरा छोरी आपस म्हं घणाइ प्यार करया करैं थे पर दोन्नो मिन्यों ना मिले तो छोरा अपणे खेत की डोळ पै बैठकै सोचण लाग्या….

मेरे दिल के तैखान्या म्हं

मेरे दिल के तैखान्या म्हं, वा यादां बणकै फिरया करै,
आवा बणकै बहण लागज्या, बादळ बणकै घिरया करै।

वादे बफा की बात नहीं, तेरा नूर रैणा चइये,
दुख तकलिफां माड़ा टेम भी, दूर रैणा चइये,
अर मोसम म्हं तेरे बागां म्हं, बूर रैणा चइये,
हुस्न नसे म्हं अर दिवान्ना, चूर रैणा चइये,
तेरे हुस्न के दरिया भित्तर, दुनिया सारी तिरया करै,
आवा बणकै बहण लागज्या, बादळ बणकै घिरया करै।

दिल के अंदर कोय खोट ना, सारे बंद तों खोल्या कर,
रूठया ना कर सुथरी छोरी, दिल म्हं ओ जो बोल्या कर,
अच्छी माड़ी सारी बातां, मेरे दिल पै डोल्या कर,
गर्मी म्हं मन्नै आवै पसीन्ना, दप्पटा ला कै झोल्या कर,
जग प्रलयों सी मन की माया, दुनिया के म्हं फिरया करै,
आवा बणकै बहण लागगी, बादळ बणकै घिरया करै।

मैखान्यां म्हं कुछ ना राख्या, बणरया तकड़ा झेरा सै,
तेरी आंख्या की मय का बावळी, अमनै नशा बतेरा सै,
रोटी आळे जुगाड़ लाण नै, ओग्या जगत कमेरा सै,
दो आखर प्रेम आल्यां का, सबनै कोन्या बेरा सै,
नफे सिंह गंगनपुरीया इब, कुणसा सबते जिरा करै,
आवा बणकै बहण लागगी, बादळ बणकै घिरया करै।
मेरे दिल के तैखान्या म्हं वा, यादां बणकै फिरया करै,
आवा बणकै बहण लागज्या, बादळ बणकै घिरया करै।
****
हिंदी में सरलार्थ-घिरया- छा जाना। माड़ा टेम- बुरा वक्त। सुथरी- सुंदर। जिरा-बहस।

‘मेरी सुक्की क्यारी मुरझावै कोये, बूंद गिरै ना छणकै, कदे तो खुलकै बरश्या कर सामण का बादळ बणकै।’ दोस्तो सामण के मिन्नै म्हं एक बर खेत म्हं काम करदे ओये मेरे मीना कमारी पै बणाया ओया यो गाणा याद आग्या, मोसम है आसकाना, फिरते हैं हम अकेले, बाहों में कोई ले ले, आखर कोई कहां तक तन्हाइयों को जेले। अर इस गाणै जैसी मन्नै फेर या रागणी बणा दी, पर या इस गाणै की तरज पै ना सै बस वचार उस जैसा सै कयूंके कड़ी ते नकल मारकै लिखणा मेरे वसुल्लां के खलाफ सै अर इसका यो कारण सै के मैं कुछ नोवा लिखण की कोसस करूं सूं पराणयां के तो कट्टे भरे पड़े सै। -दोस्तो एक बर एक घणी सुथरी छोरी रेलवे टेसन पै किसी के इतंजार म्हं कल्ली खड़ी थी। एक छोरा ओड़ै आकै उसनै छेड़दा ओया बोल्या-‘ऐ हसीन परी तन्नै देख कै मेरा दिल प्रेम गीत गाण लागरया।’ ‘मन्नै तो यूं लाग्गै जणो तों छित्तर चाण लागरया, अर थोड़ा डटज्या भाइरोये आण वाळी ट्रेन म्हं तेरा पुलस वाळा जिज्जा आण लागरया।’ छोरी पटदेसी बोल्ली तो छोरा भाजलियां ओड़े ते।

मेरी सुक्की क्यारी मुरझावै

मेरी सुक्की क्यारी मुरझावै कोये, बूंद गिरै ना छणकै,
कदे तो खुलकै बरश्या कर, सामण का बादळ बणकै।

तेरे जोग्गी ओळी सै मैं, किम्मै खोट ना मन म्हं,
गैरां डाळा बात करै ना, मन्नै ले-ले अपणे पन म्हं,
कोयल डाळा कूक रही सूं, बारां आळे बन म्हं,
मन के भित्तर जाळ उठरी, लग्या अंगाया तन म्हं,
गेड़े पै गेड़ा आजा, मेरी पायलिया छण-छणकै,

कदे तो खुलकै बरश्या कर, सामण का बादळ बणकै।

सामण आळी बारां म्हं, म्हारे बाग बगीचे झुके हुए,
सेब संतरे आम लागरे, आड़ू पत्यां म्हं लुके हुए,
कली बणकै फूल खिलै, भोंरे फुल्लां पै रूके हुए,
कल्ली मैं बागां म्हं घुम्मु, सारे चा मेरे मुके हुए,
इसा गाबरू ना दिक्खै जो, तीर मार दे तणकै,
कदे तो खुलकै बरश्या कर, सामण का बादळ बणकै।

