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14 Mar 2019 · 1 min read

चुनमुन हूँ मैं

मैं छोटी सी चुनमुन हूँ
ऊधम खूब मचाती हूँ
हर दम मस्ती करती रहती
चाहे जहाँ गिर जाती हूँ।

कभी गिरूं मैं पलंग पर से
कभी गिरूं चलते चलते
कभी मैं माँ की गोद में गिरती
और कभी जंपिंग करते

नानी की मैं प्यारी चपरो।
और नाना की गुड़िया हूँ
मामाओं की ची पुई गुम्फू
और माँ की प्यारी बेटू हूँ
पापा कहते मुझको बेबी
और सभी की पावनी हूँ

रोटी दाल मुझे न भाती
सौंफ बहुत मुझको भाती
क्रीम वाले बिस्कुट चाहिए
फाइव स्टार चाकलेट खाती

आॅरेंज और मूंगफली को
पल में चट कर जाती मैं
मम्मा का पीछा न छोडूं
हर दम गले लगाती मैं

मैं नन्हीं नटखट चुनमुन
गुड़िया जैसी प्यारी सी
मैं भी सबको करती प्यार
सबको हूँ मैं दुलारी सी

रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

1 Like · 513 Views
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