*** ” चित्रगुप्त का जगत भ्रमण……..!!! ” ***
# चित्रगुप्त ने यम जी से कहा एक दिन ,
प्रभु मानवों के पास कुछ दिन के लिए जाना है।
उनके पास कुछ पल बीताना है ।।
आज्ञा लेकर गुप्त जी , मानव लोक चला गया ।
काम-काज मानव का , आंकलन करता गया ।
सम्पूर्ण जगत भ्रमण किया।।
उनको बहुत आश्चर्य लगा , देखकर मानव क्रियाकलाप ।
और अपने मन से किया कुछ वार्तालाप।
” ये मानव भी बड़े ही अजीब है ,
अप्रिय घटना के करीब है। ”
” संजीव प्राणियों में बुद्धिजीवी कहलाता है । ”
” कठिन से कठिन काम सरलता से कर जाता । ”
किसी काम-काज में फिर ,
सुरक्षा-नियम क्योँ नहीं अपनाता है।
अपने आप दुर्घटना का , शिकार हो जाता है ।
और मेरे प्रभु..! को , सारा दोष दे जाता है ।
आधुनिकता में जीता है ,
फिर आधुनिक सुरक्षा-यंत्र उपयोग में ,
क्यों नहीं लाता है ?
# भ्रमण करता हुआ ,
चतुर्चक्र वाहिनी (कार) में ;
एक चिकित्सक नज़र आया।
१०० किमी/घंटा की द्रूतगति में , उसको पाया।
सादर भाव..! से गुप्त जी ने , उनसे पूछा ;
” महानुभाव , आप एक चिकित्सक हो । ”
” मरीजों के भगवान और उनके रक्षक हो। ”
” फिर सुरक्षा-पट्टी , क्यों नहीं लगाते हो । ”
और ” पवन-वेग से गाड़ी भगाते हो । ”
मान्यवर..!
चिकित्सक अनुत्तरित हो गया ।
और अपने विचारों में खो गया।
# गुप्त जी भ्रमण पर आगे चल पड़ा ,
” द्वि-चक्रीका वाहन (मोटरसाइकिल) पर ,
एक वकील नजर आया ;
द्रुतगति में उसको भी पाया। ”
पुनः गुप्त जी ने पूछा उनसे ,
” महोदय..! आप एक वकील हो । ”
” दुर्घटना-ग्रसित , अपने मुवक्किल की ,
वकालत करते हो।”
” फिर भी सुरक्षा-कवच (हेलमेट) ,
क्यों नहीं लगाते हो…? ”
” द्रुतगति में द्रुतगमी ,
स्वयं नजर आते हो ।”
श्रीमान् वकील भी , निरुत्तर हो गए ,
और पसीने से तर-बतर हो गए ।
# भ्रमण करता हुआ , गुप्त जी और आगे चल पड़ा ;
” एक औद्योगिक प्रतिष्ठान में ( फैक्ट्री) ,
कुछ यंत्री और सहकर्मी कामगार ,
उनके दृष्टि में आया।”
सुरक्षा-साधन किसी के पास भी ,
नजर नहीं आया।
विनम्र भाव से गुप्त जी ने उनसे पूछा ,
” आप सब यात्रिंक-जगत के शिल्पी ,
और आधार स्तंभ हो। ”
” आप से ही यांत्रिक संकल्पना और नव-निर्माण है। ”
और ” सुरक्षा-साधन क्यों नहीं अपनाते हो । ”
” अनचाहे अप्रतिम घटना को आमंत्रण दे जाते हो । ”
सभी मुक-बधीर व अनुत्तरित रहे ,
और विचारों से विचलित रहे।
# संध्या-समाचार ” जनचेतना ” में ,
एक ख़बर आया….!
” रामू भाई ने अपना दोनों हाथ कटाया…..। ”
” वकील साहब को घायल ”
और ” चिकित्सक महानुभाव…! ,
’ गहन उपचार कक्ष ‘ में
भर्ती है बताया….! ”
हाल-बेहाल देखकर ,
चित्रगुप्त जी ने एक जनसभा बुलाया ।
जिंदगी जीने का एक पहल बताया।
तीनों दुर्घटना से अवगत कराया ।
” हे मानव तुम मन से नेक और बहुत ही कर्मठ हो।”
” ये स्वर्ग जैसा जगत तुम्हारे हैं । ”
” यहाँ आने को यमराज जी क्या..? ,
प्रभु भगवन् भी तरस जाते हैं। ”
” जीवन है तो आज और कल है। ”
” हरपल सुख-शांति का पल है । ”
” सुखी का जीवन बीताओ । ”
” सुरक्षा पर ध्यान लगाओ । ”
और ” सुरक्षा पर ध्यान लगाओ। ”
हे मित्रों , यह मेरा ही नहीं ,
चित्रगुप्त जी का सुझाव है।
और। अपने जिंदगी का बचाव है।
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* बी पी पटेल *
बिलासपुर ( छ. ग.)