आस्सज के सुक्के बान्नां की, बारस तेड़ा भरया करै,
खुलकै बादळ बरसै तो, जलथल धर पै करया करै,
इक परदेसी छोरा मेरे, सारे दुखड़े हरया करै,
नफे सिंह गंगनपुरीये बिन, इब क्युकर सरया करै,
लग्या कसुत्ता यारान्ना मन्नै, अरबों करदिये जणकै,
कदे तो खुलकै बरश्या कर, सामण का बादळ बणकै।
मेरी सुक्की क्यारी मुरझावै, कोये बूंद गिरै ना छणकै,
कदे तो खुलकै बरश्या कर, सामण का बादळ बणकै।
****
हिंदी में सरलार्थ-किम्म- किसी भी प्रकार से। बारां- बहारां। जणकै- पैदा करना। कसुत्ता- अनोखा।

‘कोठी बंगले कार बणैदिये, इब टेक्टर चाल्लैं बान्ना म्हं, म्हारे प्रेम की डोर ना टुटी, ब्यायी थी तों छान्ना म्हं।’ दोस्तो म्हारे बजुर्ग कहया करैं के हंस-हंसणी म्हं सबते ज्यादां प्यार ओया करै अर उनमै ते एक आरी-बमारी म्हं मरज्या तो उसका साथी अन्न-जल छोड कै अपणी देह त्यागदे। अर भाई साथी के साथ मरणा तो दूर की बात लोग-लुगाईयां म्हं तो आजकैल जिंदेजी अपणे जीवन साथी नै छोडण का फैशन सा चलरया सै, पर फेर भी घणे ऐसे प्रेमी जोड़े सै जो दो गऊ के जाया की तरयां जिंदगी आळे जूळे म्हं जुड़कै सारी उम्र गजार दें। मेरी या रागणी ऐसे इ एक प्रेमी जोड़े के उपर सै जो घणी गुरबत काट कै सबलैगी म्हं आवै। अपणे ब्या ते बीस-पच्ची साल बाद अपणी पराणी बातां नै याद करदा ओया ओ प्रेमी अपणी जीवन साथी तै एक बात के द्वारा यूं बोल्या…….

म्हारे प्रेम की डोर ना टुटी

कोठी बंगले कार बणैदिये, इब टेक्टर चाल्लैं बान्ना म्हं,
म्हारे प्रेम की डोर ना टुटी, ब्यायी थी तों छान्ना म्हं।

पीली पटदे अळ जुड़जैं थे, देख्या ना अराम कत्ती,
चिकण माट्टी ओक्खी फाट्टै, ओया करै थी शाम कत्ती,
मक्की आळी रोटी ले कै, आजा थी मेरी रामवती,
लस्सी आळा गडवा पीकै, मिलजा था अराम कत्ती,
मेरी गेल्लां मडकै पांथां लाई, डटी रही सै फान्यां म्हं,
म्हारे प्रेम की डोर ना टुटी, ब्यायी थी तों छान्ना म्हं।

मेरे दिल के अंदर बसकै, घणा काम तन्नै करया परी,
चोंका चुल्ला घास कटाई, दोगड़ पाणी भरया परी,
बैरियां नै कसर ना गाल्ली, म्हारा सुख ना जरया परी,
कौळे पकड़े रोए कोन्या, तन्नै सब दुख अरया परी,
इब बैठ पंलग पै मौज उड़ाले, बरसैं नोट दान्ना म्हं,
म्हारे प्रेम की डोर ना टुटी, ब्यायी थी तों छान्ना म्हं।

अंधेरयां का राज रहै ना, अटकै चांदण आजा सै,
पो आणे पै जाड्डे लाग्गां, फागण दिल नै भाजा सै,
बिन चाल्ले के काम बणै, चालणिये गंगा नाजा सै,
मिन्त करणीये माणस का, स्वर्ग अड़ी सी आजा सै,
नफे सिंह गंगनपुर आळा, इब बैट्ठया अरे लान्ना म्हं,
म्हारे प्रेम की डोर ना टुटी, ब्यायी थी तों छान्ना म्हं।
कोठी बंगले कार बणैदिये, इब टेक्टर चाल्लैं बान्ना म्हं,
म्हारे प्रेम की डोर ना टुटी, ब्यायी थी तों छान्ना म्हं।
****
हिंदी में सरलार्थ-बान्ना- खेत रकबे। छान्ना- झोपडि़यां। ओक्खी- मुश्किल। दान्ना- चावल की फसल। मिन्त- मेहनत।

‘फेसबुक टवीटर बणगे, लाइकां वाळा मेल्ला, आप्पा पंथी ओरे सारे, क्या गुरू क्या चेल्ला।’ दोस्तो मेरी या रागणी सोसल मीडिया के उपर सै। आजकैल छोरे-छोरियां काम-धाम छोड कै फेसबुक, टवीटर पै कसुत्ती डाळ मंडे रवां अर लाइक, कमैंटां नूं चाटयों जां। जिस छोरी की देह की तारफ म्हं दो-चार सौ लाइक कमैंट आजां उसका घी सा गलजा अर कम आवां तो हीक म्हं रोटी कोन्या जावै। कई सोसल मीडिया पै प्यार करकै धोखा भी खाजां अर फेर रस्सी नाड़ म्हं गाल कै अपणी जान खपाजां। बेल्लड़ पागलां वास्ता जहां इस अंतरजाळ का नकसान सै ओड़ी फैदा भी घणा सै। जट ते अपणी कोय बात, कविता, रागणी दुनिया तक पचाइ जा सकै। एक बै सीम रचार्ज करवा बदैसां म्हं बैठे अपणे बंध्या का मूं देख कै फ्री म्हं घंटो बात की जा सकै।

