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21 Apr 2024 · 1 min read

चाहे तुम

चाहे तुम
अंतिम सीमा तक
साथ चलोगे मेरे
चाहे तुम
आखिरी पड़ाव तक
साथ रहोगे मेरे
चाहे तुम
बैठोगे मेरे साथ
छांव में
धूप के चले जाने तक
फिर भी
मन का कोई कोना
अकेला ही रह जाएगा
क्योंकि
तुम
तुम होकर थे
मेरा,,,, मैं होकर मेरे साथ नहीं थे तुम… ✍️✍️

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