चुपके से
चाहत का पैगाम लिया था चुपके से
पढ़कर दिल को थाम लिया था चुपके से
बैठे थे खामोश अदब की महफ़िल में
आँखों से पर काम लिया था चुपके से
तनहा तुम ही नहीं नशे में डूबे हो
हमने भी ये जाम लिया था चुपके से
छलक रहे इन अधरों के पैमानों से
धोखे का इल्जाम लिया था चुपके से
यूँ ही नहीं बदनाम शहर भर में ‘संजय’
उसने मेरा नाम लिया था चुपके से