फेसबुक टवीटर बणगे

फेसबुक टवीटर बणगे, लाइकां वाळा मेल्ला,
आप्पा पंथी ओरे सारे, क्या गुरू क्या चेल्ला।

ठाड्डा मेकप लाकै छोरी, फोटो डाल्लै वाल पै,
जीभ लपरके देवण लाग्गी, इंटनैट के माल पै,
आख्यां सुरमां गालरी छोरी, तिल बणारी गाल पै,
देख वीडियो पाग्ल ओगे, मोरणी सी चाल पै,
घणी एंडी बणकै छोरी, कमैंटा का देवै पेल्ला,
आप्पा पंथी ओरे सारे, क्या गुरू क्या चेल्ला।

हाय हल्लो सलाम नमस्ते, उठदे मबैल खोल्लै,
पीली पटदे उंगळ चालै, या डब्बी टप-टप बोल्लै,
देख भाळ के पेज पलट या, सबनै चोक्खा तोल्लै,
जवान ओ या बुड्डी ठेरी, छोरयां का दिल छोल्लै,
जमाए तपदा सीन भेज, तेरा आसक बेठया भेल्ला,
आप्पा पंथी ओरे सारे, क्या गुरू क्या चेल्ला।

कड़ी की ईंट, कड़ी का रोड़ा, छांट भरलिया,
मेहर सिंह, गुरू लखमी चंद, छंद काट दरलिया,
चोरी का गुड़ मिट्ठा लाग्गै, सारा घाट चरलिया,
नफे सिंह गंगनपुर वाळा, भाट हरलिया,
दुनिया धारी के मेल्ले म्हं, ओरया धक्का पेल्ला,
आप्पा पंथी ओरे सारे, क्या गुरू क्या चेल्ला।
फेसबुक टवीटर बणगे, लाइकां वाळा मेल्ला,
आप्पा पंथी ओरे सारे, क्या गुरू क्या चेल्ला।
****
हिंदी में सरलार्थ-ठाड्डा- अत्याधिक। तपदा-गर्म। भाट- दिलचस्प छंद बणा पहले लोगों का मनारंजन करने वाले लोग।

‘चोंका उपर सांड छूटरे’ छोरे घणी देर ते आवै सै’ मुंदा गेर कै गोळी ठोक्कुंए जो तेरी ओढ़ लखावै सै।’ दोस्तो मेरा यो गर्म मसाला गीत नोये आण के छोरया वास्ता सै। एक कालज की छोरी जद कालज जावै रास्ते म्हं एक छोरा उसते छेड़खान्नी करै अर वा इसकी सकैत अपणे बोय फ्रेन्ड ते करै तो दोन्ना म्हं एक बात के द्वारा के सवाल जवाब ओण लगे…..

दो चस्मी रागणी
मुंदा गेर कै गोळी ठोक्कुं

छोरी- चोंका उपर सांड छूटरे, छोरे घणी देर ते आवै सै,
छोरा- मुंदा गेर कै गोळी ठोक्कुं, जो तेरी ओढ़ लखावै सै।

छोरी-मक्खन ज्युकर गात चमकज्या, तड़कै उठकै नाऊं सूं,
एक मस्टंडा पाछै पड़ज्या, जद मैं कालज जाऊं सूं।
छोरा-बुलट उपर बैठ परी तन्नै, कालज मैं ले जाऊं सूं,
मस्टडे की फिक्र करै ना, उस साळे नू समझाऊं सूं,
जिस दिन मेरे अत्थे चढ़ग्या, तेरे पैरां म्हं गिरजावै सै,
मुंदा गेर कै गोळी ठोक्कुं, जो तेरी ओढ़ लखावै सै।

छोरी-जदते फूल खिले बगिया म्हं, बोंरा बणकै आण लग्या,
दिल म्हं धक सी ओवै सै, तों मेरा आथ लगाण लग्या,
छोरा-परियां बरगा रूप तेरा छोरी, मेरे दिल न भाण लग्या,
घणा जी सा आग्या रै तन्नै, छात्ती का मैं लाण लग्या,
म्हारे बस की बात नहीं सै, यो इश्बर मेळ करावै सै,
मुंदा गेर कै गोळी ठोक्कुं, जो तेरी ओढ़ लखावै सै।
छोरी- सुक्कि करसी गेर-गेर कै, आग भरूं सूं आरी म्हं,
सारी सखियां पीहर डिगरगी, मररी रोज कवांरी मैं,
छोरा-सारा कुणबा राज्जी सै इब, देर ना बारदवारी म्हं,
नफे सिंह गंगनपुरीया यो, बैठया सै तैयारी म्हं,
अंस कै खेल्ले खाए जा, छोरा सर पै मोड़ धरावै सै,
मुंदा गेर कै गोळी ठोक्कुं, जो तेरी ओढ़ लखावै सै।
छोरी- चोंका उपर सांड छूटरे, छोरे घणी देर ते आवै सै,
छोरा-मुंदा गेर कै गोळी ठोक्कुं, जो तेरी ओढ़ लखावै सै।
****
हिंदी में सरलार्थ-सांड- गांव साझला बैल, गांव साझा बैल। ओढ़ लखावै – तरफ देखे। मस्टंडा- आवारा। बरगा- जैसा। डिगरगी- चली गई।

