चाहे गिरा चरित्र
गिरी जहाँ भी चाय है,…चाहे गिरा चरित्र !
लाजिम हैं लगना वहाँ,दाग बदनुमा मित्र !!
चलो समय पर देश ने ,लिया कदाचित भाँप !
बिल से कैसे आप ही,….निकल रहे हैं साँप !!
रमेश शर्मा.
गिरी जहाँ भी चाय है,…चाहे गिरा चरित्र !
लाजिम हैं लगना वहाँ,दाग बदनुमा मित्र !!
चलो समय पर देश ने ,लिया कदाचित भाँप !
बिल से कैसे आप ही,….निकल रहे हैं साँप !!
रमेश शर्मा.