चिन्ता
स्टूडेंट्स का जलवा देखो
आजकल घर बैठे इम्तहान हो रहे,
तभी अन्दर से आवाज आई
मुंगेरी दा आप क्यों परेशान हो रहे?
यह सुनकर मुंगेरी दा
धीरे से फिर अपना मुँह खोला,
पान का पिक थूंककर
वह बड़े प्रेम से बोला-
यह घोर चिन्ता का विषय है
क्योंकि
फेल होने वालों की संख्या जीरो है,
साल भर गटरमस्ती करने वाले
पचासी-नब्बे परसेंट लाकर
एकदम रातो-रात बन गए हीरो हैं।
जरा सोचो
जब सब पास हो रहे तो
भविष्य में देश कौन चलाएगा?
जब कोई सांसद, विधायक, पार्षद
चुनकर ही नहीं आ पाएगा।
(मेरी प्रकाशित 44 वीं कृति : ‘पारसमणि’ से..)
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त।