Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2020 · 2 min read

*** ” चित्रगुप्त का जगत भ्रमण……..!!! ” ***

# चित्रगुप्त ने यम जी से कहा एक दिन ,
प्रभु मानवों के पास कुछ दिन के लिए जाना है।
उनके पास कुछ पल बीताना है ।।
आज्ञा लेकर गुप्त जी , मानव लोक चला गया ।
काम-काज मानव का , आंकलन करता गया ।
सम्पूर्ण जगत भ्रमण किया।।
उनको बहुत आश्चर्य लगा , देखकर मानव क्रियाकलाप ।
और अपने मन से किया कुछ वार्तालाप।
” ये मानव भी बड़े ही अजीब है ,
अप्रिय घटना के करीब है। ”
” संजीव प्राणियों में बुद्धिजीवी कहलाता है । ”
” कठिन से कठिन काम सरलता से कर जाता । ”
किसी काम-काज में फिर ,
सुरक्षा-नियम क्योँ नहीं अपनाता है।
अपने आप दुर्घटना का , शिकार हो जाता है ।
और मेरे प्रभु..! को , सारा दोष दे जाता है ।
आधुनिकता में जीता है ,
फिर आधुनिक सुरक्षा-यंत्र उपयोग में ,
क्यों नहीं लाता है ?

# भ्रमण करता हुआ ,
चतुर्चक्र वाहिनी (कार) में ;
एक चिकित्सक नज़र आया।
१०० किमी/घंटा की द्रूतगति में , उसको पाया।
सादर भाव..! से गुप्त जी ने , उनसे पूछा ;
” महानुभाव , आप एक चिकित्सक हो । ”
” मरीजों के भगवान और उनके रक्षक हो। ”
” फिर सुरक्षा-पट्टी , क्यों नहीं लगाते हो । ”
और ” पवन-वेग से गाड़ी भगाते हो । ”
मान्यवर..!
चिकित्सक अनुत्तरित हो गया ।
और अपने विचारों में खो गया।

# गुप्त जी भ्रमण पर आगे चल पड़ा ,
” द्वि-चक्रीका वाहन (मोटरसाइकिल) पर ,
एक वकील नजर आया ;
द्रुतगति में उसको भी पाया। ”
पुनः गुप्त जी ने पूछा उनसे ,
” महोदय..! आप एक वकील हो । ”
” दुर्घटना-ग्रसित , अपने मुवक्किल की ,
वकालत करते हो।”
” फिर भी सुरक्षा-कवच (हेलमेट) ,
क्यों नहीं लगाते हो…? ”
” द्रुतगति में द्रुतगमी ,
स्वयं नजर आते हो ।”
श्रीमान् वकील भी , निरुत्तर हो गए ,
और पसीने से तर-बतर हो गए ।

# भ्रमण करता हुआ , गुप्त जी और आगे चल पड़ा ;
” एक औद्योगिक प्रतिष्ठान में ( फैक्ट्री) ,
कुछ यंत्री और सहकर्मी कामगार ,
उनके दृष्टि में आया।”
सुरक्षा-साधन किसी के पास भी ,
नजर नहीं आया।
विनम्र भाव से गुप्त जी ने उनसे पूछा ,
” आप सब यात्रिंक-जगत के शिल्पी ,
और आधार स्तंभ हो। ”
” आप से ही यांत्रिक संकल्पना और नव-निर्माण है। ”
और ” सुरक्षा-साधन क्यों नहीं अपनाते हो । ”
” अनचाहे अप्रतिम घटना को आमंत्रण दे जाते हो । ”
सभी मुक-बधीर व अनुत्तरित रहे ,
और विचारों से विचलित रहे।