‘बयारी पुर ते थ्यागी बन्नों, आज छोरे की साद्दी, लाल परी म्हं डुब्बे सारे, ओरे सै अलबाद्दी, साथियो मेरा यो गीत अरयाणे के लोक गित्ता, बोलियां की डाळ गाया जा सकै अर इसकी कई तरयां ते तरज बण सकै। म्हारे अम्बाळे म्हं लुगाईयां फेरयां पै कई गीत गावैं सै जिन्नै वैं सिठणियां बोल्या करैं। ‘बन्ना कलड़ा क्यूं आया वे अज दी गड़ी, अपणी बेबे नैं ना ल्यावा वे अज दी गड़ी।’ ‘छोरे घुटर-घुटर ना देख, तेरी आंख्यां पाया रेत, साड्डे चरणा माथा टेक।’ जैसे बहुत से हिट लोकगीत सै जो उच्चे सुर म्हं गाए जां सै। सारे भाईयां नै मेरा लिख्या यो गीत जरूर पसंद आवैगा।

हरियाणवी बोलियां, नव-प्रयोग

बयारी पुर ते थ्यागी बन्नों, आज छोरे की साद्दी,
लाल परी म्हं डुब्बे सारे, ओरे सै अलबाद्दी,
धूड़ा ठाराक्खी, यें ओरे सै उन्माद्दी, धूड़ा ठाराक्खी……

कोय सपारी सूट पेररया, कोय पेररया खाद्दी,
धोत्ती ठाकै दाद्दा नाच्चै, नाच्चै छोरे की दाद्दी,
धूड़ा ठाराक्खी, यें ओरे सै उन्माद्दी, धूड़ा ठाराक्खी……

डीजे उपर छाळां मारै, बड़ग्या इसमें बाऊ,
लांगड़ धोत्ती चक्करी मारै, नाच्चै छोरे का ताऊ,
आज चढ़ाराक्खी, यो बणया फिरै था साऊ,
खूब चढ़ाराक्खी, आज मिलगी सै आजादी,
धूड़ा ठाराक्खी, यें ओरे सै उन्माद्दी, धूड़ा ठाराक्खी……

छोरे खेन्चाताणी कररे, आग्या सै यो काब्बु,
नोट्टां वाळी थैल्ली ले कै, नाच्चै छोरे का बाब्बु,
पीसे बो कै आप्पै ठाले, जेब म्हं करले काब्बु,
कंजुस मक्खी चूस ओरया समझै सै जद्दादी,
धूड़ा ठाराक्खी, यें ओरे सै उन्माद्दी, धूड़ा ठाराक्खी……

गळ म्हं राणी आर पैररी, कान्ना के म्हं बाळी,
छोरे किलकी मारण लागे, नाच्ची जीज्जे की साळी,
इसते लाड करो, या लेरी आथ म्हं थाळी,

इसते लाड करो, या ओवै घरवाळी आद्दी,
धूड़ा ठाराक्खी, यें ओरे सै उन्माद्दी, धूड़ा ठाराक्खी……

सर पै बोतल, नागण डांस, फायर कररे तैयार,
सारे बराती पाछै अटल्यो, नााच्चैं छोरे के यार,
गाळां छड़-छड़ कै, यें किसका देक्खैं बार,
गाळां छड़-छड़ कै, यारां नै और मगादी,
धूड़ा ठाराक्खी, यें ओरे सै उन्माद्दी, धूड़ा ठाराक्खी……

नोट छोरे पै वार-वार, यो देण लग्या सगुफा,
ब्रेक डांस कररया सै यो, देखो छोरे का फुफा,
पकोड़े डळज्यांगे, ओज्या दूर बै-बाद्दी,
धूड़ा ठाराक्खी, यें ओरे सै उन्माद्दी, धूड़ा ठाराक्खी……

दारू खूब चढ़ा राक्खी, यो यूए आल्यों जावै,
नफे सिंह गंगनपुरीये नै, नाचण कोन्या आवै,
भंगड़े पड़ज्यांगे, जद पितळी बाज्जा ल्यावै,
बोलियां लिख-लिख कै ब्याहां की शान बड़ादी,
धूड़ा ठाराक्खी, यें ओरे सै उन्माद्दी, धूड़ा ठाराक्खी……
****
हिंदी में सरलार्थ-थ्यागी- पा लेना, मिल गई। अलबाद्दी- हुड़दंगी। खेन्चाताणी- जबरदस्ती।

‘ओर कड़ी जा आसकी करले, चक्कर म्हं मेरे पढि़ये ना, म्हारे गाम म्हं एंडी छोरे, इनके हत्थे चढि़ये ना।’ दोस्तो मेरी या रागणी एक तरफा प्यार की सै। छोरा धक्का-शाही करके छोरी नू पटाणा चावै। छोरी उसते उंच-नीच समझांदी ओयी अपणे गांव के एंडी छोरयां का डर दिखावै अर एक बात के द्वारा दोन्नो म्हं के सवाल-जवाब ओण लगे…….

