चेहरा
एक चेहरे के पीछे
छिपा होता है
एक और चेहरा
वो चेहरा जो
वास्तविक होता है
जो दिखता है
वो होता है एक नकाब
ऐसा नकाब
जो बदलता भी रहता है
पर वो भीतरी
खतरनाक चेहरा
नहीं बदलता अपना रूप
सब चेहरों से ज्यादा
होता है कुरूप
वो आंतरिक चेहरा
जो कोई देख नहीं सकता और
देख सकता है केवल
स्वयं
उस कुरूपता को दूर भी कर सकता है
केवल
स्वयं
ना और कोई आएगा
बस जो करना है
वो स्वयं को ही करना है।
अपने अंतरतम के तम को
स्वयं ही हरना है।
✍️ राही