चोट मैं भी खायें हैं , तेरे इश्क में काफ़िर
चोट मैं भी खायें हैं , तेरे इश्क में काफ़िर
पर कभी तुझसे पंगा न लिया
मैं भी कभी थे तेरे,
जो आज भी दंगा न किया!!
तुम भूल जाओ मैं सिर्फ,
तेरे लिए आवारा ही था
कभी मैं अपने थे,
जो तेरे लिए सहारा ही था!!
मैं जानता हूँ अपनी दूरियाँ
तभी तो याद किया ,
तू चाहे मुझे या न चाहे
मैं फिर भी तुझे इंतजार किया!!
हाँ.. मैं मानता हूँ , बेवफ़ा हूँ मैं..
पर कोई शक तो नहीं..
होते हुए भी, तेरा ही आशिक़ हूँ,
मुझे चाहने का किसी के हक तो नहीं!!
मेरे हाथ इतने लंबे तो हैं नहीं
जो तेरी ख़ामोशी को पकड़ लूँ
बस तुझसे प्यार करूँ मैं..
और अपने धड़कन में जकड़ लूँ!!
इतने बड़े आदी तो हैं नहीं
जो मुहब्बत को सरेआम कर दूँ..
तारों से तेरा शृंगार करूँ,
और इश्क को मैं जाम कर दूँ!!
अगर तूने देना ही था,
तो ये जुदाई क्यूँ दिया
हाथों से ज़हर पिला देते मुझे..
पर मुझे रिहाई क्यूँ किया!!
मनोज कुमार
गोण्डा जिला उत्तर प्रदेश