दो चस्मी रागणी
म्हारे गाम म्हं एंडी छोरे

छोरी- ओर कड़ी जा आसकी करले, चक्कर म्हं मेरे पढि़ये ना,
म्हारे गाम म्हं एंडी छोरे, इनके हत्थे चढि़ये ना।
छोरा- रात चांदणी प्यार करैं आ, स्या झुण्डा ते डरिये ना,
बडे बड़यां की एंड काडदयूं, दिल म्हं खुटका करिये ना।

छोरी- कितका बणकै आसक आंडै, यें छोरे दंगल जावैं सै,
धोबी पाट ला तारे दखै दें, मुंदा गेर दबावैं सै,
तेल पाट्टां का लाकै चाल्लैं, अड्डियां गिरवीं धरिये ना,
म्हारे गाम के एंडी छोरे, इनके हत्थे चढि़ये ना।

छोरा- लाल फरारी सौ पै चाल्लै, नोट्टां के म्हारे कुठले भरे,
घणेई नामी पलवान म्हारे, घर पै बॉडी गार्ड लगे,
राज्जी ओकै लाड करैं आ, ओळी-बोळी पढि़ये ना,
बडे बड़यां की एंड काडदयूं, दिल म्हं खुटका करिये ना।

छोरी- चोर-जार बदफैलियां करणे, सबते ज्यादां डरया करैं,
नफे सिंह गंगनपुरीये बिन, म्हारे क्या दुख अरया करै,
मेरे चक्कर म्हं भावी चढ़जा, बिना काळ यूं मरिये ना,
म्हारे गाम के एंडी छोरे, इनके हत्थे चढि़ये ना,
****
हिंदी में सरलार्थ- स्या- काले। खुटका- अंदेशा। ओळी-बोळी- इधर-उधर की बे-मतलब बातें।

‘काणे गेल्यां ब्या करवा, इब रोवै मेरे खत पढ़कै, मैं रांझा पाली कोन्या, मेरी हूर देख छत चढ़कै।’ दोस्तो मेरी या रागणी आजकैल के प्यार पै सै। ‘तेरी गेल्यां बेसक ले लिये सै मन्नै फेरे, अर तों मरग्या तो और बतेरे।’ गाम म्हं एक छोरा-छोरी प्यार करैं थे, अर छोरा उसनै घणा माल पियावै था, पर छोरी के घरवाल्यां नू उसका ब्या बदेस म्हं करदिया। जद वा कई साल बाद गाम म्हं आई अपणे पराणे प्रेमी नै देख कै रो पड़ी पर प्रेमी उसते बोल्या- ‘रोण की कोय बात ना सै, मैं कोय रांझा पाळी ना सूं जो तेरे बिछड़ण पै पाग्गल ओया फिरूंगा, अपणी छत पै चढ़कै देख मेरी सूणी हूर तन्नै चौबारे म्हं बैठी दिक्खैगी।’ अर एक बात के द्वारा छोरा अपणी प्रेमका ते यूं बोल्या…..

मैं रांझा पाली कोन्या

काणे गेल्यां ब्या करवा, इब रोवै मेरे खत पढ़कै,
मैं रांझा पाली कोन्या, मेरी हूर देख छत चढ़कै।

मद-जोबन म्हं भरी हुई थी, ओरी थी तों पाटण नू,
कच्चे निंबू जड़ै दिक्खैं थे, ओज्या थी तों चाटण नू,
बौंरे पड़कै नदी बहै थी, ओरी थी कनारे काटण नू,
सौ-सौ मणकी झाल उठी, मैं थ्याया दिल ढाटण नू
मेरी बाग्गड़ बिल्ली बणकै, तन्नै दूध पी लिया पड़कै,
मैं रांझा पाली कोन्या, मेरी हूर देख छत चढ़कै।

पाणी फोल्ले, चाट समोसे, आग्या था तन्नै खाणा,
म्हारे टीवल की ओद्दी के म्हं, आया लक्स म्हं नाणा,
चमक चांदणी घणी दीखज्या, ओज्या माणस स्याणा,
अम गाम्मा के सीधे भोळे, बदेश तन्नै था जाणा,
ओड़ै सोन्ने आळे पिंजरे के म्हं, मरजैगी इब सड़ कै,
म्हं रांझा पाली कोन्या रै, मेरी हूर देख छत चढ़कै।

इंद्र के खाड़े म्हं जाकै, इब ल्याया म्हं हूर परी,
अगले सामण म्हं छोरी, ओज्यागी या गोद अरी,
सत्तर किल्ले ट्रैक्टर गुंजैं, खेती मन्नै खूब करी,
नफे सिंह गंगनपुरीये की, कुणसी तन्नै बात जरी,
गोरे तन यो कोळे ओज्या, राख गिरैगी उड़ कै,
मै रांझा पाली कोन्या रै, मेरी हूर देख छत चढ़कै।
****
हिंदी में सरलार्थ- झाल-लहर।

‘भूरे बरगा गात हूर, ओट्ठा म्हं खांड सी गळरी, छोरे मेरा रूप देख, तेरे दिल म्हं आग सी जळरी।’ साथियो यें 2 गीत मन्नै खास अरयाणे की लुगाइयां बास्ते खोड़े वाळी तरज म्हं लिख्या सै। छोरयां के ब्या म्हं बरात्ती जद बन्ने नू लेकै बन्नो लेण चले जांवै थे तो पाच्छे ते सारे मल्ले की लुगाइयां घर की छतों पै चढ़कै छाज बजांदी ओई गीत गां कै नाच्या करैं थी। इब तो म्हारे यहां डी.जे वाळे नै बलालें अर अरयाणवी अर फिल्मी गाणे लवाकै नाच्यों जां पर इब्बै भी कई जगां पै खोड़ा ओवै।

1- ओट्ठा म्हं खांड सी गळरी

भूरे बरगा गात हूर, ओट्ठा म्हं खांड सी गळरी,
छोरे मेरा रूप देख, तेरे दिल म्हं आग सी जळरी,
चास बणाले न, तेरी आंख जलेबी तळरी, चास बणाले न….

