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18 Dec 2023 · 1 min read

रूबरू न कर

ऐ वक़्त -ए -नादान मुझे हूबहू न कर
फिर से मुझे आईने के रूबरू न कर

किस्सा है पुराना के अनजान था खुद से
मुझसे आँखें मिलवा के मुझे फिर शुरू न कर

कहना ही है तो कह ले अच्छा – बुरा मुझे
मेरी बात छेड़कर किसी से गुफ़्तगू न कर

खोना ही चाहता था मुझे तूँ तो हर्फ़ में
मिल ही गया तो खामखा मेरी जुस्तजू न कर

मैं तुझपे यकीं करुँ इतना नादान भी नहीं
मुझसे अपनेपन की अभी आरजू न कर

नापाक जान कर के मुझे छू लिया है तूँ
अब जाने भी दे यार फिर झूठा वजू न कर
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Hindi
138 Views
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