चूड़ी
यदि प्रेम रस तथा श्रृंगार रस के काव्य इतिहास में
कभी यह प्रश्न उत्पन्न हुआ कि
“चूड़ियों का वास्तविक रंग कैसा होता है”
तो मेरा यह उत्तर होगा कि
“माँ, बहन-बेटी या प्रेयसी द्वारा
उनकी कोमल कलाईयों में धारित
चूड़ियों का वास्तविक रंग
प्रेम,आस्था व समर्पण के
गाढ़े अमिट रंग जैसा होता है।”
इसके उपरांत कभी यह प्रश्न आए कि
“चूड़ियों की खनखनाहट से
उत्पन्न ध्वनि कैसी होती है”
तो इसका उत्तर यह दूंगा कि
“चूड़ियों की खनखनाहट से उत्पन्न ध्वनि
संसार के सबसे मधुरतम व कर्णप्रिय
प्रेम संगीत जैसा होता है।”
जब इंसान प्रेम में होता है और
उसे प्रेमिका के लिए उपहार स्वरूप
कोई साज श्रृंगार का सामान लेना हो
तो सबसे पहले उसके जेहन में आता है
चूड़ियों का ख्याल…
ये चूड़ियां अनंत काल से प्रतीक रही हैं
प्रगाढ़ प्रेम का,
सम्पूर्ण त्याग का,
अटूट आस्था का,
सर्वस्व समर्पण का…