कुए के म्हं डोल्लु लटकै, उपर लगरया धूरा,
तन्नै छोरे पाणी प्यादयूं कोड्डा ओज्या पूरा,
घिरड़ी धुरै पै, चप-चप लेज्जू चलरी,
चास बणाले न, तेरी आंख जलेबी तळरी, चास बणाले न….

अक्कख बक्कड़, बम्बे बो,
जे मेरे नखरे, ठान्दा ओ,
धक्के दयूंगी, पूरे सौ,
म्हारे नींब तळै, झुल्ले म्हं पटड़ी घलरी,
चास बणाले न, तेरी आंख जलेबी तळरी, चास बणाले न….

अंडे का पाणी, लाल मदाणी,
मेरे दिल की, तन्नै ना जाणी,
एक दिन खत्म करूं सारी घाणी,
मैं तै यूं ए सुक्की बळरी,
चास बणाले न, तेरी आंख जलेबी तळरी, चास बणाले न….

बकड़-बकड़ क्यूं बोल्लै सै, आग्या मेरा बीरा,
सारे कबुतर उड़जैंगे, जद नळ म्हं लादे चीरा,
नफे सिंह गंगनपुरीये अड़ै खिंडज्यां तेरी लीरा,
मन्नै देख कै न, तेरी आंख चपेरा चळरी,
चास बणाले न, तेरी आंख जलेबी तळरी, चास बणाले न….
*****
हिंदी में सरलार्थ-नळ- गर्दन। चपेरा- चारों ओर।

2
छोरी नाचलयो न

कोठे उपर कोठड़ा, उसपै पड़रया खोड़ा,
सारा मल्ला कट्ठा ओग्या, नाचण का के तोड़ा,
छोरी नाचलयो न, के थारै ओरया फोड़ा।
छोरी नाचलयो न, … . . . . .,

कोय छोरी कनस्तर पिट्टै, कोय छाज तोड़ा,
बनड़ा बन्नों लेण जालिया, बणजैगा इब जोड़ा,
छोरी नाचलयो न, के थारै ओरया फोड़ा।
छोरी नाचलयो न, … . . . . .,

चुल्हे उपर कढ़ाही चढ़री, तेल न आग्या बाळा,
सारे गुलगले पके गुलाबी, एक ओग्या काळा,
अम्मा नाचले नै, तेरा सीमदी तेरां ताळा,
अम्मा नाचले नै, … . . . . .,

कोठे उपर कोठड़ा, उसपै पड़रया खोड़ा,
नकली दान्द लाकै देखो बणरया सै यो घोड़ा,
सीमदी बढि़या सै, क्युं अटकावै रोड़ा,
सीमदी बढि़या सै, … . . . . .,

धोत्ती कुर्ता पैरकै, या आगी मल्ले की जस्सो,

खोड़े के म्हं रोब जमैके, बणरी सबकी नस्सो,
ताड़ी बाजण दयो, लादेगी या घस्सो,
ताड़ी बाजण दयो, … . . . . .,

पाणी फोल्ले सास्सु खाकै, बणगी सै सबिल्ला डाग,
मुंदी पड़ इब खाट तोड़री, चरखा देक्खै आवै आग,
छोरियो राम करो, या करले भागम भाग,
छोरियो राम करो………….,

आरे के म्हं दूध दरदिया, दूध नै आग्या भाळा,
म्हारी भाभी बडी भल्लकड़, ओवैगा इब गाळा,
नफे सिंह गंगनपुरीया तन्नै मिलग्या भोळा-भाळा,
भाभी नाचले न, म्हारा भाई जाड़ दे जाळा,
भाभी नाचले न, , … . . . . .,
****
हिंदी में सरलार्थ-मल्ला- मौहल्ला। बनड़ा बन्नों- दुल्हा, दुल्हन।

फेसबुक पै चैटिंग कर कै, अपणा दिल बहलाइये, म्हारे गाम म्हं लाग्या पैरा, मन्नै मिलण ना आइये। दोस्तो आप म्हं सै कुछ नोवैं आण के छोरया नूं ना पता ओ के पैंलों गामां म्हं ठीकरी पैरे लाग्या करां थे जिनमै उननै बड़ा मजा आवै था। पो के मिन्नै म्हं सारी रात धूडि़यां बाळ कै नोवी-नोवी सरारतां करया करैं थे। कई गामां म्हं तो इब भी पैरा लगजा सै। मेरी इस रागणी म्हं एक छोरी दूसरे गाम के छोरे ते प्यार करै। छोरा छुपकै उसनै मिलण आंधा रहा पर फैर गाम म्हं पैरा लगजा तो वा छारी अपणे आशक ते एक बात के द्वारा के कहण लाग्गी…..