# संध्या-समाचार ” जनचेतना ” में ,
एक ख़बर आया….!
” रामू भाई ने अपना दोनों हाथ कटाया…..। ”
” वकील साहब को घायल ”
और ” चिकित्सक महानुभाव…! ,
‌‌’ गहन उपचार कक्ष ‘ में
भर्ती है बताया….! ”
हाल-बेहाल देखकर ,
चित्रगुप्त जी ने एक जनसभा बुलाया ।
जिंदगी जीने का एक पहल बताया।
तीनों दुर्घटना से अवगत कराया ।
” हे मानव तुम मन से नेक और बहुत ही कर्मठ हो।”
” ये स्वर्ग जैसा जगत तुम्हारे हैं । ”
” यहाँ आने को यमराज जी क्या..? ,
प्रभु भगवन् भी तरस जाते हैं। ”
” जीवन है तो आज और कल है। ”
” हरपल सुख-शांति का पल है । ”
” सुखी का जीवन बीताओ । ”
” सुरक्षा पर ध्यान लगाओ । ”
और ” सुरक्षा पर ध्यान लगाओ। ”

हे मित्रों , यह मेरा ही नहीं ,
चित्रगुप्त जी का सुझाव है।
और। अपने जिंदगी का बचाव है।

********************∆∆∆*****************

* बी पी पटेल *
बिलासपुर ( छ. ग.)

Language: Hindi
1 Like · 332 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बेवफा
बेवफा
नेताम आर सी
23/02.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/02.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मानवता है धर्म सत,रखें सभी हम ध्यान।
मानवता है धर्म सत,रखें सभी हम ध्यान।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
My Expressions
My Expressions
Shyam Sundar Subramanian
हम ही हैं पहचान हमारी जाति हैं लोधी.
हम ही हैं पहचान हमारी जाति हैं लोधी.
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
शब्द -शब्द था बोलता,
शब्द -शब्द था बोलता,
sushil sarna
सनम की शिकारी नजरें...
सनम की शिकारी नजरें...
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
आक्रोश - कहानी
आक्रोश - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अर्थपुराण
अर्थपुराण
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
विरह
विरह
नवीन जोशी 'नवल'
एक पराई नार को 💃🏻
एक पराई नार को 💃🏻
Yash mehra
शर्म शर्म आती है मुझे ,
शर्म शर्म आती है मुझे ,
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अर्थी चली कंगाल की
अर्थी चली कंगाल की
SATPAL CHAUHAN
*आई गंगा स्वर्ग से, उतर हिमालय धाम (कुंडलिया)*
*आई गंगा स्वर्ग से, उतर हिमालय धाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
पानी की खातिर
पानी की खातिर
Dr. Kishan tandon kranti
मुस्कुराए खिल रहे हैं फूल जब।
मुस्कुराए खिल रहे हैं फूल जब।
surenderpal vaidya
Success rule
Success rule
Naresh Kumar Jangir
'आभार' हिन्दी ग़ज़ल
'आभार' हिन्दी ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मेरा महबूब आ रहा है
मेरा महबूब आ रहा है
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
उस रिश्ते की उम्र लंबी होती है,
उस रिश्ते की उम्र लंबी होती है,
शेखर सिंह
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
अनिल कुमार
राम - दीपक नीलपदम्
राम - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
इंसान भीतर से यदि रिक्त हो
इंसान भीतर से यदि रिक्त हो
ruby kumari
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
Ranjeet kumar patre
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – आविर्भाव का समय – 02
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – आविर्भाव का समय – 02
Kirti Aphale
*जिंदगी के अनुभवों से एक बात सीख ली है कि ईश्वर से उम्मीद लग
*जिंदगी के अनुभवों से एक बात सीख ली है कि ईश्वर से उम्मीद लग
Shashi kala vyas
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
Chehre se sundar nhi per,
Chehre se sundar nhi per,
Vandana maurya
दंग रह गया मैं उनके हाव भाव देख कर
दंग रह गया मैं उनके हाव भाव देख कर
Amit Pathak
इंसान होकर जो
इंसान होकर जो
Dr fauzia Naseem shad
Loading...