चोला रंग बसंती
चोला रंग बसंती पहन जो इंकलाब को गाता था
जिसके कतरे कतरे में आजादी का सपना आता था
मां भारती की बेड़ियां देख लहू जिसका उबला था
लायलपुर का जन्मा वो शहीद भगत कहलाता था
मित्र जिसके राजगुरु सुखदेव
संग फांसी पर झूल गये
धन्य- धन्य वो मात- पिता
जिनकी ये संतानें थी
धन्य धन्य वो गुरुवर है
जिनसे इन्होंने शिक्षा पाई थी
धन्य हुई मां भारती
पा कर ऐसे लालो को
हंसते हंसते झुल गये जो
नया सबेरा लाने को
हे भारत की पीढ़ी तुम
याद सदा इन्हें रखना
सर्वस्व निछावर किया है जिसने
तुमको आजाद कराने को
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)