फटेहाल में छोड़ा…….
ज़िन्दगी की बहार ने मुझे फटेहाल में छोड़ा ।।।।।।।।।। ज़ख्मों की परछाईं ने मुझे किस हाल में छोड़ा ।।।।।।।। मैं बिलखता रहा साथ मेरा बहार ने छोड़ा ।।।।।।।।।।। तुम भी छोड़ गए जब दामन ने बारात में छोड़ा।।।।।।। तुम ने जोड़ी बना ली मुझे किस किरदार में छोड़ा ।।।। उम्र भर तड़पता रहूंगा मुझे गमे बाजार में छोड़ा।।।।।। चाहकर भी भूले नहीं उसने हर हाल में छोड़ा।।।।।।।। क्या कहूं मैं रोता रहा उसने गली गुमनाम में छोड़ा।।।। ऐसी क्या खता हुई जो तूने इस मुकाम पे छोड़ा।।।।।। सुशील कुमार सिंह “प्रभात”