फेसबुक पै चैटिंग कर कै

फेसबुक पै चैटिंग कर कै, अपणा दिल बहलाइये,
म्हारे गाम म्हं लाग्या पैरा, मन्नै मिलण ना आइये।

भांग घोट कै मटके पीजां, म्हारे छौरे उत ओरे,
कच्ची दारू काड चढ़ालें, सारे अळधूत ओरे,
लाठी बर्छे भाल्ले लेरे, घणे यमदूत ओरे,
जाड्डे के म्हं धूड़ी बाळकै, यें काळे भूत ओरे,
जाग्गो कै के किलकी मारैं, आकै नां कट जाइये,
म्हारे गाम म्हं लाग्या पैरा, मन्नै मिलण ना आइये।

फिरणी उपर फिरैं दाड़ते, ठां-ठां गोळी दागैं,
चोर उच्चका जै आज्या, उनै किकर उपर टांगैं,
कुणसे गाम ते आया परोणा, लठ मारैं उत्तर मांगैं,
मंजनू बणना आ जाइये, तन्नै पेड्डयां ज्युकर छांगैं,
अड़ै आक्की पलेर घणे, तों टोरी ना बण जाइये,
म्हारे गाम म्हं लाग्या पैरा, मन्नै मिलण ना आइये।

कांधां टपकै मिल्या करैं थे, इब के मौज लुटांगे,
कुठल्यां पाछे आंगो भरण के, म्हारे पोज छुटांगे,
जाणु थी म्हं प्यारे सपने, किसै रोज टुटांगे,
नफे सिंह गंगनपुरीये तन्नै, बणकै फौज कुटांगे,
तेरे नाम की त्यूळ ओढ़ल्यूं, कुणब्यां नै मनाइये,
म्हारे गाम म्हं लाग्या पैरा, मन्नै मिलण ना आइये।
फेसबुक पै चैटिंग करकै, मेरा दिल बहलाइये,
म्हारे गाम म्हं लाग्या पैरा, मन्नै मिलण ना आइये।
*****
हिंदी में सरलार्थ-अळधूत- मस्त-मंलग। धूड़ी बाळकै- आग जला कर। किकर- बबुल का पेड़। त्यूळ ओढ़ल्यूं- शादी का दुप्पटा।

‘ब्या करवा कै आई सासरे, मेरा बनड़ा लाड करण लाग्या, सुक्की नदी म्हं जलथल ओगी, बादळ सा झरण लाग्या।’ दोस्तो छोरयां नै नोवी बहु का तो चा इ घण ओ सै। बहु जद पैली बार ससराड़ म्हं आवै उसतै सास्सु, सुसरा, नणद जैठाणी, दराणियां सारी लाड करैं, अर सब ते ज्यांदा लाड तो उसका बनड़ा करै जो सारी आण उसकी खुन्ची भरण का मौका डुंडयो जा। मेरी या रागणी नोवी बहु के ब्या के चा पर सै। एक छोरी का ब्या ओग्या अर पैले दिन जद उसका बनड़ा आकै उसते लाड करण लाग्या तो वा दिल म्हं के सोचण लाग्गी….

मेरा बनड़ा लाड करण लाग्या

ब्या करवा कै आई सासरे, मेरा बनड़ा लाड करण लाग्या,
सुक्की नदी म्हं जलथल ओगी, बादळ सा झरण लाग्या।

खारकै गदराई गोखड़ी, काब्बू म्हं ना आवै,
साज्जन बणकै मोहन मुरारी, बंसी रोज बजावै,
आंगा कर छात्ती कै लाणा, पीया मेरे दिल नै भावै,
मन्नै छोड कै कदै डिगरज्या, या ए चिंता खावै,
आंख मूंद कै खुद तै छिपरी, इब के यूं सरण लाग्या,
सुक्की नदी म्हं जलथल ओगी, बादळ सा झरण लाग्या।

चार दिन की या जिंदगानी, मस्ती गेल जीले सै,
दिल के सारे बंद खोल पिया, सोम रस पीले सै,
बादळ बणकै बरसे जा, मैं भरल्युंगी पतीले सै,
पीळी पटदे नाल्यूंगी मैं, इब मेरे कपड़े गीले सै,
बिन पौ के जाड्डा सा लागै, पिन्जा सोड़ भरण लाग्या,
सुक्की नदी म्हं जलथल ओगी, बादळ सा झरण लाग्या।

धक-धक अंजण म्हं ओवै, रेल सी या चाल्ले जा,
जोड़ा पै ते बदळै पटड़ी, सारा डिब्बा आल्ले जा,
सौ पै जाकै ब्रेक मार दे, जां आफत म्हं डाल्ले जा,
नफे सिंह गंगनपुर आळा, बिन पीये यो आल्ले जा,
जिसनै सच्चा प्यार करया सै, जग पै राज करण लाग्या,
सुक्की नदी म्हं जलथल ओगी, बादळ सा झरण लाग्या।
ब्या करवा मैं आई सासरे, मेरा बनड़ा लाड करण लाग्या,
सुक्की नदी म्हं जलथल ओगी, बादळ सा झरण लाग्या।
****
हिंदी में सरलार्थ-खारके- पहला बछड़ा देने वाली गाय भैंस। गदराई गोखड़ी- सेहतमंद गाय। डिगरज्या- चला जा। सोड- रजाई। पिन्जा- रजाई भरने वाला।

मेरा लेखकीय परिचय.
नाम. नफे सिंह कादयान,
पता. गांव-गगन पुर जिला- अम्बाला,
डा. खा. – बराड़ा.133201 (हरि.)
जन्म- 25 मार्च 1964
कार्य – खेती-बाड़ी, नव लेखन।
Email-nkadhian@gmail.com mob.9991809577
हरियाणा साहित्य अकादमी रचनाकार डॉट कॉम पर रजिष्ट्रेशन. साहित्यकार n.-10,

सम्मान.
1.हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा व्यवस्था कहानी के लिये सम्मान. वर्ष -2009
2. B.D.S साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा श्रेष्ठ लेखन के लिये डॉक्टर भीमराव अम्बेदकर राष्ट्रीय फैलाशीप अवार्ड वर्ष-.2013
3.हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा चैतन्य पदार्थ पुस्तक के लिये श्रेष्ठ कृति पुरस्कार.वर्ष 2017

रचनायें. 10- पुस्तकें. वर्ष 2017 तक
1 शांति ( पृ.170 वर्ष. 2009 )मानव विज्ञान।
2 चैतन्य पदार्थ. ( पृ.180 वर्ष.2013 ) पदार्थ संरचना।
3 जन शासन ( पृ. 217 वर्ष.2013 ) राजनेतिक।
4. कंजर ( पृ.145 वर्ष.2017 ) उपन्यास।
5. व्यवस्था परिवर्तन. (पृ.212 वर्ष-2017 ) जनहित समाजिक।
6. मयखान (पृ.80 वर्ष.2016 ) ग़ज़ल संग्रह
7- छाग्या अरयाणा हरियाणवी रागणी संग्रह।
अप्रकाशित टंकित पुस्तकें.
8. हम है राही प्यार के. (प.182 ) कहानी संग्रह।
9 आभासी दुनिया (पृ. 250 ) उपन्यास।
10 भविष्य के गर्भ में. इंजीनियरिंग। लेखन प्रक्रिया में।

कहानियां, आलेख, संस्मरण, गजल़, कविता, पत्र. दैनिक ट्रिब्यून, गिरीराज, हंस, सत्य दर्शन, हिमप्रस्थ, हरिगंधा, कथायात्रा, शुभ तारीका, हरियाणा साहित्य अकादमी की व अन्य पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित।

मेरा जीवन जीने का तरीका. मस्त रहो, सदा खुश रहो, जो खा लिया अपना, रह गया बैगाना।
Nafe Singh, Central Bank of india, Baranch Barara, Ambala, A.C- 1984154114, ifsc cod-cbin 0280379

Language: Hindi
546 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2519.पूर्णिका
2519.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
💐प्रेम कौतुक-484💐
💐प्रेम कौतुक-484💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
क्षणिका
क्षणिका
sushil sarna
स्वयं को सुधारें
स्वयं को सुधारें
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
सच तो रंग काला भी कुछ कहता हैं
सच तो रंग काला भी कुछ कहता हैं
Neeraj Agarwal
घिरी घटा घन साँवरी, हुई दिवस में रैन।
घिरी घटा घन साँवरी, हुई दिवस में रैन।
डॉ.सीमा अग्रवाल
कभी कभी अच्छा लिखना ही,
कभी कभी अच्छा लिखना ही,
नेताम आर सी
ईश्वर
ईश्वर
Shyam Sundar Subramanian
कितनी आवाज़ दी
कितनी आवाज़ दी
Dr fauzia Naseem shad
ଅର୍ଦ୍ଧାଧିକ ଜୀବନର ଚିତ୍ର
ଅର୍ଦ୍ଧାଧିକ ଜୀବନର ଚିତ୍ର
Bidyadhar Mantry
पिया मिलन की आस
पिया मिलन की आस
Kanchan Khanna
रूठा बैठा था मिला, मोटा ताजा आम (कुंडलिया)
रूठा बैठा था मिला, मोटा ताजा आम (कुंडलिया)
Ravi Prakash
सियासत कमतर नहीं शतरंज के खेल से ,
सियासत कमतर नहीं शतरंज के खेल से ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
बाल नहीं खुले तो जुल्फ कह गयी।
बाल नहीं खुले तो जुल्फ कह गयी।
Anil chobisa
ओमप्रकाश वाल्मीकि : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
ओमप्रकाश वाल्मीकि : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
Dr. Narendra Valmiki
देव्यपराधक्षमापन स्तोत्रम
देव्यपराधक्षमापन स्तोत्रम
पंकज प्रियम
चंद्रयान 3
चंद्रयान 3
Seema gupta,Alwar
*दिल कहता है*
*दिल कहता है*
Kavita Chouhan
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
पूर्वार्थ
"खाली हाथ"
Dr. Kishan tandon kranti
भाईचारे का प्रतीक पर्व: लोहड़ी
भाईचारे का प्रतीक पर्व: लोहड़ी
कवि रमेशराज
खूबसूरत है दुनियां _ आनंद इसका लेना है।
खूबसूरत है दुनियां _ आनंद इसका लेना है।
Rajesh vyas
🌼एकांत🌼
🌼एकांत🌼
ruby kumari
भगवत गीता जयंती
भगवत गीता जयंती
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
देश हमरा  श्रेष्ठ जगत में ,सबका है सम्मान यहाँ,
देश हमरा श्रेष्ठ जगत में ,सबका है सम्मान यहाँ,
DrLakshman Jha Parimal
पागल
पागल
Sushil chauhan
सुनो - दीपक नीलपदम्
सुनो - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मोबाइल फोन
मोबाइल फोन
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
चंदा मामा सुनो मेरी बात 🙏
चंदा मामा सुनो मेरी बात 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सुकून
सुकून
Er. Sanjay Shrivastava
Loading...